चूहड़पुर के धीरज सिंह को 20 फुट गहरे गड्ढे में दिया आबादी का भूखंड,16 वर्षों से नहीं मिला कब्जा

धक्के खाते ग्रेटर नोएडा के किसान : चूहड़पुर के धीरज सिंह को 20 फुट गहरे गड्ढे में दिया आबादी का भूखंड,16 वर्षों से नहीं मिला कब्जा

चूहड़पुर के धीरज सिंह को 20 फुट गहरे गड्ढे में दिया आबादी का भूखंड,16 वर्षों से नहीं मिला कब्जा

Tricity Today | धीरज सिंह

  • धीरज सिंह की वर्ष 2000 से पहले 22,310 वर्ग मीटर जमीन का अधिग्रहण किया
  • 25 जुलाई 2006 को 1,340 वर्गमीटर का भूखंड 25 जुलाई 2006 को आवंटित किया
  • अब 16 साल बाद प्राधिकरण प्लॉट तक पहुंचने के लिए रास्ता नहीं बना पाया
  • अदालत के आदेश पर 4% अतिरिक्त आबादी का भूखंड 13 सितंबर 2017 को दिया
  • इस जमीन पर बेसमेंट बनाने के लिए बिल्डर ने खोद रखे हैं 20 फुट गहरे गड्ढे
  • विकास प्राधिकरण ने कहा है कि यहां जून 2024 तक मिट्टी भराई का काम पूरा होगा
Greater Noida : एक तरफ ग्रेटर नोएडा के किसान हैं, जो दशकों पहले विकास प्राधिकरण (Greater Noida Authority) को अपनी जमीन देकर अपने हकों के लिए दफ्तर-दफ्तर धक्के खा रहे हैं। दूसरी तरफ दलालों का एक गैंग है, जो इन किसानों के हकों पर येन-केन-प्रकारेण कब्जा करके मालामाल हो रहा है। यह सारा खेल किसानों के 4%, 6% और 10% आबादी भूखंडों को लेकर खेला जा रहा है। हम ऐसे ही किसानों की 'व्यथा कथा' आपके सामने पेश कर रहे हैं, जो लंबे अरसे से प्राधिकरण अफसरों की उपेक्षा, मनमानी और भ्रष्टाचार के शिकार हैं। हमारी इस समाचार श्रृंखला में आज चूहड़पुर गांव के धीरज सिंह क दर्द आपके सामने रख रहे हैं।

16 साल से आबादी भूखंड पर कब्जा नहीं मिला
ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण के दायरे वाले चूहड़पुर गांव के निवासी धीरज सिंह पुत्र चंदन सिंह ने बताया कि वर्ष 2000 से पहले उनकी 22,310 वर्ग मीटर जमीन का अधिग्रहण किया गया था। अधिग्रहीत भूमि के सापेक्ष किसानों को भविष्य का आबादी विस्तार करने के लिए 6% भूखंडों का आवंटन किया जाता है। हमें 1,340 वर्ग मीटर क्षेत्रफल वाले आबादी भूखंड का आवंटन 25 जुलाई 2006 को किया गया, लेकिन आज तक इस भूखंड पर हमें कब्जा नहीं मिला है। यह बस कागजों पर हमारे नाम है। दरअसल, इस प्लॉट तक जाने का रास्ता ही उपलब्ध नहीं है। अब 16 साल बीत गए हैं और प्राधिकरण हमारे प्लॉट तक पहुंचने के लिए रास्ता नहीं बना पाया है।

किसान की जमीन पर खड़ी हो गईं कंपनियां
प्राधिकरण से बार-बार संपर्क करते हैं तो बताया जाता है कि रास्ते के लिए जिस जमीन की जरूरत है, वह अभी खरीदी नहीं जा सकी है। प्राधिकरण का वर्क सर्किल-4 जमीन के मालिकों से पिछले 16 वर्षों से केवल बात कर रहा है। धीरज सिंह सवाल उठाते हैं, "जब प्राधिकरण के पास रास्ता नहीं था तो हमें वहां प्लॉट क्यों आवंटित किया गया? हमसे इस प्लॉट के डेवलपमेंट चार्ज के रूप में लाजों रुपये अथॉरिटी ने वसूल किए हैं। हम चाहकर भी इस जमीन का उपयोग नहीं कर पा रहे हैं। दूसरी तरफ अथॉरिटी ने हमारी अधिग्रहीत जमीन कंपनियों को आवंटित कर दी है। उसे बिल्डर भी बेचकर पैसा कमा चुके हैं।"

