आम्रपाली गोल्फ होम्स में मनमर्जी से बनाई तदर्थ एओए, बात सुनने से साफ इनकार

सुप्रीम कोर्ट के रिसीवर बने या राजा? आम्रपाली गोल्फ होम्स में मनमर्जी से बनाई तदर्थ एओए, बात सुनने से साफ इनकार

आम्रपाली गोल्फ होम्स में मनमर्जी से बनाई तदर्थ एओए, बात सुनने से साफ इनकार

Tricity Today | सुप्रीम कोर्ट के रिसीवर बने राजा?

Greater Noida News : एक कहावत तो आपने सुनी होगी, “आसमान से टपके और खजूर पर अटके”, यही हाल आजकल आम्रपाली बिल्डर से त्रस्त फ़्लैट खरीदारों का हो गया है। सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली बिल्डर की मनमानी, धोखाधड़ी, जालसाजी और तानाशाही से हज़ारों फ़्लैट खरीदारों को निजात दिला दी, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट के रिसीवर ही इन फ़्लैट खरीदारों को दर्द दे रहे हैं। फ़्लैट खरीदारों का कहना है, “सुप्रीम कोर्ट के रिसीवर सुपर पावर बन गए हैं। उनका व्यवहार राजा जैसा है। मनमानी कर रहे हैं। अगर कोई सवाल करे या ग़लत फ़ैसले पर आवाज़ उठाए तो आम्रपाली के प्रोजेक्ट्स पर काम बंद करने की धमकी देते हैं।” ताज़ा मामला ग्रेटर नोएडा वेस्ट की आम्रपाली गोल्फ होम्स सोसायटी में तदर्थ अपार्टमेंट ओनर्स एसोसिएशन गठित करने का है। कोर्ट रिसीवर के इस फ़ैसले को यहां के निवासी मनमाना और तानाशाही क़रार दे रहे हैं।

क्या है पूरा मामला
आम्रपाली बिल्डर्स के प्रोजेक्ट्स को पूरा करवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट की ओर से नियुक्त रिसीवर सीनियर एडवोकेट आर रमणी ने 8 जुलाई 2023 को एक पत्र जारी किया था। यह पत्र कोर्ट रिसीवर की आधिकारिक वेबसाइट पर जारी किया गया था। जिसमें लिखा गया है, “ग्रेटर नोएडा वेस्ट के आम्रपाली गोल्फ होम्स से जुड़ा निर्माण कार्य पूरा हो चुका है। नैशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन (एनबीसीसी) ने जानकारी दी है कि वे और उनके ठेकेदार अब गोल्फ़ होम सोसाइटी के हैंडओवर हो चुके फ़्लैट्स में किसी भी तरह का रखरखाव या संभाल नहीं करेंगे। सोसाइटी में रोज़मर्रा से जुड़ी सुविधाओं को पूरा करना ज़रूरी है। जैसे बिजली, पानी, सड़क और सामुदायिक स्थानों का रखरखाव करना है। ऐसे में यह ज़रूरी हो जाता है कि आम्रपाली गोल्फ होम्स में अपार्टमेंट ओनर्स एसोसिएशन (एओए) का गठन किया जाए। जब तक स्वतंत्र और वैधानिक एओए का गठन नहीं हो जाता, तब तक एक तदर्थ एओए का गठन करना होगा। यह तदर्थ एओए पंजीकृत और वैधानिक एओए के अस्तित्व में आने तक यह सारे कामकाज देखेगी। सीनियर एडवोकेट आर रमणी की ओर से जारी किए गए इस पत्र में तदर्थ एओए के कामकाज का ब्यौरा भी दिया गया है। जिसमें सोसाइटी के रखरखाव के अलावा बैंक अकाउंट ऑपरेट करने, सरकारी-ग़ैर सरकारी एजेंसियों के साथ व्यवहार करने और वसूली-भुगतान जैसे महत्वपूर्ण अधिकार इस तदर्थ को दिए गए हैं।

विवाद क्या है
कोर्ट रिसीवर सीनियर एडवोकेट आर रमणी की ओर से 8 जुलाई 2023 को जारी किए गए इस पत्र के अंत में लिखा गया है, “इस पत्र में वर्णित सभी सूचनाएं आम्रपाली गोल्फ होम्स और किंग्सवुड प्रोजेक्ट के सभी फ़्लैट बायर्स के संज्ञान में ला दी जाएं, जिससे इस उद्देश्य की प्रक्रिया को पूरा करवाया जा सके।” आम्रपाली गोल होम्स के निवासी दिलीप कुमार का कहना है, “यह सूचना आधिकारिक वेबसाइट पर आने के बाद लोगों ने तदर्थ अपार्टमेंट ओनर्स एसोसिएशन का चयन करने के लिए कोर्ट रिसीवर से मीटिंग का समय मांगा। उनसे संपर्क करने की कोशिश की गई। जब कोर्ट रिसीवर के कार्यालय की ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया तो उन्हें सैकड़ों निवासियों ने ई-मेल किए। किसी ई-मेल का जवाब कोर्ट रिसीवर की ओर से नहीं दिया गया है।” दिलीप कुमार आगे कहते हैं, “अब अचानक 22 जुलाई को कोर्ट रिसीवर की वेबसाइट पर एक नया पत्र जारी किया गया है। जिसमें तदर्थ अपार्टमेंट ओनर्स एसोसिएशन के गठन की जानकारी दी गई है। बेहद आपत्तिजनक बात यह है कि तदर्थ अपार्टमेंट ओनर्स एसोसिएशन के गठन का यह पत्र भी 8 जुलाई को ही जारी किया जा चुका था। जिसे अब तक वेबसाइट पर अपलोड नहीं किया गया था। मतलब, कोर्ट रिसीवर सीवर ने जिस दिन तदर्थ एओए का गठन करने की प्रक्रिया शुरू की थी, उसे तो वह उसी दिन अपनी मनमर्ज़ी से गठित कर चुके थे। यही वजह रही कि वह हम लोगों से बात करना नहीं चाहते थे। उन्होंने आम्रपाली गोल्फ होम्स या किंग्सवुड हाउसिंग सोसाइटी के निवासियों के साथ मीटिंग करना उचित नहीं समझा है।” दिलीप कुमार कहते हैं कि यह पूरी तरह मनमानी, तानाशाही रवैया और अलोकतांत्रिक है। सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट होने के बावजूद कोर्ट रिसीवर राजा बन गए हैं।

