थोड़ी देर में शुरू होगी दूसरे दौर की वार्ता, 51 किसान बस यह एक मांग रखेंगे

ग्रेटर नोएडा लीजबैक मामला : थोड़ी देर में शुरू होगी दूसरे दौर की वार्ता, 51 किसान बस यह एक मांग रखेंगे

थोड़ी देर में शुरू होगी दूसरे दौर की वार्ता, 51 किसान बस यह एक मांग रखेंगे

Tricity Today | ग्रेटर नोएडा लीजबैक मामला

ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण के मुख्यालय पर लीजबैक मामलों को लेकर धरना दे रहे किसानों से थोड़ी देर में दूसरे दौर की वार्ता शुरू होने वाली है। इस वार्ता में किसान सेवा संघर्ष समिति के पदाधिकारी और 51 किसान शामिल होंगे। दूसरी ओर ग्रेटर नोएडा के मुख्य कार्यपालक अधिकारी नरेंद्र भूषण, गौतमबुद्ध नगर के पुलिस कमिश्नर आलोक कुमार सिंह और जिलाधिकारी सुहास एलवाई रहेंगे। किसान केवल एक मांग अफसरों के सामने रखेंगे। लीजबैक को लेकर स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम की रिपोर्ट को रद्द किया जाए। किसानों का साफ कहना है कि जब तक यह रिपोर्ट वापस नहीं ली जाएगी, तब तक किसान भी विकास प्राधिकरण के बाहर से वापस नहीं जाएंगे।

आपको बता दें कि इस मामले को लेकर सोमवार की सुबह ग्रेटर नोएडा के करीब 40 गांवों के सैकड़ों किसान और महिलाएं विकास प्राधिकरण के कार्यालय पर जुलूस की शक्ल में पहुंचे थे। किसानों ने धरना शुरू किया। बातचीत करने के लिए सोमवार की आधी रात सीईओ नरेंद्र भूषण ने किसानों को बुलाया था। डेढ़ घंटे की बातचीत का कोई नतीजा नहीं निकल पाया और पहले दौर की वार्ता विफल रही। इसके बाद तय किया गया कि बुधवार की दोपहर एक बार फिर किसान और अधिकारियों के बीच वार्ता होगी। इससे पहले किसानों ने सुबह प्राधिकरण के बाहर पंचायत की है। जिसमें सैकड़ों किसान शामिल रहे। 

अब दूसरे दौर की वार्ता के लिए 51 किसानों का प्रतिनिधिमंडल बातचीत करने में जाएगा। किसान सेवा समिति के प्रवक्ता मनवीर भाटी ने कहा, "हम लोगों की शुरू से केवल एक ही मांग है। अभी भी वही मांग है। लीजबैक मामलों की जांच करने के लिए गठित की गई स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम की रिपोर्ट को खारिज कर दिया जाए। हम लोग यहां से उठकर चले जाएंगे। मैं एक बार फिर साफ कर देना चाहता हूं कि जब तक एसआईटी की रिपोर्ट को खारिज नहीं किया जाएगा, हमारा धरना नहीं चलता रहेगा।"

क्या है पूरा मामला -
ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण के बिसरख गांव में बहुजन समाज पार्टी और फिर समाजवादी पार्टी की सरकारों के कार्यकाल में लीजबैक घोटाले का आरोप लगाते हुए सरकार से शिकायत की गई थी। इस मामले पर सरकार ने एक विशेष जांच दल एसआईटी का गठन यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी डॉ.अरुण वीर सिंह की अध्यक्षता में किया था। एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। रिपोर्ट में बताया गया है कि लीजबैक के नाम पर व्यापक रूप से अनियमितताएं और धांधली की गई है। बड़ी बात यह है कि जिन बाहरी लोगों का हवाला देते हुए यह शिकायत की गई थी, उन्हें एसआईटी ने क्लीन चिट दे दी है। एसआईटी ने पाया है कि जिन किसानों ने आबादी छुड़वा ली है, उन्हें गलत ढंग से 6% के रेजिडेंशियल प्लॉट दिए गए हैं। एसआईटी ने सिफारिश की है कि आबादी छुड़वाने वाले किसानों को 6% भूखंड और भविष्य में प्राधिकरण की आवासीय योजनाओं में आरक्षण नहीं दिया जाना चाहिए। यही इस जांच रिपोर्ट की सबसे बड़ी सिफारिश है।

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