हमें उम्मीद है आम आदमी को इन सवालों के जवाब मिलेंगे

सांसद जी और पुलिस से 5 सवाल : हमें उम्मीद है आम आदमी को इन सवालों के जवाब मिलेंगे

हमें उम्मीद है आम आदमी को इन सवालों के जवाब मिलेंगे

Tricity Today | डॉ.महेश शर्मा

Greater Noida : गौतमबुद्ध नगर के सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ.महेश शर्मा बीती रात जेवर में एक कार्यक्रम में गए थे। जब वह बोल रहे थे तो एक धमाका हुआ। इस घटना को लेकर तमाम खबरें चल रही हैं। सोशल मीडिया पर सांसद के समर्थक हमला होने की बात कह रहे हैं। दूसरी ओर विपक्षी राजनीतिक दल कानून-व्यवस्था पर सवाल खड़े कर रहे हैं। गौतमबुद्ध नगर पुलिस साफ कर चुकी है, यह कोई हमला या साजिश नहीं थी। आयोजकों ने आतिशबाजी करवाई। उसी आतिशबाजी के दौरान एक पटाखा शामियाने के ऊपर गिरा। गहराई से जांच करवाने के लिए पुलिस ने फॉरेंसिक टीम और बम निरोधक दस्ता तक बुलवाए। सांसद डॉ.महेश शर्मा से जुड़ा यह पहला मामला नहीं है। करीब डेढ़ साल पहले हॉक्स कॉल आई थी। जिसमें कॉलर ने कहा था कि नोएडा के कैलाश अस्पताल में बम रखा गया है। उस वक्त भी सांसद को खतरा बताया गया था। अब रविवार रात की घटना से गौतमबुद्ध नगर संसदीय क्षेत्र की जनता के मन में कुछ सवाल उठ रहे हैं। हम उन सवालों का माध्यम बन रहे हैं। इनमें कुछ सवाल सांसद और कुछ गौतमबुद्ध नगर पुलिस के लिए हैं। हमें उम्मीद है कि सांसद डॉ.महेश शर्मा और गौतमबुद्ध नगर पुलिस इन सवालों के जवाब जरूर देगी।

सवाल नम्बर 1 : सांसद जी को किससे खतरा?
इस घटना के बाद चल रही चर्चा में सबसे बड़ा सवाल यही है। आम आदमी जानना चाहता है कि गौतमबुद्ध नगर के सांसद डॉ.महेश शर्मा को किससे खतरा है? आखिर उन्हें वाई प्लस कैटेगरी की सुरक्षा देने की जरूरत क्यों पड़ी? लोगों का कहना है कि सुरक्षा के चलते उन्हें परेशानी होती है। सुरक्षाकर्मियों के कारण आम आदमी सांसद से मुलाकात तक नहीं कर पाता है। शायद यही वजह है कि सांसद डॉ.महेश शर्मा ने पूरे संसदीय क्षेत्र में अपना कोई कार्यालय नहीं खोला है? वह अपने अस्पतालों में आम आदमी से मुलाकात करते हैं। अस्पतालों के भीतर सांसद तक पहुंचना आम आदमी के बूते की बात नहीं है। लोगों का यह भी सवाल है कि आखिर पिछले 8 वर्षों के कार्यकाल में एक भी दिन डॉ.महेश शर्मा बाकी सांसद, मंत्रियों और मुख्यमंत्री की तरह सुबह के वक्त आम आदमी से रूबरू क्यों नहीं हुए? उन्होंने आज तक जनसुनवाई के लिए कोई कार्यक्रम आयोजित नहीं किया। क्या यह सब खतरों की वजह से है? क्या डॉक्टर महेश शर्मा को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी ज्यादा खतरा है? क्या महेश शर्मा किसी आतंकवादी संगठन की हिटलिस्ट में हैं या उन्हें आम आदमी से ही खतरा है?

सवाल नम्बर 2 : गोपनीय कार्यक्रम सोशल मीडिया पर क्यों?
सांसद डॉ.महेश शर्मा के कार्यालय से उनका मूवमेंट और प्रोग्रामिंग शेड्यूल सुरक्षा एजेंसियों, दिल्ली पुलिस और गौतमबुद्ध नगर के पुलिस कमिश्नर व डीएम को गोपनीय रूप से जारी होता है। इसमें उनके आवागमन के वक्त की जानकारी दी जाती है। इस कार्यक्रम पर बाकायदा सुरक्षा की दृष्टि से गोपनीय लिखा जाता है। प्रोग्राम प्रोटोकॉल पर यह भी बताया जाता है कि डॉ.महेश शर्मा को केंद्र सरकार से वाई प्लस सिक्योरिटी मिली है। दूसरी तरफ यही कार्यक्रम वक्त और रूट के साथ सांसद के सोशल मीडिया हैंडल्स पर शेयर किया जाता है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर जब सुरक्षा एजेंसियों को गोपनीय कार्यक्रम जारी किया जा रहा है तो फिर यह कार्यक्रम सोशल मीडिया पर पोस्ट करके लीक क्यों किया जाता है? 'ट्राईसिटी टुडे' के सुधी पाठकों ने सोशल मीडिया पर मिले दोनों तरह के प्रोग्राम भेजे हैं।

