मुलायम सिंह यादव के खिलाफ गौतमबुद्ध नगर के लोगों ने किया था छह महीने लम्बा आंदोलन, यह थी वजह

स्मृति शेष : मुलायम सिंह यादव के खिलाफ गौतमबुद्ध नगर के लोगों ने किया था छह महीने लम्बा आंदोलन, यह थी वजह

मुलायम सिंह यादव के खिलाफ गौतमबुद्ध नगर के लोगों ने किया था छह महीने लम्बा आंदोलन, यह थी वजह

Tricity Today | मुलायम सिंह यादव

Greater Noida : गौतमबुद्ध नगर जिले के लोग पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव को याद कर रहे हैं। जिले के लोगों के लिए उनकी मिली-जुली यादें हैं। मुलायम सिंह यादव के खिलाफ गौतमबुद्ध नगर के लोगों ने छह महीने लम्बा आंदोलन किया था। दरअसल, जब वह तीसरी बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने गौतमबुद्ध नगर जिले को भंग कर दिया था। जिसका यहां भारी विरोध हुआ था। करीब 6 महीने सरकार के खिलाफ आंदोलन चला था। अंततः सुप्रीम कोर्ट ने जिले को बहाल करने का आदेश राज्य सरकार को दिया। बड़ी बात यह है कि गौतमबुद्ध नगर में कभी समाजवादी पार्टी का उम्मीदवार जीत हासिल नहीं कर पाया है। जानकार इसके पीछे जिला भंग करने वाले फैसले को बड़ा कारण मानते हैं।

मुलायम ने पलटा था मायावती का फैसला
मुलायम सिंह यादव अपनी राजनीतिक ध्रुव विरोधी मायावती की सरकार को गिराकर 29 अगस्त 2003 को उत्तर प्रदेश के तीसरी बार मुख्यमंत्री बने थे। मायावती ने अपने कार्यकाल के दौरान गौतमबुद्ध नगर जिले का सृजन किया था। बुलंदशहर जिले से जेवर, दनकौर ब्लॉक काटे गए थे। इसी तरह गाजियाबाद से बिसरख और दादरी ब्लॉक काटकर गौतमबुद्ध नगर में शामिल किए गए थे। मायावती मूल रूप से बादलपुर गांव की रहने वाली हैं, जो उस वक्त गाजियाबाद के दादरी ब्लॉक का गांव हुआ करता था। लिहाजा, मायावती ने अपने गृह जनपद के तौर पर गौतमबुद्ध नगर का सृजन किया था। मुख्यमंत्री बनते ही मुलायम सिंह यादव ने जिला भंग कर दिया। बुलंदशहर और गाजियाबाद के हिस्से वापस दोनों जिलों में मिला दिए गए थे। 

सड़क पर आंदोलन से नहीं हारे थे मुलायम
मुलायम सिंह और उनकी सरकार के खिलाफ गौतमबुद्ध नगर में जन आक्रोश पैदा हो गया था। तमाम विपक्षी दल सरकार के खिलाफ खड़े हो गए। तत्कालीन सांसद अशोक प्रधान, दादरी के तत्कालीन विधायक नवाब सिंह नागर, मायावती की सरकार में राजस्व मंत्री रहे रवि गौतम और हालिया वक्त में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजकुमार भाटी ने उस आंदोलन की अगुवाई की थी। तब राजकुमार भाटी देहात मोर्चा में थे। यह सारे नेता दिल्ली जाकर तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से मुलायम सिंह की शिकायत करने गए थे। एक तरफ लोग सड़कों पर थे तो दूसरी तरफ सरकार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। करीब छह महीने सड़कों पर चले आंदोलन के बावजूद मुलायम सिंह टस से मस नहीं हुए। अंततः जनवरी 2004 में सरकार सुप्रीम कोर्ट में हार गई। तब मुलायम सिंह यादव को गौतमबुद्ध नगर जिले को दोबारा सृजित करना पड़ा था।

