जेवर एयरपोर्ट को जमीन देने वाले किसान डीएम से बोले- हमारे साथ हो रहा अन्याय, किसानों को कलेक्ट्रेट लेकर पहुंचे थे विधायक

बड़ी खबर : जेवर एयरपोर्ट को जमीन देने वाले किसान डीएम से बोले- हमारे साथ हो रहा अन्याय, किसानों को कलेक्ट्रेट लेकर पहुंचे थे विधायक

जेवर एयरपोर्ट को जमीन देने वाले किसान डीएम से बोले- हमारे साथ हो रहा अन्याय, किसानों को कलेक्ट्रेट लेकर पहुंचे थे विधायक

Tricity Today | किसानों ने की डीएम के सामने उठाए मुद्दे

Greater Noida News : जेवर में बन रहे नोएडा अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे से प्रभावित किसानों ने शुक्रवार की दोपहर रबूपुरा में विधायक ठाकुर धीरेंद्र सिंह का घेराव किया। किसानों का आरोप है कि एयरपोर्ट के लिए भूमि अधिग्रहण करते वक्त तमाम वादे किए गए थे। इनमें से कोई पूरा नहीं हुआ है। किसानों को दर-दर की ठोकरें खानी पड़ रही हैं। इसके बाद धीरेंद्र सिंह किसानों को लेकर कलेक्ट्रेट पहुंचे। जिलाधिकारी सुहास एलवाई और मुख्य विकास अधिकारी अनिल कुमार सिंह के साथ किसानों की बैठक हुई। किसानों ने कई गंभीर मसले डीएम के सामने उठाए हैं। डीएम ने किसानों को आश्वासन दिया है कि सभी जायज मांगों को जल्द पूरा करवाया जाएगा।

हमने भविष्य के लिए जमीन दी थी, हमारे साथ अन्याय ना करें : सुधीर त्यागी
किसान कल्याण परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुधीर त्यागी ने जिलाधिकारी से कहा, "हम लोगों ने अपनी आने वाली पीढ़ियों के भविष्य और देश की अर्थव्यवस्था को संवारने के लिए जमीन खुशी-खुशी दी थी लेकिन अब हमें दुख महसूस हो रहा है। हमें लगता है कि हमारे साथ अन्याय हुआ है। जमीन लेते वक्त सरकार और प्रशासन ने तमाम वादे किए थे। उनमें से कुछ वादों पर आंशिक रूप से काम हुआ है। बाकी पर गंभीरता से सुनवाई भी नहीं की जा रही है।" सुधीर त्यागी ने आगे कहा, "इस जिले में एक इंच जमीन लेने के लिए किसानों ने खून बहाया है, लेकिन हम लोगों ने जेवर एयरपोर्ट के लिए सहर्ष जमीन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सौंप दी थी। अब हमारे साथ अन्याय नहीं होना चाहिए।"

किसानों की ओर से उठाए गए प्रमुख मुद्दे

1. स्टांप ड्यूटी में छूट नहीं मिली : किसानों ने बताया कि मुआवजे की धनराशि से किसान कृषि भूमि और आवासीय भूखंड खरीद रहे हैं। सरकार ने वादा किया था, इस संपत्ति खरीद पर रजिस्ट्रेशन फीस और स्टैंप ड्यूटी नहीं ली जाएगी। अब तक इस वादे को पूरा नहीं किया गया है। अगर किसी किसान को रजिस्ट्रेशन फीस और स्टांप शुल्क में छूट दी गई है तो उसके बारे में जिला प्रशासन को जानकारी देनी चाहिए। हमारी जानकारी में तो ऐसा कोई किसान नहीं है।

2. तहसील व जिला प्रशासन सुनवाई नहीं करते : किसानों ने कहा कि एयरपोर्ट के लिए भूमि अधिग्रहण से प्रभावित होने वाले किसानों को सरकारी योजनाओं के लाभ प्राथमिकता के आधार पर मिलेंगे, उनकी बात तहसील और जिला मुख्यालय पर प्राथमिकता से सुनी जाएगी, ऐसा वादा किया गया था। किसानों की पहचान करने के लिए स्मार्ट कार्ड जारी करने की बात कही गई थी। अभी तक एक भी किसान को स्मार्ट कार्ड बनाकर नहीं दिया गया है। यह व्यवस्था देशभर के दूसरे इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट और दुनिया के कई हिस्सों में लागू है।

3. टाउनशिप में सरकारी स्कूल नहीं बना, प्राइवेट स्कूलों की महंगी फीस : किसानों ने जिलाधिकारी से कहा कि हम लोगों को गांवों से विस्थापित करके जेवर के पास टाउनशिप में बसाया गया है। टाउनशिप में अब तक मूलभूत सुविधाएं पूरी तरह विकसित नहीं हो पाई हैं। अभी तक स्कूल बनाकर नहीं दिया गया है। गांवों में प्राइमरी स्कूल, जूनियर हाईस्कूल और इंटर कॉलेज थे। जिनमें हमारे बच्चे निशुल्क शिक्षा ग्रहण कर रहे थे। अब मजबूर होकर किसान परिवारों को अपने बच्चों के दाखिले प्राइवेट स्कूलों में करवाने पड़ रहे हैं। इन प्राइवेट स्कूलों की फीस बहुत ज्यादा है। जिसे भरना हमारे बूते की बात नहीं है। लिहाजा, स्कूलों की स्थापना प्राथमिकता के आधार पर की जानी चाहिए।

