माफिया ने नोटबंदी के दौरान ब्लैकमनी खपाई, गांव में फर्जी नाम और पतों पर हड़पी गई करोड़ों की जमीन

चिटहेरा भूमि घोटाला : माफिया ने नोटबंदी के दौरान ब्लैकमनी खपाई, गांव में फर्जी नाम और पतों पर हड़पी गई करोड़ों की जमीन

माफिया ने नोटबंदी के दौरान ब्लैकमनी खपाई, गांव में फर्जी नाम और पतों पर हड़पी गई करोड़ों की जमीन

Tricity Today | चिटहेरा भूमि घोटाला

ग्रेटर नोएडा के चिटहेरा भूमि घोटाले में परत-दर-परत चौंकाने वाले तथ्य सामने आ रहे हैं। यह पूरा घोटाला नोटबंदी के दौरान अंजाम दिया गया है। इसमें बड़े पैमाने पर माफिया ने ब्लैक मनी खपाई है। कुछ लोगों को फर्जी ढंग से चिटहेरा गांव में प्लांट किया गया। यह लोग दलित समाज से ताल्लुक रखते हैं। जिससे चिटहेरा गांव के दलितों को सरकार से पट्टों पर मिली जमीन इन लोगों के नाम खरीदना आसान हो गया। इसके बाद रद्द किए जा चुके पट्टे राजस्व अफसरों से मिलीभगत करके बहाल करवाए गए। बहाली आदेश पर स्टे होने के बावजूद ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी से करोड़ों रुपये मुआवजा लिया गया है। कुल मिलाकर ब्लैकमनी रातोंरात वैध हो गई।

इस तरह पूरा घोटाला हुआ
  1. माफिया ने कृष्णपाल पुत्र अजब सिंह, कर्मवीर पुत्र प्यारेलाल और बैलू पुत्र रामस्वरूप नाम के तीन लोगों को चिटहेरा गांव का निवासी फर्जी ढंग से दर्शाया। इनके घर का पता मकान नंबर 380 लिखा गया है। इन तीनों के नाम गांव में 106 पट्टों की जमीन खरीदी गई। ट्राईसिटी टुडे ने पड़ताल की तो पता लगा कि तीनों लोग बागपत जिले में बरवाला गांव के मूल निवासी हैं। तीनों अनुसूचित जनजाति से हैं। इस पूरे घोटाले को अंजाम देने के लिए ब्लैकमनी माफिया ने इनके नाम पर खपाई है। यह पूरा काम नोटबंदी के दौरान वर्ष 2016 और 2017 में किया गया है।
  2. इसके बाद माफिया ने कृष्णपाल, कर्मवीर और बैलू से पॉवर ऑफ अटॉर्नी अपने गुर्गे के नाम करवाई। पॉवर ऑफ अटॉर्नी के आधार पर जमीन का बैनामा ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण के नाम कर दिया गया। प्राधिकरण ने जब यह पट्टों की जमीन खरीदी थी, तब अपर आयुक्त ने इन पर स्टे लगाया था। दादरी तहसील के अफसरों ने इस आदेश को दरकिनार करके जमीन का सत्यापन किया है। अथॉरिटी से करोड़ों रुपये मुआवजा वर्ष 2018 में लिया गया है।
  3. जमीन की खरीद-फरोख्त में यह नियम है कि प्रतिफल मालिक को मिलना चाहिए। इसके लिए कृष्णपाल, कर्मवीर और बैलू के नाम से चिटहेरा गांव में एचडीएफसी बैंक में एकाउंट खुलवाए गए। यह पैसा निकालने के लिए माफिया ने अपने एक घनिष्ठ रिश्तेदार को तीनों बैंक खातों में जॉइंट होल्डर बनाया। इससे इन खातों से पैसा निकालना आसान हो गया। कुल मिलाकर माफिया ने हर हथकंडे का इस्तेमाल किया है।

माफिया ने अपनी पहचान छिपाने की कोशिश की
इस पूरे घोटाले में माफिया ने अपनी पहचान छिपाने की हर संभव कोशिश की है। यही वजह रही कि जरूरत ना होने के बावजूद कृष्णपाल, कर्मवीर और बैलू को फर्जी ढंग से चिटहेरा गांव का निवासी बनाया गया है। जिससे माफिया की पहचान करना मुश्किल हो जाए। ट्राईसिटी टुडे के पास दस्तावेज उपलब्ध हैं, जिससे पता चलता है कि कृष्णपाल, कर्मवीर और बैलू बागपत जिले में बरवाला गांव के निवासी हैं।

संगठित अपराधी शामिल, यूपी एसटीएफ की जांच शुरू
इस पूरे घोटाले को संगठित होकर अंजाम दिया गया है। जिसमें माफिया के साथ कई अफसर, नेता और कंपनियां शामिल हैं। मामले की शिकायत लोनी के रहने वाले प्रताप सिंह ने पुलिस महानिदेशक मुकुल गोयल से की है। डीजीपी ने मामले में जांच करने का आदेश यूपी एसटीएफ को दिया है। एसटीएफ की नोएडा ब्रांच के डीएसपी देवेंद्र सिंह इस घोटाले की जांच कर रहे हैं। डीएसपी का कहना है कि जल्दी रिपोर्ट देंगे। हर एंगल से जांच कर रहे हैं।

जिले के सामाजिक संगठन हाईकोर्ट का रुख करेंगे
माफिया ने चिटहेरा गांव के किसानों और दलितों से जमीन हड़पने के लिए हर हथकंडा अपनाया। जबरन जमीन लेने के लिए ग्रामीणों के खिलाफ फर्जी मुकदमे दर्ज करवाए गए। चिटहेरा गांव के निवासी किसान नेता और पूर्व सैनिक सुनील फौजी को भी ऐसे ही फर्जी मुकदमे में पंजाब पुलिस गिरफ्तार करके ले गई थी। बाद में उन्हें अदालत ने बरी किया था। दरअसल, वह इस घोटाले की शिकायत शासन से कर रहे थे। इन्हीं सारे तथ्यों के आधार पर शहर के सामाजिक संगठन प्रयागराज हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे। इस पूरे मामले की जांच सीबीआई से करवाने की मांग करेंगे।

अभी ट्राईसिटी टुडे इस घोटाले से जुड़े दस्तावेजों और चिटहेरा गांव के लोगों पर दर्ज करवाए गए मुकदमों की पड़ताल कर रहा है। जैसे-जैसे तथ्य सामने आएंगे, हम आपके सामने रखते जाएंगे। यह कानून के दुरूपयोग, भ्रष्टाचार और गौतमबुद्ध नगर में बेशकीमती सरकारी जमीनों पर माफियाराज का बड़ा उदाहरण है।

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