अंग्रेजों की हजारों फाइलों से निकला सावरकर 'हिन्दू'

Savarkar Exclusive : अंग्रेजों की हजारों फाइलों से निकला सावरकर 'हिन्दू'

अंग्रेजों की हजारों फाइलों से निकला सावरकर 'हिन्दू'

Tricity Today | Savarkar Exclusive

Vinayak Damodar Savarkar : विनायक दामोदर सावरकर, यह वह नाम है, जिसे लेकर भारतीय राजनीति हमेशा से बंटी रही है, लेकिन इतिहास में उनको लेकर कोई दोराय नहीं। इस व्यक्ति ने ना केवल तत्कालीन ब्रिटिश हुकूमत बल्कि पूरे यूरोप को हिला दिया था। ब्रिटिश आर्काइव की हजारों फाइलों को खंगालकर हमने कुछ दस्तावेज हासिल किए हैं। जिनसे कई ऐसे तथ्य हम आपके सामने रखने जा रहे हैं, जो शायद ही आपको मालूम होंगे।

आइये सबसे पहले इस मुकदमे की पृष्ठभूमि में चलते हैं। वर्ष 1909, भारत अंग्रेजों की गुलामी में कुलमुला रहा था। शांति ज्यादा दिन रहने वाली नहीं थी। तभी 1 जुलाई 1909 को लॉर्ड कर्जन वायली की हत्या लंदन में कर दी गई। कुछ ही महीने बाद भारत में नासिक के कलेक्टर ऑर्थर जैकसन की हत्या कर दी गई। क्रांतिकारी अनंत लक्ष्मण कान्हेरे और मदन लाल ढींगरा को इन हत्याओं के लिए गिरफ्तार कर लिया गया और फांसी दे दी गई।

ब्रिटिश सरकार में 1857 के गदर जैसे हालात पैदा होने की दहशत फैल गई। पूरा ब्रिटेन इन हत्याओं के मास्टरमाइंड की तलाश में जुट गया। उनकी तफ्तीश के धागे लंदन में एक वकील से जा जुड़े। जिसका नाम था विनायक दामोदर सावरकर। सावरकर को हत्या के लिए उकसाने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया। वह अच्छी तरह जानते थे कि उन्हें लंदन से किसी पानी के जहाज में भारत वापस भेजा जाएगा।

ऐसा ही हुआ। स्टीम शिप मौर्या सावरकर को लेकर लंदन से निकला और 8 जुलाई 1909 को फ़्रांस के मार्सी तट के पास से गुजर रहा था। सावरकर ने गहरे समुद्र में छलांग लगा दी और तैरकर किनारे पर पहुंचे। मैडम भीकाजी कामा और लाला हरदयाल सिंह माथुर ने सावरकर के लिए पेरिस में सेफ हॉउस का इंतजाम किया था। सावरकर को लेने आ रही कार को देरी हो गई और एक नाटकीय घटनाक्रम में वह बंदरगाह पर गिरफ्तार हो गए। ब्रिटेन और फ़्रांस उपनिवेशों पर अधिपत्य को लेकर उस जमाने में एक-दूसरे के कटटर विरोधी थे। लिहाजा, यह गिरफ्तारी ब्रिटेन और फ़्रांस के बीच बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन गई। मामला अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में चला गया।

आज भारत में हिंदुत्व की परिभाषा का जनक विनायक दामोदर सावरकर को माना जाता है। इस शब्द को 1922 में विनायक दामोदर सावरकर ने रत्नागिरी जेल में परिभाषित किया और बाद के वर्षों में लोकप्रिय बनाया था। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि सावरकर को लेकर 1910 में जब अंग्रेजों और फ्रांसीसियों के बीच मुकदमा चला तो याचिका और आदेश में उनका नाम सावरकर हिन्दू लिखा गया था। मतलब, उनकी हिंदुत्व की परिभाषा से करीब 12 साल पहले ही अंग्रेज और फ्रांसीसी उन्हें धार्मिक आधार पर वर्गीकृत कर चुके थे।

हम आपको ब्रिटिश आर्काइव से मिले दस्तावेजों के हवाले से विनायक दामोदर सावरकर के बारे में कुछ और महत्वपूर्ण जानकारियां इस सीरीज के अगले एपिसोड में देंगे। बताएंगे की मार्सी बंदरगाह पर किसने सावरकर को पकड़ा था और बाद में कैसे उसी शख्स की गवाही के कारण फ़्रांस यह मुकदमा ब्रिटेन के सामने हार गया था। उन 6 मुद्दों और 17 तर्कों के बारे में बताएंगे, जिन पर इंटरनेशनल कोर्ट में बहस हुई थी। बताएंगे कि कैसे पूरा यूरोप इस मुकदमे से जुड़ा और प्रभावित हुआ था। तो अगले कुछ दिनों के लिए बने रहिए ट्राईसिटी टुडे की इस ख़ास सीरीज के साथ।

 

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