4. गंदगी से बीमार हो रहे हैं, लोग अस्पताल है नहीं : किसानों ने डीएम को बताया कि टाउनशिप में अस्पताल बनाने का वादा किया गया था। जिस पर अब तक कोई काम नहीं किया गया है। टाउनशिप में सीवर लाइन डाली गई है लेकिन यह सीवर लाइन टाउनशिप से बाहर कहीं नहीं जा रही है। ऐसे में पूरी टाउनशिप की नालियां चॉक हो चुकी हैं। पानी नालियों में भरा हुआ है। जिनमें मच्छर पैदा हो रहे हैं। पूरी टाउनशिप में बदबू फैली हुई है। सफाई का कोई इंतजाम नहीं है। बड़ी संख्या में टाउनशिप के निवासी बीमार हैं। टाउनशिप में कोई सफाई कर्मचारी नियुक्त नहीं किया गया है। ऊपर से कूड़ा उठाने की कोई व्यवस्था नहीं है। लोग घरों से कूड़ा निकालकर नालियों में भर रहे हैं। जिससे टाउनशिप का इंफ्रास्ट्रक्चर तेजी के साथ बर्बाद हो रहा है। टाउनशिप में सफाई कर्मचारियों की नियुक्ति की जानी चाहिए।

5. एयरपोर्ट से जुड़े काम किसान परिवारों को नहीं मिल रहे : किसानों ने एक और बड़ा मुद्दा उठाया। कहा कि हमारे पास ट्रैक्टर-ट्रॉली और खेतीबाड़ी में काम आने वाले तमाम संसाधन हैं। भूमि अधिग्रहण होने के बाद यह सारे संसाधन बेकार हो गए हैं। हम लोगों से प्रशासन और यमुना प्राधिकरण ने वादा किया था कि जब एयरपोर्ट का निर्माण शुरू होगा तो किसानों को छोटे-छोटे काम दिए जाएंगे। जिससे हमारे संसाधन उपयोग में आते रहेंगे। स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर भी मिलेंगे। अब बाहर से आए ठेकेदारों को बड़े-बड़े काम दिए जा रहे हैं। इस विकास में स्थानीय किसान सहभागी नहीं बन पा रहे हैं।

6. गांवों में आवागमन के सारे रास्ते बंद हुए : किसानों ने कहा, रास्ता हमारा मौलिक अधिकार है। भूमि अधिग्रहण और जेवर एयरपोर्ट के निर्माण के कारण रास्ते खत्म कर दिए गए हैं। अभी तक वैकल्पिक रास्तों का निर्माण नहीं किया गया है। जिसकी वजह से बेहद परेशानी हो रही है। रात के वक्त अगर कोई बीमार पड़ जाए तो उसे अस्पताल लेकर जाना भी मुश्किल है। जेवर एयरपोर्ट के चारों ओर गांवों के रास्ते खत्म हो गए हैं। इस दिशा में जिला प्रशासन को तेजी से काम करना चाहिए।

किसानों से किए गए सारे वादे पूरे करेंगे : सुहास एलवाई
जिलाधिकारी सुहास एलवाई ने करीब एक घंटे तक किसानों की सारी समस्याएं सुनीं। डीएम सुहास एलवाई ने कहा, "मैंने सारी बातें सुन ली हैं। इनका शीघ्र समाधान किया जाएगा। एयरपोर्ट के लिए आर एंड आर के वक्त जो वादे किए गए थे, वह सभी पूरे किए जाएंगे। अब तक किसानों की ओर से आने वाली सभी शिकायतों का तत्काल निवारण किया जाता रहा है। आगे भी ऐसा किया जाएगा। इसमें कोई दो राय नहीं है कि आप लोगों ने जमीन देकर उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था में बड़ा योगदान दिया है। राज्य सरकार और गौतमबुद्ध नगर जिला प्रशासन इसके लिए किसानों के सदैव आभारी रहेंगे। मैं आप लोगों की मांगों पर सभी जिम्मेदार अफसरों को तेजी से काम करने के लिए नियुक्त कर रहा हूं। नियमित रूप से प्रगति की समीक्षा करूंगा।" डीएम ने आगे कहा, "अगर किसी किसान को कभी कोई परेशानी हो तो वह आकर मिल सकते हैं।"

मैं किसानों के साथ हूं : धीरेन्द्र सिंह
विधायक धीरेंद्र सिंह ने किसानों और जिलाधिकारी के बीच वार्ता करवाई। वह खुद मध्यस्थ की भूमिका में रहे। धीरेन्द्र सिंह ने कहा, "किसानों के हितों पर कोई आंच नहीं आएगी। सारी जायज मांगे पूरी होंगी। जो वादे किए गए थे, उनमें से जो काम शेष बचा है, वह जल्दी पूरा करवाया जाएगा। शासन, जिला प्रशासन और यमुना प्राधिकरण में जहां कहीं भी कोई रुकावट आएगी, मैं आगे बढ़कर उसका निदान करूंगा।"

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