अंगदी हुए अमनदीप दुली, तैनाती एपीसी ब्रांच लखनऊ में लेकिन ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी से नहीं छूट रहा मोह

दरोगा बन गए आईएएस : अंगदी हुए अमनदीप दुली, तैनाती एपीसी ब्रांच लखनऊ में लेकिन ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी से नहीं छूट रहा मोह

अंगदी हुए अमनदीप दुली, तैनाती एपीसी ब्रांच लखनऊ में लेकिन ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी से नहीं छूट रहा मोह

Tricity Today | अमनदीप दुली, आईएएस

  • अमनदीप का तबादला 2 सितम्बर 2023 को लखनऊ एग्रीकल्चर प्रोडक्शन ब्रांच में हो चुका
  •  ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी का मोह नहीं छूट रहा, 40 दिन बीतने के बावजूद यहीं जमे हुए हैं
Greater Noida : नोएडा और ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट तल्ख टिप्पणियां यूं ही नहीं करते हैं। इन दोनों अथॉरिटी में तैनाती पाने वाले अफसर आकर वापस लौटना ही नहीं चाहते हैं। भले ही देश की सबसे बड़ी और प्रतिष्ठित सिविल सेवा के अफसर ही क्यों न हों, अंगदी पांव जमाकर बैठ जाते हैं। अब ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी में लंबे अरसे से तैनात आईएएस अफसर अमनदीप दुली को ही ले लीजिए। अमनदीप का तबादला 2 सितम्बर 2023 को लखनऊ एग्रीकल्चर प्रोडक्शन ब्रांच में हो चुका है, लेकिन ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी का मोह छोड़े से भी छूट रहा है। अमनदीप 40 दिन बीतने के बावजूद यहीं जमे हुए हैं। अभी तक दरोगाओं के तबादलों में यह हालात थे, अब आईएएस भी मनचाही पोस्टिंग के लिए दरोगा बन गए हैं।

नियुक्ति विभाग की वेबसाइट के मुताबिक ज्वाइन कर चुके एपीसी ब्रांच
अमनदीप दुली 02 मार्च 2021 को बतौर अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण में आए थे। राज्य सरकार के नियुक्ति एवं कार्मिक विभाग ने अमनदीप का तबादला 2 सितम्बर 2023 को लखनऊ एग्रीकल्चर प्रोडक्शन ब्रांच में कर दिया। महकमे की वेबसाइट के मुताबिक उन्होंने एपीसी ब्रांच ज्वाइन कर ली है। दूसरी तरफ वह बदस्तूर ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी में काम कर रहे हैं। तबादला आदेश आए 40 दिनों से ज्यादा वक्त बीत गया है। अमनदीप अभी तक अथॉरिटी से कार्यमुक्त नहीं ही पाए हैं।

सीएम के अनुमोदन से जारी तबादला आदेश का पालन क्यों नहीं?
वर्ष 2015 बैच के आईएएस अमनदीप दुली ने तबादला आदेश का पालन नहीं किया है। उन्होंने अब तक विशेष सचिव एपीसी ब्रांच में कार्यभार ग्रहण नहीं किया है। अब सवाल ये उठता है कि क्या मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अनुमोदन के बाद जारी होने वाली तबादला आदेश पर आईएएस अफसर भी अमल नहीं कर रहे हैं। क्या यह अनुशासनहीनता की मिसाल नहीं है। अगर एक आईएएस अफसर शासन के आदेश का पालन नहीं कर रहा है तो छोटे अफसरों और कर्मचारियों से अनुशासन की अपेक्षा करना कितना जायज है? अगर आईएएस अफसर अनुशासित नहीं है तो जिस महकमे या जिले में वह काम करेगा, वहां सिस्टम कैसा रहेगा? यही वजह है कि अमनदीप दुली आजकल ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी में दफ्तर-दफ्तर चर्चाओं का विषय बने हुए हैं।

मनचाही मलाईदार पोस्टिंग के लिए जुगाड़ और आका प्रथा जारी
अमनदीप दुली और कई दूसरे आईएएस अफसर ट्रांसफर होने के बावजूद नई पोस्ट पर ज्वाइन नहीं कर रहे हैं। मनचाही जगह के लिए चक्कर लगाकर कृपा पाने की कोशिश चल रही हैं। क्या यह सीधे तौर पर शासन के इकबाल को चुनौती नही है? बहरहाल कुछ भी हो, इन मामलों को लेकर सत्ता के गलियारों में चर्चा-ए-आम है। ताकतवर गुट की पॉवर और कुछ आईएएस अफसरों को सरपरस्ती चर्चा का विषय बनी हुई है। अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि अमनदीप दुली का तबादला होने के बाद मुख्य कार्यपालक अधिकारी रवि कुमार एनजी ने नए सिरे से कार्य विभाजन किया। दुली को कार्यमुक्त करने की बजाय सीईओ ने इस कार्यालयी आदेश में उन्हें कई विभागों की जिम्मेदारियां सौंपी हैं।

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