लीजबैक और शिफ्टिंग के प्रकरणों में अब नहीं लेनी होगी एसडीएम की अनुमति, यीडा सीईओ ने निकाला रास्ता

ग्रेटर नोएडा से बड़ी खबर : लीजबैक और शिफ्टिंग के प्रकरणों में अब नहीं लेनी होगी एसडीएम की अनुमति, यीडा सीईओ ने निकाला रास्ता

लीजबैक और शिफ्टिंग के प्रकरणों में अब नहीं लेनी होगी एसडीएम की अनुमति, यीडा सीईओ ने निकाला रास्ता

Tricity Today | सीईओ डा. अरुणवीर सिंह

Greater Noida News : ग्रेटर नोएडा में आबादी की जमीन की लीजबैक और शिफ्टिंग के प्रकरणों को लेकर बड़ी खबर सामने आई है। अब लोगों को आबादी की जमीन की लीजबैक और शिफ्टिंग के मामलों में एसडीएम की अनुमति नहीं लेनी पड़ेगी। यमुना प्राधिकरण के सीईओ डा. अरुणवीर सिंह ने इसका रास्ता निकाला है। दरअसल, सीईओ की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कमेटी गठित कर दी गई है। 

नोएडा और ग्रेनो प्राधिकरण के एसीईओ होंगे सदस्य 
नोएडा और ग्रेनो प्राधिकरण के एक-एक एसीईओ सदस्य होंगे। इस प्रस्ताव पर बीते 12 मार्च को हुई यमुना प्राधिकरण की बोर्ड बैठक में मुहर लग चुकी है। प्राधिकरण की अगली बोर्ड बैठक में इससे संबंधित पॉलिसी पास होगी। इससे लीजबैक व शिफ्टिंग के प्रकरणों के निस्तारण में आसानी होगी। नोएडा-ग्रेटर नोएडा और यमुना प्राधिकरण के सैकड़ों किसानों को लाभ होगा। किसानों को इधर-उधर नहीं भटकना पड़ेगा।

पहले किसानों को लगाने पड़ते थे चक्कर 
लीजबैक व शिफ्टिंग की प्रक्रिया पूरी करने के लिए डीएम के प्रतिनिधि के रूप में एसडीएम से अनुमति लेनी होती थी । अक्सर यह देखा जाता था कि एसडीएम फाइल पर हस्ताक्षर करने से बचते थे। जिससे समस्या का निस्तारण नहीं हो पाता है और किसान अपने हक के लिए इधर-उधर भटकते रहते थे

कमेटी करेगी फटाफट काम 
सीईओ यमुना प्राधिकरण की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कमेटी गठित की गई है, जो लीजबैक और शिफ्टिंग के प्रकरणों को अंतिम रूप देगी। इससे संबंधित पॉलिसी बनाई जाएगी, जो आगामी बोर्ड बैठक में रखी जाएगी। इससे लीजबैक और शिफ्टिंग के प्रकरणों के निस्तारण में सहूलियत हो जाएगी। 

ग्रेनो प्राधिकरण में लीजबैक के सबसे अधिक मामले 
यमुना प्रधिकरण में वर्तमान में लीजबैक के 368 और शिफ्टिंग के 88 मामले हैं। वहीं, ग्रेनो प्राधिकरण में लीजबैक के करीब 2200 मामले हैं। लीजबैक व शिफ्टिंग को लेकर भारतीय किसान यूनियन सहित विभिन्न संगठन आए दिन धरना प्रदर्शन करते रहते हैं।

लीजबैक क्या है?
लीजबैक एक समझौते को संदर्भित करता है जहां एक फर्म एक संपत्ति बेचती है और इसके लिए समझौता भी करती हैपट्टा खरीदार से वापस संपत्ति। एक लीज़बैक को बिक्री-पट्टे के रूप में भी जाना जाता है और समझौते का विवरण संबंधित संपत्ति की बिक्री के दौरान किया जाता है। समझौते में पट्टे के लिए भुगतान और शामिल अवधि शामिल होगी। इस व्यवस्था में विक्रेता पट्टेदार बन जाता है और क्रेता पट्टेदार हो जाता है। एक फर्म जुटाने में सक्षम होने के लिए ऐसी व्यवस्था कर सकती है। इस तरह, यह व्यवसाय के सुचारू संचालन के लिए आवश्यक नकदी और संपत्ति दोनों प्राप्त करता है।

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