सवाल नम्बर 3 : क्या यह योगी सरकार को बदनाम करने की साजिश है?
गौतमबुद्ध नगर के लोगों का कहना है कि उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने गुंडे और माफियाओं की नकेल कसी है। आलम यह है कि अपराधी जान बचाने के लिए घरों में घुसे हैं या जमानत तुड़वाकर कर जेल चले गए हैं। ऐसे में भला कोई पूर्व केंद्रीय मंत्री और मौजूदा सांसद पर हमला करने के बारे में कैसे सोच सकता है? क्या सांसद स्थानीय स्तर पर राजनीतिक विरोधियों पर निशाना साधने के चक्कर में योगी आदित्यनाथ सरकार को बदनाम नहीं कर रहे हैं? लोगों का सवाल है कि अब क्या डॉक्टर महेश शर्मा को जेड प्लस सिक्योरिटी की जरूरत है? या योगी आदित्यनाथ सरकार को बदनाम करने की साजिश है? विपक्षी दलों को सरकार पर निशाना साधने का मौका दिया गया है।

सवाल नम्बर 4 : कैलाश अस्पताल से जुड़ी हॉक्स कॉल पर क्या हुआ?
लोगों का कहना है कि पिछले साल किसी ने मोबाइल फोन पर कॉल करके बताया था कि कैलाश अस्पताल में बम रखा गया है। नोएडा पुलिस ने आनन-फानन में अस्पताल को खाली करवाया था। जानकारी दी गई थी कि अस्पताल के बेसमेंट में बम रखा गया है। उस वक्त भी बम निरोधक दस्ता और फॉरेंसिक एक्सपर्ट की टीम को कैलाश अस्पताल बुलाना पड़ा था। वह खबर नेशनल मीडिया में आई थी। उस वक्त सांसद के समर्थकों ने उनकी जान को खतरा होने की बात सोशल मीडिया पर जोर शोर से उठाई थी। आम आदमी सवाल कर रहा है कि अब तक इस मामले में क्या कार्रवाई हुई? उस घटना के बारे में कोई तथ्य प्रकाश में क्यों नहीं आया? ना सांसद और ना गौतमबुद्ध नगर पुलिस ने बाद में कोई जानकारी दी। कॉलर की पहचान हो पाई या नहीं?

सवाल नम्बर 5 : रविवार रात वाली घटना में आयोजकों पर कार्यवाही क्यों नहीं?
अब यह साफ हो गया है कि रविवार की रात जेवर के दाऊजी मंदिर में आतिशबाजी करवाई जा रही थी। रात के वक्त आतिशबाजी करवाने पर पाबंदी है। कार्यक्रम को अनुमति देने के लिए शर्तें क्या थीं? क्या रात 9:30 बजे तक यह कार्यक्रम आयोजित हो सकता था? आयोजकों की बदइंतजामी की वजह से सांसद की जान को खतरा उत्पन्न हुआ। यह सारे तथ्य सामने आने के बाद गौतमबुद्ध नगर पुलिस आयोजकों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं कर रही है? जिले के लोगों का कहना है कि अगर इस बार भी मामले को रफा-दफा करने की कोशिश की गई तो भविष्य में इसी तरह सुरक्षा व्यवस्था, राज्य सरकार और पुलिस पर सवालिया निशान उठते रहेंगे?

डॉ.महेश शर्मा एक जनप्रतिनिधि हैं। उनकी सुरक्षा को अगर खतरा पैदा हो सकता है तो आम आदमी खुद को कैसे सुरक्षित महसूस करेगा। पुलिस, प्रशासन और राज्य सरकार में भरोसा कायम रखना सांसद की नैतिक जिम्मेदारी है। लिहाजा, उन्हें आम आदमी के इन सवालों का जवाब देना चाहिए। दूसरी तरफ गौतमबुद्ध नगर पुलिस को भी इन सवालों पर अपने हिस्से की जिम्मेदारी का निर्वाह करना चाहिए।

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