जिले में सपा को चुनावी सफलता नहीं मिली
दादरी के रहने वाले समाजसेवी डॉ.आनंद आर्य कहते हैं, "गौतमबुद्ध नगर जिले को भंग करना मुलायम सिंह यादव की बड़ी राजनीतिक भूल थी। यही वजह रही कि जिले की जनभावना समाजवादी पार्टी और मुलायम सिंह यादव के विरुद्ध खड़ी हो गई थी। बाद में तमाम कोशिशें करने के बावजूद मुलायम सिंह यादव गौतमबुद्ध नगर के निवासियों को प्रभावित नहीं कर पाए। हालांकि, वह हर लोकसभा और विधानसभा चुनाव में अपने प्रत्याशियों का प्रचार करने दादरी आते थे। अपने आखिरी चुनाव प्रचार में उन्होंने उम्मीदवार नरेंद्र भाटी के लिए बड़ी भावुक अपील की थी।  फिर भी नरेंद्र सिंह भाटी को हार का सामना करना पड़ा था।  मैं मानता हूं कि गौतमबुद्ध नगर जिले को भंग करना समाजवादी पार्टी के लिए हमारे जिले में असफलता का सबसे बड़ा कारण रहा है।"

कई कारणों में एक यह वजह है
समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता राजकुमार भाटी कहते हैं, "गौतमबुद्ध नगर में हमारी पार्टी को चुनावी सफलता ना मिलने के पीछे जिले को भंग करना एक वजह रही है, यह बात सही है, लेकिन इसके पीछे कई और दूसरे कारण भी हैं। जिन पर कभी विचार नहीं किया गया और उनका समाधान भी नहीं तलाश किया गया। मतलब, समाजवादी पार्टी के पास जिले में कोई मजबूत नेता नहीं था। अब पिछले करीब 2 वर्षों में हमने इन समस्याओं का समाधान तलाश किया है। जिसके परिणाम सामने आए हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में पार्टी ने ऐतिहासिक रूप से मत प्रतिशत हासिल किया है। विधानसभा क्षेत्रों में हमारे उम्मीदवार मजबूती से लड़े और दूसरे नंबर पर रहे हैं।"

सपा के संगठन और नेताओं ने हथियार डाल दिए
वरिष्ठ पत्रकार सत्यवीर नागर कहते हैं, "मायावती ने गौतमबुद्ध नगर नया जिला बनाया था। उससे पहले नोएडा और ग्रेटर नोएडा केवल इंडस्ट्रियल टाउनशिप क स्टेटस रखते थे। मुलायम सिंह यादव ने महज राजनीतिक विरोध के कारण गौतमबुद्ध नगर जिले को भंग कर दिया था। ऐसे में उनके खिलाफ विरोध होना स्वाभाविक था। जिसके पीछे दो बड़ी वजह थीं। पहली वजह यह थी कि मायावती यहीं की रहने वाली हैं। उन्होंने एक तरह से अपने जिले के लोगों को सौगात दी थी। जो मुलायम सिंह यादव ने छीन ली थी। दूसरी वजह यह थी कि उस वक्त समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के बीच राजनीतिक अदावत चरम पर थी। गुर्जर समाज दादरी के पूर्व विधायक महेंद्र सिंह यादव की हत्या के कारण मुलायम सिंह यादव को पहले से ही पसंद नहीं कर रही थी। ऐसे में जिला भंग करने की घटना ने आग में घी का काम किया था।" 

सत्यवीर नागर आगे कहते हैं, "लिहाजा, अब तक गौतमबुद्ध नगर की ग्रामीण जनता मुलायम सिंह और समाजवादी पार्टी को पूरे मन से समर्थन नहीं करती है। दूसरी ओर शहरी इलाकों में सपा का जनाधार स्वाभाविक रूप से कम है। इन सारे कारणों के चलते समाजवादी पार्टी के संगठन और नेताओं ने हमेशा गौतमबुद्ध नगर में बैकफुट पर बैटिंग की है। ऐसे में सपा को गौतमबुद्ध नगर से चुनावी सफलता अब तक नहीं मिल पाई। पिछले चुनाव में बहुजन समाज पार्टी के कमजोर होने का फायदा जरूर समाजवादी पार्टी ने उठाया है और उसके उम्मीदवार अच्छी खासी वोट बंटोरकर दूसरे नंबर पर पहुंचने में कामयाब रहे हैं।"

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