एसआईटी का मतलब 'सुस्त इन्वेस्टिगेशन टीम', 6 महीनों में कोई काम नहीं, माफिया गैंग ले रहा मौज

चिटहेरा भूमि घोटाला : एसआईटी का मतलब 'सुस्त इन्वेस्टिगेशन टीम', 6 महीनों में कोई काम नहीं, माफिया गैंग ले रहा मौज

एसआईटी का मतलब 'सुस्त इन्वेस्टिगेशन टीम', 6 महीनों में कोई काम नहीं, माफिया गैंग ले रहा मौज

Tricity Today | Chithera Land Scam

Greater Noida : गौतमबुद्ध नगर के दादरी तहसील के गांव चिटहेरा में हुए अरबों रुपए के भूमि घोटाले की जांच स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) कर रही है लेकिन 6 महीने से ज्यादा वक्त बीतने के बावजूद एसआईटी का काम 'ढाक के तीन पात' है। अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 'ट्राईसिटी टुडे' की ओर से प्रकाशित तथ्यों पर भी एसआईटी ने काम नहीं किया है। यही वजह रही कि इस मामले में गिरफ्तार किए गए लेखपाल को आसानी से जमानत मिल गई। किसानों को लूटने वाले भूमाफिया के गुर्गे, फाइनेंस करने वाले कारोबारी सहयोगी और संरक्षण देने वाले अफसर मौज की छान रहे हैं। आज तक एसआईटी ने इनमें से किसी आरोपी तक पहुंचने या पूछताछ करने की जहमत नहीं उठाई है। हम इन सारे लोगों की इस मामले में संलिप्तता के सबूत सामने रख चुके हैं।

मालू और अरुण की गिरफ्तारी क्यों नहीं?
इस घोटाले में यशपाल तोमर की बेनामी प्रोपर्टी का मालिक मालू और अरुण है। इनके नाम पर चिटहेरा गांव के किसानों और सरकारी जमीन पावर ऑफ अटॉर्नी, बैनामों व एग्रीमेंट के जरिए खरीदने का नाटक किया गया। सारी जमीन सर्किल रेट और बाजार दरों के मुकाबले 15-20% कीमत पर खरीदी गई है। किसानों के खातों में भेजा गया पैसा वापस इन्हीं लोगों के खातों में पहुंच गया। यह खुलासा हम पिछली खबरों में कर चुके हैं। 'ट्राईसिटी टुडे' ने बैनामों की तारीख, जमीन की कीमत और बैंकों में पैसे के ट्रांसफर का पूरा ब्यौरा प्रकाशित किया है। इसके बावजूद एसआईटी ने दफ्तर से निकलकर कुछ तलाश करने की कोशिश नहीं की है। एसआईटी की नाकामी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि आज तक मालू और अरुण सिंह की पहचान नहीं कर पाई।

गजेंद्र का कनेक्शन क्यों पता नहीं चला?
चिटहेरा गांव के भोलेभाले किसानों को आतंकित करने के लिए यशपाल तोमर और उसके गुर्गों ने अपराधी किस्म के लोगों का भरपूर फायदा उठाया। यह काम यशपाल तोमर के ममेरे भाई गजेंद्र सिंह ने किया। वह बागपत का निवासी है। उसके तमाम फोटो सोशल मीडिया पर यशपाल तोमर के साथ उपलब्ध हैं, जिनमें वह कार्बाइन और प्रतिबंधित बोर की पिस्टल लिए नजर आता है। गजेंद्र के बैंक खातों में भी चिटहेरा गांव के किसानों के बैंक खातों से पैसा ट्रांसफर हुआ है। यह बड़ी रकम है। चौंकाने वाली बात यह है कि पैसा इन किसानों को यशपाल तोमर के गुर्गे मालू और साले अरुण को जमीन बेचने के बदले दिया गया था। मतलब, यह लोग बेनामी और फर्जी संपत्ति एकत्र कर रहे थे। यह पूरी तरह मनी लॉन्ड्रिंग का मामला है। गजेंद्र सिंह के खिलाफ बागपत के अलग-अलग थानों में करीब 10 मुकदमे दर्ज हैं। गौतमबुद्ध नगर पुलिस की एसआईटी तो उसके खिलाफ कुछ नहीं कर पाई। हरिद्वार एसटीएफ और पुलिस ने जरूर बड़ा एक्शन किया है। 'ट्राईसिटी टुडे' में उससे जुड़ा समाचार प्रकाशित होने के बाद हरिद्वार पुलिस ने उसे गैंगस्टर अधिनियम में निरुद्ध किया है। पुलिस उसे तलाश कर रही है।

