Tricity Today | परमिता राष्ट्रपति से मांग रही हैं इच्छा मृत्यु का अधिकार
Greater Noida West News : हमारे देश में शादी का मतलब घर बसाना होता है। शादी के बाद हर पति-पत्नी अपने सपनों का आशियाना बनाना चाहता है। दिल्ली-एनसीआर में यह आसान नहीं जिंदगी का सबसे बड़ा काम है। यहां जिसके सिर पर एक अदद छत है, वो सिकन्दर से कम नहीं है। दरअसल, एक अदद घर खड़ा करने में आम आदमी की पूरी जिंदगी की गाढ़ी कमाई लग जाती है। अगर यह गाढ़ी कमाई खपाने के बावजूद किसी को घर ना मिले तो उसके दर्द का एहसास आप कर सकते हैं। ऐसे ही दर्द का एहसास आपको करवाने के लिए हम आपको परमिता बनर्जी से मिलाने लाए हैं। परमिता ने अपने अपनों का घर पाने के लिए सब कुछ दांव पर लगा दिया लेकिन उन्हें घर नहीं मिला। मिला सिर्फ आश्वासन, छल, कपट और इतना दुःख कि आज वह इच्छा मृत्य का अधिकार राष्ट्रपति से मांग रही हैं।
जानिए क्या है मामला
परमिता बनर्जी और देबरघ्य बनर्जी ने साल 2017 में सुपरटेक स्पोर्ट्स विलेज नाम के एक प्रोजेक्ट में घर बुक किया था। परमिता के अनुसार, "बिल्डर ने पेमेंट प्लान 40:60 बताया। जिसमें एकमुश्त 40% पेमेंट कर दी। जैसा कहा गया वैसा हमने किया। साल 2019 के अंत में पजेशन देना था। जब 2019 आया और घर मिलने का वक्त आया तो हमने मौके पर जाकर देखना चाहा। हम वहां साइट पर गए तो देखा तो बंजर जमीन है। एक ईट भी नहीं रखी गई थी। कुछ भी बना न देख हमने बिल्डर से पूछा कि बिल्डिंग कहा है? और ज्यादा मामला बिगड़ता गया। बिल्डर की ओर से तारीखों पर तारीख मिलती रहीं। थक हार कर हमने कहा कि हमारे पैसे वापस करो। जवाब आया कि हम पैसे किसी के वापस नहीं करते हैं।"
ये सोसाइटी आजतक नहीं बनी, अब बन रहे हैं प्लॉट
परमिता कहती हैं, "घर मिलने की डेट जून 2020 तक बढ़ गई, घर तब भी नहीं बना। जवाब मांगने पर नपा तुला जवाब मिला। ये समय भी ऐसे ही निकल गया, मगर घर नहीं मिला। बातचीत करते-करते कह दिया कि आप यूनिट शिफ्ट करवा लो। यूनिट शिफ्ट में दूसरा घर देते हैं, लेकिन दोगुनी कीमत पर देंगे। मुझे इस वजह से सुपरटेक इको विलेज-2 में घर दिया। कहा गया कि 40% जो एडवांस दिया है, उसे भूल जाओ। उसे बाद में एडजस्ट किया जाएगा।" परमिता बताती हैं, "सुपरटेक बिल्डर ने वापस घर बनाने के लिए 2 साल का समय लिया। इस दफा भी हमें पागल बनाया गया। घर के बदले घर स्कीम निकली गई। हमसे कहा गया कि आपको घर के बदले घर दिया जाएगा। दो साल में घर तैयार हो जाएगा और तब तक हम आपको रेंटल फ्लैट देंगे। जिसका सारा बिल सुपरटेक भरेगा। मैंने साल 2021 की जनवरी में 10% पैसे फिर दिए और 1% का चेक दिया।"
अकेली महिला, 6 साल की बेटी और एक लंबी जंग
परमिता कहती हैं, "साल 2021 की 3 मई को मेरे पति की कोरोना से मौत हो गई। समस्याओं का दौर यहीं समाप्त नहीं हुआ। भूचाल तो आना बाकी था। मैं अब बिलकुल अकेली रह गई। मेरी 6 साल की बेटी, उसके प्रति मेरे फर्ज हैं, जो अब मुझे अकेले ही निभाने थे। तब भी सुपरटेक वालो का दिल नहीं पसीजा।" रोते हुए परमिता कहती हैं, "मैंने उनके सामने हाथ जोड़ कर कहा कि अब मेरे पति नहीं रहे हैं। अब तो कोई रेडी टू मूव इन फ्लैट दे दो या मेरा पैसा वापस दे दो। मैं पैतृक गांव वापस चली जाउंगी, तब भी बिल्डर ने चालाकी की। कोई दया नहीं दिखाई। कोई तरस नहीं खाया। चार दिन की बीमारी में बंदा चला गया, ऑक्सीजन लिए तड़पते तड़पते मर गया। हम तबसे तड़प रहे हैं अपने घर के लिए, लेकिन हमारे प्राण नहीं निकल रहे हैं।"