लीजबैक मामले में बड़ी खबर, एसआईटी ने शासन को भेजी रिपोर्ट, जल्द होगा एक्शन

Greater Noida : लीजबैक मामले में बड़ी खबर, एसआईटी ने शासन को भेजी रिपोर्ट, जल्द होगा एक्शन

लीजबैक मामले में बड़ी खबर, एसआईटी ने शासन को भेजी रिपोर्ट, जल्द होगा एक्शन

Tricity Today | ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण

Greater Noida : ग्रेटर नोएडा के हजारों किसानों के लिए बड़ी खबर है। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के लीजबैक मामले में जांच कर रही स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) ने अपनी पूरी रिपोर्ट उत्तर प्रदेश शासन को भेज दी है। अब इस मामले में उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी, जिन्होंने गलत तरीके से इसका फायदा उठाया था। एसआईटी टीम ने पूरी रिपोर्ट उत्तर प्रदेश शासन को भेज दी है। इस मामले पर ग्रेटर नोएडा के 44 गांवों में हजारों किसान प्रभावित हैं।

कई वर्षों पुरानी मांग पूरी हुई
किसानों के लीज बैक के प्रकरणों में 19 जनवरी 2019 को शासन ने एसआईटी जांच का आदेश दिया था। यमुना प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी डॉ.अरुणवीर सिंह की अध्यक्षता में एसआईटी गठित की गई थी। जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट 6 जनवरी 2021 को शासन को भेज दी थी, जो उस समय से ही लंबित थी। मामले की जनप्रतिनिधियों ने उठाया। किसानों ने मुख्यमंत्री से मिलकर शिकायत की थी। इस पर सीएम ने आश्वासन दिया था कि जल्द ही किसानों की सभी शिकायतों का निस्तारण किया जाएगा। अब ग्रेटर नोएडा के 44 गांवों के किसानों की वर्षों पुरानी मांग पूरी होने वाली है। इस मामले की पूरी जांच रिपोर्ट अब एसआईटी ने उत्तर प्रदेश शासन को भेज दी है।

डॉ.अरुणवीर सिंह की अध्यक्षता में हुई जांच
इस मामले में ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के तत्कालीन सीईओ डॉक्टर प्रभात कुमार ने शिकायत के बाद जांच करवाई थी। जांच में काफी कमियां और गड़बड़ियां पाई गई थीं। इन गड़बड़ियों के पास जाने के बाद हाई पावर कमेटी का गठन किया गया। इसी साल 10 जनवरी 2022 को यमुना प्राधिकरण के सीईओ डॉ.अरुणवीर सिंह की अध्यक्षता में जांच पूरी हुई थी।

एसआईटी ने 2,192 मामलों की जांच की
वर्ष 2018 में ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी के तत्कालीन चेयरमैन डॉ.प्रभात कुमार से लीजबैक घोटाले की शिकायत की गई थी। प्रभात कुमार ने बिसरख गांव से जुड़े 10 मामलों की जांच करवाई थी। जांच रिपोर्ट में भारी गड़बड़ियां पाई गई थीं। इस पर प्रभात कुमार ने शासन को रिपोर्ट भेजकर गहराई से जांच करवाने की सिफारिश की। राज्य सरकार ने सभी मामलों की जांच करने के लिए स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम का गठन किया। यमुना अथॉरिटी के मुख्य कार्यपालक अधिकारी डॉ.अरुणवीर सिंह की अध्यक्षता में एसआईटी गठित की गई। नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी एसआईटी के सदस्य थे। अब एसआईटी ने सभी 2,192 मामलों की जांच कर ली है। जिनमें बड़े पैमाने पर गड़बड़ी पाई गई हैं।

9 दिसंबर 2021 को अंतरिम रिपोर्ट शासन को सौंपी
डॉक्टर अरुणवीर सिंह की अध्यक्षता वाली एसआईटी ने अपनी प्रारंभिक जांच करने के बाद 9 दिसंबर 2021 को अंतरिम रिपोर्ट शासन को भेज दी थी। इसके बाद व्यापक रूप से जांच की गई। एसआईटी ने 10 जनवरी 2020 को लीजबैक के सभी मामलों की जांच पूरी कर ली थी। अब विस्तृत रिपोर्ट शासन को भेजी गई है। डॉक्टर अरुणवीर सिंह ने कहा, "नियमावली से पूर्व और नियमावली लागू होने के बाद दिए गए लाभ से जुड़े मामलों की जांच पूरी कर ली गई है। नियमावली बनने से पहले जिन लोगों को लाभ दिए गए हैं, ऐसे केवल 2 गांव खेड़ा चौगानपुर और बादलपुर जुड़े मामले हैं। नियमावली आने से पहले लीजबैक के जरिए बादलपुर गांव के 114 और खेड़ा चौगानपुर गांव के 94 लोगों को जमीन वापस लौट आई गई थी।

तीन चरणों में लीजबैक का लाभ दिया गया
ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण के दायरे वाले गांवों में जिन 2,192 लोगों को लीजबैक का फायदा दिया गया है, उन्हें 3 चरणों में यह लाभ मिला है। वर्ष 2010 से पहले खेड़ा चौगानपुर और बादलपुर गांव में लीजबैक की गई है। तब तक कोई शासनादेश और नियमावली नहीं बनाई गई थी। अथॉरिटी के अधिकारियों ने बोर्ड में प्रस्ताव पास करके 208 लोगों को लाभ पहुंचाया। 24 अप्रैल 2010 को राज्य सरकार ने एक शासनादेश जारी किया। जिसके आधार पर 1,451 लोगों को लीजबैक की गई है। 7 अक्टूबर 2011 को लीजबैक नियमावली लागू की गई। यह नियमावली प्राधिकरण ने बनाई। बोर्ड में पास की गई और फिर राज्य सरकार से पारित करवाई गई। 2015 में इसमें संशोधन भी किया गया है। इस नियमावली के तहत केवल 533 लोगों को लाभ दिया गया है।

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