सचिन शर्मा, विकास शर्मा और अमित सिंह तक क्यों नहीं गई एसआईटी?
गाजियाबाद में लोहिया नगर के रहने वाले कारोबारी सचिन शर्मा और विकास शर्मा ने भी यशपाल तोमर के साथ मिलकर चिटहेरा गांव में जमीन की लूट की है। इन लोगों ने ना केवल किसानों पर दबाव बनाकर फर्जीवाड़ा किया है बल्कि सरकारी जमीन के बैनामे अपने नाम करवाए हैं। इन लोगों को भी सर्किल रेट और बाजार दरों के मुकाबले कौड़ियों की कीमतों पर किसानों ने भूमाफिया व अपराधियों के दबाव में जमीन बेची हैं। इनकी ओर से दिया गया पैसा भी यशपाल तोमर के गुर्गों के बैंक खातों में गया। आगे दोबारा इन्हीं के खातों में वापस पहुंच गया। सचिन और विकास शर्मा गाजियाबाद में लोहिया नगर के रहने वाले हैं। अमित सिंह रायबरेली का निवासी है। अमित सिंह को मिली जमीन सीधे तौर पर भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी से जुड़ा मामला है। दरअसल, अमित सिंह का रिश्तेदार उस वक्त दादरी का एसडीएम था। उसने 71 लाख रुपये में जमीन खरीदी और किसान के बैंक खाते में केवल 21 रुपये ट्रांसफर किए। यह पैसा भी यशपाल तोमर के गुर्गो के बैंक खातों में चला गया। बाकी 50 लाख रुपये आज तक किसान के खाते में ट्रांसफर नहीं किए गए हैं।

किसके दबाव में काम कर रही है एसआईटी?
अब सवाल यह उठता है कि 6 महीने लंबा वक्त मिलने के बावजूद आज तक स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम 6 कदम भी क्यों नहीं चल पाई? स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम तो स्लो इन्वेस्टिगेशन टीम बन गई है। क्या एसआईटी के अफसर जानबूझकर ऐसा कर रहे हैं या किसी के दबाव में आकर इस मामले को रफा-दफा करने की कोशिश की जा रही है? दूसरी तरफ हरिद्वार पुलिस, जिला प्रशासन और आयकर विभाग ताबड़तोड़ कार्यवाही कर रहे हैं। पिछले हफ्ते इनकम टैक्स डिपार्टमेंट में चिटहेरा गांव में करीब 100 करोड़ रुपये की प्रॉपर्टी को बेनामी घोषित किया है। यह प्रॉपर्टी यशपाल तोमर और उसके गुर्गों के नाम पर है। हरिद्वार पुलिस और प्रशासन ने गजेंद्र सिंह पर गैंगस्टर एक्ट में कार्यवाही की है। वहां की पुलिस उसे तलाश कर रही है। दूसरी तरफ इस पूरे गैंग का आइडेंटिफिकेशन करने में एसआईटी पूरी तरह नाकाम रही है। लगातार समाचार प्रकाशित होने और तथ्य उजागर होने के बावजूद एसआईटी ने कोई काम नहीं किया है।

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