समस्या को घटाने की बजाय प्राधिकरण ने बढ़ाया
धीरज सिंह की परेशानी यहीं खत्म नहीं होती है। किसानों और ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण के बीच लंबे कानूनी विवाद के बाद साल 2011 में फैसला आया था। भूमि अधिग्रहण से प्रभावित स्थानीय किसानों को 64.7% अतिरिक्त मुआवजा दिया जाएगा और 6% की बजाय 10% आबादी भूखंड आवंटित किए जाएंगे। धीरज सिंह कहते हैं, "हमें अदालत के आदेश पर 4% अतिरिक्त आबादी का भूखंड 13 सितंबर 2017 को पड़ोसी गांव घरबरा की जमीन पर आवंटित कर दिया गया। यहां भी प्राधिकरण ने हमें परेशान करने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी। हमारी पुराणी परेशानी का समाधान तो किया नहीं ऊपर से दूसरी परेशानी हमें दे दी है। यह भूखंड जिस जगह पर दिया गया है वहां एयरविल ऑर्गेनिक बिल्डर पहले से पजेशन लेकर बैठा हुआ है।

बिल्डर ने बेसमेंट बनाने के लिए 20 फुट खुदाई की
धीरज सिंह ने बताया, "बिल्डर ने इस जमीन पर 20 फुट गहरे गड्ढे खोदकर मिट्टी का खनन किया है। बिल्डर का कहना है कि उसे हाउसिंग प्रोजेक्ट लांच करना था। जिसके लिए वहां बेसमेंट बना रहा था। फिर यह प्रोजेक्ट अधर में लटक गया। हम इस बारे में प्राधिकरण को बार-बार पत्र लिखते रहे। अंततः 16 जून 2021 को प्राधिकरण ने हमें एक पत्र भेजा। जिसमें बताया है कि जून 2024 तक मिट्टी भराई का काम पूरा होगा। इसके बाद भूखंड पर कब्जा दिया जाएगा। कुल मिलाकर साफ है कि प्राधिकरण किसानों का शोषण करने के लिए पूरा इंतजाम कर रहा है।"

'सबकुछ जानबूझकर करते हैं अफसर और दलाल'
धीरज सिंह के वकील गुलशन चावला कहते हैं, "ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में कुछ अफसरों, दलालों और आपराधिक किस्म के लोगों का एक गठजोड़ है। यह गुट मिलकर किसानों को छल रहा है। जो किसान इन्हें 5,000 रुपये प्रति वर्ग मीटर की दर से रिश्वत दे देते हैं, उनके भूखंड सही जगह पर आवंटित कर दिए जाते हैं। अगर कोई किसान रिश्वत देने के लिए तैयार नहीं होता है तो उसे विवादित जगह पर भूखंडों का आवंटन किया जा रहा है। आप अंदाजा लगा सकते हैं कि 16 वर्षों से धीरज सिंह अपने हक के लिए प्राधिकरण में अफसरों के धक्के खा रहे हैं। उनकी कोई सुनवाई करने वाला नहीं है।

दलाल का प्लॉट किसान से 10 गुना महंगा
दूसरी और धीरज सिंह का कहना है, "गांवों में दलालों का गैंग सक्रिय है। हम जैसे परेशान किसानों से संपर्क करते हैं। उनके विवादित भूखंडों को औने-पौने दाम में एग्रीमेंट के जरिए खरीद लेते हैं। प्राधिकरण के 6% आबादी विभाग पर दलालों का कब्जा है। किसानों से एग्रीमेंट के जरिए खरीदे गए भूखंडों को ट्रांसफर करके शानदार लोकेशन पर लगवा लेते हैं। किसानों को बमुश्किल 10-12 हजार रुपये वर्ग मीटर की दर से कीमत चुकाते हैं। जिन जगहों पर इनके भूखंड प्राधिकरण के अफसर लगाते हैं, वहां जमीन की कीमत एक लाख रुपये वर्ग मीटर तक होती है। मुझे लगता है कि यह सारा खेल केवल किसानों से उनके आबादी भूखंड हड़पने के लिए खेला जा रहा है।"

'यहां आम किसान की बात सुनने वाला कोई नहीं'
धीरज सिंह आगे कहते हैं, "मैं कई बार विकास प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी को पत्र लिख चुका हूं। कई बार मुलाकात कर चुका हूं। कोई हमारी परेशानी को सुनने वाला नहीं है। बड़ी बात यह है कि पिछले 16 वर्षों के दौरान प्राधिकरण ने तमाम किसानों के प्लॉट मनचाही जगह पर ट्रांसफर किए हैं। नियम-कायदों का कोई ख्याल नहीं रखा गया। अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि तुस्याना गांव के भूखंड तुगलपुर में शिफ्ट किए गए हैं। सादोपुर और बादलपुर के भूखंड हैबतपुर, इटेड़ा और पतवाड़ी में शिफ्ट किए गए हैं। कुल मिलाकर मनमानी का दौर चल रहा है।"

Copyright © 2023 - 2024 Tricity. All Rights Reserved.