Tricity Today | गौतमबुद्ध नगर जिला पंचायत के विजयी उम्मीदवार
गौतमबुद्ध नगर जिला पंचायत के लिए 5 सदस्यों का चुनाव करवाया गया था। इसका आधिकारिक परिणाम जिला प्रशासन ने जारी कर दिया है। खास बात यह है कि जिला पंचायत के लिए चुनाव लड़ रहे कई दिग्गजों को करारी हार का सामना करना पड़ा है। दूसरी ओर आम आदमी को वोटरों ने खासी तरजीह दी है। अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 5 में से 3 जिला पंचायत सदस्य सामान्य और जमीनी कार्यकर्ता हैं। इन्हें लोगों ने बड़े अंतर से जिताया है। अगर बड़े कद वाले लोगों की बात करें तो केवल पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष जयवती नागर वापसी करने में कामयाब हुई हैं। सबसे बड़ा झटका समाजवादी पार्टी के एमएलसी नरेंद्र भाटी और उनके छोटे भाई पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष बिजेंद्र भाटी को लगा है। अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि दूसरे नंबर पर रहने वाले उम्मीदवार भी ज्यादातर सामान्य लोग ही हैं।
सबसे पहले वार्ड नंबर-1 की बात करते हैं। वार्ड नंबर एक अनुसूचित जाति कि महिलाओं के लिए आरक्षित किया गया था। यहां से बिसाहड़ा गांव की रहने वाली मोहिनी को टिकट दिया गया। मोहिनी अनुसूचित जाति से हैं, लेकिन उनके पति ठाकुर बिरादरी से ताल्लुक रखते हैं। ऐसे में ठाकुर और दलितों ने मोहिनी को वोट दिया। जिसकी बदौलत वह कामयाब हुई हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि वार्ड नंबर-1 ठाकुर बाहुल्य निर्वाचन क्षेत्र है। यहां एक और चौंकाने वाला उलटफेर हुआ है। इस वार्ड से आम आदमी पार्टी की प्रत्याशी सरोज देवी दूसरे स्थान पर रही हैं। भारतीय जनता पार्टी की मोहिनी को 10,440 वोट मिले हैं। आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी सरोज को 6,351 वोट मिले हैं। इस तरह मोहिनी जाटव ने 4,089 मतों से जीत हासिल की है।
वार्ड नंबर-2 पर बहुजन समाज पार्टी की जयवती नागर ने जीत हासिल की है। जयवती नगर गौतमबुद्ध नगर जिला पंचायत की पूर्व अध्यक्ष हैं। वह बहुजन समाज पार्टी के कद्दावर नेता गजराज नगर की पत्नी हैं। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी की गीता नगर को पराजित किया है। जयवती नागर को 10,391 वोट मिले हैं। वहीं, भाजपा की गीता नागर को 9,614 वोट मिले हैं। इस तरह कांटे की टक्कर में जावती नागर ने महज 777 वोटों से कामयाबी हासिल की है। जानकारों का कहना है कि जयवती नागर और गजराज नागर लगातार जमीनी स्तर पर काम करते हैं। जिसकी बदौलत विपक्ष में रहने के बावजूद उन्होंने भाजपा को हराने में कामयाबी हासिल की है। दूसरी ओर गीता नगर और उनके पति लंबे अरसे से गाजियाबाद में रह रहे हैं। शुरू से ही चुनाव में इस मुद्दे को विपक्ष जोर-शोर से उठा रहा था।
वार्ड नंबर-3 पर भारतीय जनता पार्टी के युवा प्रत्याशी बृजेश उर्फ़ देवा भाटी ने जीत हासिल की है। देवा भाटी पिछली बार भी जिला पंचायत चुनाव लड़े थे और मामूली अंतर से हार गए थे। इस बार उन्हें एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी ने उम्मीदवार बनाया। देवा भाटी शुरू से ही चुनाव में मजबूत पकड़ बनाकर चल रहे थे। देवा भाटी को 9,464 वोट मिले हैं। उनके निकटतम प्रतिद्वंदी नफीस अहमद को 5,365 वोट मिले हैं। इस तरह देवा भाटी ने 4,099 मतों के बड़े अंतर से जीत हासिल की है। जानकारों का कहना है कि देवा भाटी की साफ छवि और युवा होना उनके लिए सबसे बड़ा फायदा साबित हुआ है। बड़ी बात यह है कि दूसरे स्थान पर रहे उम्मीदवार नफीस अहमद निर्दलीय चुनाव लड़ रहे थे। इस सीट पर सपा-राष्ट्रीय लोक दल गठबंधन, आम आदमी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार काफी पीछे छूट गए।