“सुप्रीम कोर्ट से झूठ बोला”
दिलीप कुमार ने आगे बताया, “मैंने सीनियर एडवोकेट आर रमणी को वॉट्सएप पर आठ जुलाई के बाद कई बार मैसेज किए। उनसे मिलने का वक़्त मांगा। उन्होंने कह दिया कि उनके पास इन सब फ़िज़ूल बातों के लिए समय नहीं है। मैंने उनके सहायकों से मिलकर अपनी बात रखने का प्रस्ताव दिया। इस प्रस्ताव को भी ख़ारिज कर दिया। उन्होंने फिर कहा कि उनके और उनके सहायकों के पास इतना समय नहीं है कि हम लोगों के साथ इस मुद्दे पर बात करें।” दिलीप कुमार का कहना है कि कुल मिलाकर आर रमणी मनमानी करके और ग़लत ढंग से तदर्थ अपार्टमेंट ओनर्स एसोसिएशन बनाना चाहते थे। इस वजह से उन्हें हमारा पक्ष फ़िज़ूल लग रहा था। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से झूठ बोला है। जब आर रमणी अटॉर्नी जरनल ऑफ़ इंडिया नियुक्त किये गये थे तो आम्रपाली से जुड़े मुक़दमे पर सुनवाई करते हुए अदालत ने उनसे पूछा था कि अब समय दे पाएंगे या नहीं दे पाएंगे। इस पर आर रमणी ने अदालत से कहा था कि वह पूरा समय देंगे। अब वह कहते हैं कि उनके पास समय नहीं है। सुप्रीम कोर्ट में जब इस मामले की अगली सुनवाई होगी तो हम उनके इस व्यवहार की जानकारी अदालत को देंगे।

“काम बंद करने की धमकी”
आम्रपाली गोल्फ होम्स के एक अन्य निवासी अरुण कुमार का कहना है, “कोर्ट रिसीवर ने अवैधानिक रूप से तदर्थ अपार्टमेंट ओनर्स एसोसिएशन का गठन कर दिया। वह बात नहीं करते और मुलाकात भी नहीं करते हैं। जब वाट्सएप पर यह ‘अनलॉफुल प्रोसीजर’ पूरा करने के लिए वजह पूछी गई तो उन्होंने धमकी भरे लहजे़ में लिखकर भेजा कि अगर आप लोग बात-बात पर रोक-टोक करेंगे, उनके काम को अवैधानिक बताएंगे तो आम्रपाली से जुड़े सारे काम छोड़ देंगे।” अरुण आगे कहते हैं, “यह पूरी तरह धमकी है। उन्हें सुप्रीम कोर्ट ने कोर्ट रिसीवर नियुक्त किया था, उनकी मर्ज़ी पूछकर नियुक्त किया गया था। यह फ़्लैट बायर्स पर एहसान नहीं है। अगर आर रमणी कोर्ट रिसीवर बनने से इनकार कर देते तो सुप्रीम कोर्ट किसी दूसरे वक़ील को यह ज़िम्मेदारी सौंप देती। अगर वह आज मना कर देंगे तो अदालत किसी दूसरे को कोर्ट रिसीवर नियुक्त कर देगी। इसमें अदालत या हमारे ऊपर आर रमणी अहसान नहीं कर रहे हैं। उनसे पिछली सुनवाई के दौरान ख़ुद अदालत ने पूछा था। तब उन्होंने आगे बढ़कर ज़िम्मेदारी उठायी थी। अगर समय नहीं था तो उसी दिन इस ज़िम्मेदारी से हट जाना चाहिए था।”

आर रमणी के प्रत्युत्तर का इंतजार
इस पूरे प्रकरण पर जानकारी लेने के लिए सुप्रीम कोर्ट के रिसीवर सीनियर एडवोकेट आर रमणी से संपर्क करने का प्रयास किया गया। उनकी ओर से आम्रपाली समूह के फ़्लैट खरीदारों को उपलब्ध करवाए गए मोबाइल नंबर पर कॉल की गई। उन्होंने कॉल रिसीव नहीं की। उनके वॉट्सऐप पर मैसेज भेजा गया है। उस पर उनकी ओर से अभी तक कोई उत्तर नहीं दिया गया है। उनके प्रत्युत्तर का इंतज़ार किया जा रहा है। अगर आर रमणी जानकारी देंगे तो न्यूज़ अपडेट की जाएगी। आपको बता दें कि सीनियर एडवोकेट आर रमणी इस वक़्त भारत सरकार के एडवोकेट जर्नल हैं।

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