ग्रेटर नोएडा वेस्ट के इस मुद्दे पर सवालों में घिरे एसीईओ अमनदीप डुली, निवासियों ने मांगा जवाब

बड़ी खबर : ग्रेटर नोएडा वेस्ट के इस मुद्दे पर सवालों में घिरे एसीईओ अमनदीप डुली, निवासियों ने मांगा जवाब

ग्रेटर नोएडा वेस्ट के इस मुद्दे पर सवालों में घिरे एसीईओ अमनदीप डुली, निवासियों ने मांगा जवाब

Tricity Today | एसीईओ अमनदीप डुली

Greater Noida West : अथॉरिटी के एसीईओ अमनदीप डुली ने ग्रेटर नोएडा वेस्ट के सेक्टर-2 के  पॉकेट-सी और डी में सड़क निर्माण में घटिया निर्माण सामग्री लगाने के आरोप में कंपनी को ब्लैक लिस्ट कर दी, लेकिन ग्रेटर नोएडा वेस्ट के सेक्टर-दो के दोनों ब्लॉक में रहने वाले लोगों का कहना है कि एसीईओ ने प्रॉजेक्ट विभाग के उन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की, जिनकी देखरेख में यह सड़क बनाई गई।

डिवीज़न-3 के अफसरों पर क्यों नहीं हुई कार्रवाई
प्रॉजेक्ट विभाग के डिवीज़न-3 के उन अधिकारियों का भी उतनी ही दायित्व बनता है, जितना सडक बनाने वाली कंपनी है। सेक्टर-2 के आवंटियों की मांग है कि प्रॉजेक्ट विभाग के उन अधिकारी और कर्मचारियों के खिलाफ भी उसी तरह कार्रवाई की जाए। जिस तरह से कंपनी को ब्लैक लिस्ट करने के लिए की गई है।

"अफसरों की मिलीभगत होगी"
अथॉरिटी का नियम है कि जब भी कोई अथॉरिटी सड़क, नाले, नाली, सीवर, पानी और बिजली आदि विकास कार्य कराती है तो उस दौरान अथॉरिटी के कम से कम जेई का कार्य चलने के दौरान मौके पर मौजूद होना जरूरी है। जेई और सीनियर मैनेजर की देखरेख के बगैर सड़क नहीं बनाई जा सकती। एसआर के कंस्टेक्षन कंपनी ने यदि घटिया निर्माण किया है। जिससे सड़क बनने के बाद उखने लगी है तो उतना ही दोषी ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी के प्रॉजेक्ट विभाग में तैनात सीनियर मैनेजर और जेई भी दोषी है।

अथॉरिटी में ऊपर तक जाता है पैसे
सीनियर मैनेजर, जेई और टेक्निकल सुपरवाइजर की देखरेख में सड़क बनाई जाती है। सेक्टर के लोगों की मांग है कि प्रॉजेक्ट विभाग के तीनों अधिकारियों की लापरवाही सीधे दिखाई देती है। इन तीनों अधिकारियों के खिलाफ भी एसीईओ को कार्रवाई की जानी चाहिए। अकेले कंपनी को ही दोषी क्यों माना जाए। कंपनी के ठेकेदार का कहना है कि सबसे अधिक कमीशन जेई तीन प्रतिशत, सीनियर मैनेजर दो प्रतिशत, जीएम डेढ़ प्रतिशत कार्य में कमीशन लेता है। इसके अलावा क्वालिटी और टेक्निकल विभाग का अलग कमीशन होता हैं। सेक्टर-2 के आवंटियों की मांग है कि इस कार्य में लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई की जानी चाहिए।

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