जिला पंचायत के वार्ड नंबर-4 पर सबसे बड़ा उलटफेर देखने के लिए मिला है। इस सीट पर पूरे जिले की निगाहें अटकी हुई थीं। दरअसल, यहां से बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष बिजेंद्र भाटी के बेटे अवनेश भाटी चुनाव लड़ रहे थे। अवनेश भाटी को चुनाव जिताने के लिए पक्ष और विपक्ष के तमाम नेता पुरजोर कोशिशों में जुटे थे। अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उनके ताऊ और समाजवादी पार्टी के विधान परिषद सदस्य नरेंद्र भाटी पार्टी प्रोटोकॉल को तोड़कर अपने भतीजे के पक्ष में चुनाव प्रचार करते नजर आए। इतना ही नहीं भारतीय जनता पार्टी के भी कई दिग्गज नेता अंदरखाने अवनेश भाटी के पक्ष में प्रचार कर रहे थे। इसके बावजूद इस सीट से निर्दलीय उम्मीदवार सुनील भाटी ने सबसे बड़ी जीत दर्ज की है। सुनील भाटी वैसे तो बहुजन समाज पार्टी के पुराने कार्यकर्ता हैं, लेकिन संगठन ने उन्हें टिकट नहीं दिया। लिहाजा, उन्होंने बागी बनकर चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया। सुनील को 13,889 वोट मिले हैं। दूसरे नंबर पर अवनेश भाटी रहे। उन्हें 8,577 वोट मिले हैं। इस तरह अवनेश भाटी 5,312 वोटों के बड़े अंतर से हार गए हैं।
जिला पंचायत की वार्ड नंबर-5 सीट भी हाई प्रोफाइल थी। यहां से भारतीय जनता पार्टी ने जिला महामंत्री अमित चौधरी को उम्मीदवार घोषित किया था। सपा-रालोद गठबंधन ने पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष रविंदर भाटी लडपुरा को मैदान में उतारा था। यहां शुरुआती दौर में भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने बगावत कर दी थी और दो स्थानीय नेताओं ने पार्टी उम्मीदवार के खिलाफ नामांकन भी दाखिल कर दिया था। इतना ही नहीं जातिगत आधार पर भी अमित चौधरी को चारों तरफ से घेरने में राजनीतिक दलों ने कोई कोर कसर बाकी नहीं छोड़ी थी। बहुजन समाज पार्टी ने कपिल देव छोकर और आम आदमी पार्टी ने अशोक जाटव को उम्मीदवार बनाया था। इस पूरी घेराबंदी के बावजूद अमित चौधरी जीत हासिल करने में कामयाब हुए हैं। हालांकि, खास बात यह है कि पांचों विजयी उम्मीदवारों में सबसे कम वोट अमित चौधरी को ही मिले हैं। अमित चौधरी को 8,084 वोट मिले हैं। उनके निकटतम प्रतिद्वंदी रोहताश शर्मा को 5,814 वोट मिले हैं। इस तरह अमित चौधरी 2,270 वोट से जीत हासिल करने में कामयाब हो गए हैं। बड़ी बात यह है कि पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष रविंद्र भाटी लडपुरा को वोटरों ने पूरी तरह खारिज कर दिया। वह दूसरे स्थान भी हासिल करने में कामयाब नहीं हुए।
आपको बता दें कि भारतीय जनता पार्टी के विश्वसनीय सूत्रों ने बताया है, अमित चौधरी भाजपा के जिला पंचायत अध्यक्ष उम्मीदवार होंगे। ऐसे में उनका जिला पंचायत अध्यक्ष बनना तय माना जा रहा है। दरअसल, 5 में से 3 सीट भारतीय जनता पार्टी जीत चुकी है।