पैरा लीगल वालंटियर्स को दी घरेलू हिंसा और दहेज अधिनियम की जानकारी

Greater Noida के Galgotias University में प्रशिक्षण कार्यक्रम : पैरा लीगल वालंटियर्स को दी घरेलू हिंसा और दहेज अधिनियम की जानकारी

 पैरा लीगल वालंटियर्स को दी घरेलू हिंसा और दहेज अधिनियम की जानकारी

Tricity Today | Galgotias University में प्रशिक्षण कार्यक्रम

Greater Noida News : गलगोटिया विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ लॉ और जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसमें एशियन लॉ कॉलेज, गौतमबुद्ध यूनिवर्सिटी, बेनेट यूनिवर्सिटी आदि विभिन्न विश्वविद्यालयों के 'पैरा लीगल वालंटियर्स' ने बढ़चढ़कर हिस्सा लिया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि एडिशनल डिस्ट्रिक्ट जज (फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट) और जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव ऋचा उपाध्याय ने घरेलू हिंसा अधिनियम और दहेज निषेध अधिनियम के बारे में पैरा लीगल वालंटियर्स को विशेष जानकारियां दीं। 

उपेक्षित लोगों की मदद को तैयार रहें युवा
 प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ सरस्वती वंदना एवं दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ। उसके बाद गलगोटियाज विश्वविद्यालय की डॉ. नमिता सिंह मलिक ने गणमान्य व्यक्तियों का गर्मजोशी से स्वागत किया और स्वयंसेवकों से पैनल का परिचय कराया। उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि वो अपने जीवन में सदैव उपेक्षित लोगों की सहायता करने को तैयार रहें। अपनी ज़िम्मेदारी समझें और समाज में सदैव आगे बढ़कर नेक कार्य करें।

महिलाओं को जागरूक किया 
डॉ. अमित कुमार ने मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट 1971 के बारे में बात की, जिसमें उन्होंने मेडिकल टर्मिनेशन की वैधता के बारे में बताया। जिसे प्रेरित गर्भपात भी कहा जाता है। इंस्पेक्टर अजीत कुछ अंतर्दृष्टि के बारे में बात की। उन्होंने बताया कि कैसे इसे दो मुख्य भागों में विभाजित किया गया है। यानी सोशल साइट्स मीडिया और वित्तीय धोखाधड़ी। उन्होंने छात्रों से विभिन्न प्रश्न पूछे और स्वयंसेवक उत्साहपूर्वक प्रश्नों का उत्तर दे रहे थे। इसके बाद उन्होंने इस बात की जानकारी दी कि खुद को कैसे धोखधड़ी के जाल में फंसने से बचाया जा सकता है। उन्होंने पैरा लीगल वालंटियर्स को ब्रेन हैकिंग के प्रति सावधानी के साथ जागरूकता फैलाने के लिए प्रेरित किया।

कामकाजी महिलाओं की चुनौतियां 
सहायक प्रोफेसर डॉ. देवांशी सिंह ने स्वयंसेवकों को कामकाजी महिलाओं के सामने आने वाली चुनौतियों और मातृत्व लाभ अधिनियम 1969, समान पारिश्रमिक अधिनियम 1976 में उल्लिखित विभिन्न लाभों के बारे में जानकारी दी। लिंग केंद्रित कानूनों और यौन उत्पीड़न के बारे में बात की। दिव्यकांत सिंह राठौड़ ने छात्रों को कानून कार्यान्वयन में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए प्रेरित किया और नागरिक अधिकारों की सुरक्षा पर एक शब्द के साथ-साथ एक बच्चे के लापता होने पर अपनाई जाने वाली प्रक्रिया और संभावित परिणामों की जानकारी दी।

ये लोग रहे मौजूद 
न्यायाधीश ऋचा उपाध्याय ने घरेलू हिंसा से महिलाओं की सुरक्षा अधिनियम, 2015 और पीसीपीएनटी अधिनियम के बारे में बात की। उन्होंने अपने व्यावहारिक अनुभव और उपाख्यानों से सभा को मंत्रमुग्ध कर दिया। नरेश चन्द्र गुप्ता ने बड़े उत्साह के साथ सत्र का समापन किया। समारोह का समापन राष्ट्रगान के साथ किया गया। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन गलगोटियास विश्वविद्यालय के कानूनी सहायता क्लिनिक द्वारा डॉ. नमिता मलिक, और डॉ. नरेंद्र बहादुर की देखरेख में किया गया था।

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