महाप्रबंधक पीके कौशिक की गौतमबुद्ध नगर वापसी, मंत्री के फैसलों पर सवाल

यूपी के विकास प्राधिकरणों में तबादले बने मजाक : महाप्रबंधक पीके कौशिक की गौतमबुद्ध नगर वापसी, मंत्री के फैसलों पर सवाल

महाप्रबंधक पीके कौशिक की गौतमबुद्ध नगर वापसी, मंत्री के फैसलों पर सवाल

Tricity Today | महाप्रबंधक पीके कौशिक की गौतमबुद्ध नगर वापसी

Greater Noida News : नोएडा विकास प्राधिकरण के महाप्रबंधक पीके कौशिक के खिलाफ उत्तर प्रदेश के औद्योगिक विकास मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी ने जांच बैठाई थी। पीके कौशिक का तबादला नोएडा से कानपुर में उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण में कर दिया गया था। इतना ही नहीं नंदी ने औद्योगिक विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव को 28 जुलाई 2022 को एक पत्र लिखा था, जिसमें पीके कोशिक के खिलाफ गंभीर शिकायतों का जिक्र था। मंत्री ने उनकी इंजीनियरिंग की डिग्री तक फर्जी बताते हुए 3 दिन में जांच पूरी करने का आदेश ग्रेटर नोएडा के तत्कालीन मुख्य कार्यपालक अधिकारी को दिया था। अब उन्हीं पीके कौशिक पर मेहरबानी करते हुए औद्योगिक विकास विभाग ने गौतमबुद्ध नगर वापस भेज दिया है। इस बार पीके कौशिक को यमुना एक्सप्रेसवे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी में बतौर महाप्रबंधक भेजा गया है।

औद्योगिक विकास विभाग में तबादले बन चुके हैं मजाक
उत्तर प्रदेश के औद्योगिक विकास विभाग में तबादले मजाक बनकर रह गए हैं। पहली बात तो तबादला होने के बावजूद अफसर आसानी से कार्यमुक्त नहीं हो रहे हैं। मनमानी करके अपने मनचाहे विकास प्राधिकरण में कुंडली मारकर बैठे हुए हैं। प्राधिकरणों में खुलेआम चर्चा है कि तबादलों के नाम पर बड़ा भ्रष्टाचार चल रहा है। पीके कौशिक का तबादला, उनके खिलाफ जांच का आदेश और अब यमुना प्राधिकरण में उनकी वापसी इन चर्चाओं को बल देती है। सवाल यह उठता है कि जब विभाग के कद्दावर मंत्री नंद गोपाल गुप्ता 'नंदी' पीके कोशिक की कार्यशैली, उनकी शैक्षिक योग्यता और अनियमिततापूर्ण गतिविधियों पर सवाल खड़ा करते हुए जांच का आदेश दे चुके हैं तो पीके कौशिक की गौतमबुद्ध नगर वापसी कैसे संभव है?

ट्रांसफर का बजाय अटैचमेंट 
पीके कौशिक को गौतमबुद्ध नगर भेजने के लिए ट्रांसफर पॉलिसी में सेंधमारी की गई है। कौशिक का यमुना प्राधिकरण में सीधे ट्रांसफर करने के बजाय अटैचमेंट किया गया है। नियम अनुसार सामान्य परिस्थितियों में 6 महीने बाद दुबारा ट्रांसफर करना संभव नहीं है। साथ ही इस वक्त किया गया ट्रांसफर राज्य सरकार की ट्रांफसर पॉलिसी के खिलाफ है। 

गौतमबुद्ध नगर के प्राधिकरण में ही वापसी क्यों
दूसरा सबसे बड़ा सवाल यह है कि पीके कोशिश पर फर्जी डिग्री के जरिए नौकरी हासिल करने के आरोप हैं। विकास कार्यों में भ्रष्टाचार करने और अवैध वसूली के आरोपी हैं। इन आरोपों पर सही ढंग से जांच नहीं करने पर नंद गोपाल गुप्ता नंदी ने ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी के अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी अमनदीप दुली को एडवर्स एंट्री दी थी। मंत्री ने कड़ा रुख अख्तियार करते हुए तत्कालीन मुख्य कार्यपालक अधिकारी से पीके कौशिक के खिलाफ चल रही जांच 3 दिन में पूरी करके रिपोर्ट भेजने का आदेश दिया था। मंत्री की वह चिट्ठी सार्वजनिक हो गई थी और पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय बनी थी। उस जांच का परिणाम क्या रहा? इस बारे में आज तक कोई जानकारी मंत्री और उनके विभाग ने सार्वजनिक नहीं की है। लिहाजा, सवाल उठता है कि पीके कौशिक गौतमबुद्ध नगर के ही किसी विकास प्राधिकरण में काम करना क्यों चाहते हैं? वह ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण में भर्ती हुए और करीब दो दशक से ज्यादा नौकरी की। इसके बाद नोएडा प्राधिकरण में बतौर महाप्रबंधक काम किया। अब करीब 6 महीने से वह उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण कानपुर मुख्यालय में कार्यरत हैं। केवल 6 महीने बाद ही पीके कौशिक की वापसी यमुना प्राधिकरण में कर दी गई है। मतलब साफ है कि पीके कौशिक केवल गौतमबुद्ध नगर में काम करना चाहते हैं।

बिना पहुंच वाले अफसरों और कर्मचारियों का क्या?
उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार बनने के तुरंत बाद राज्य के औद्योगिक विकास प्राधिकरणों के लिए एकीकृत कर्मचारी संहिता बनाई गई थी। जिसके तहत बड़े पैमाने पर नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना अथॉरिटी से अफसरों के कर्मचारियों के तबादले किए गए। सैकड़ों कर्मचारी पिछले 6 वर्षों से कानपुर, गोरखपुर और भदोही में काम कर रहे हैं। जबकि, उनके परिवार गौतमबुद्ध नगर में रहते हैं। बहुत सारे कर्मचारी गौतमबुद्ध नगर के मूल निवासी हैं। 6 साल का वक्त बीतने के बावजूद उनकी गौतमबुद्ध नगर वापसी नहीं हो पाई है। दरअसल, उनका कोई रिश्तेदार विधायक, सांसद और मंत्री नहीं है। उनके पास सिस्टम को संतुष्ट करने लायक संसाधन नहीं है। इन हालात के चलते औद्योगिक विकास विभाग की छवि धूमिल हो रही है। एक तरफ उत्तर प्रदेश सरकार राज्य में औद्योगिक विकास के जरिए 1  ट्रिलियन यूएस डॉलर इकोनॉमी हासिल करना चाहती है। दूसरी तरफ इस विभाग की कार्यप्रणाली पर लगातार सवाल उठ रहे हैं। सपा और बसपा की सरकारों के दौरान यह विभाग भ्रष्टाचार, राजनीतिक पकड़ और भाई-भतीजावाद का शिकार था, उसी तरह के हालात इस सरकार में भी बने हुए हैं। जिससे योगी आदित्यनाथ की जीरो टॉलरेंस पॉलिसी को पलीता लगा रहा है।

नंदी की चिट्ठी के मुताबिक पीके कौशिक पर है यह आरोप
  1. मंत्री ने अपनी चिट्ठी में लिखा है, "उपलब्ध करवाई गई रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि प्राधिकरण के इंजीनियरिंग विभाग में उपलब्ध अभिलेखों के मुताबिक जिम्स में जलभराव के कार्यों पर प्राधिकरण के अतिरिक्त किसी अन्य विभाग ने कोई अतिरिक्त व्यय नहीं किया है। इस संबंध में स्थिति स्पष्ट की जाए कि क्या जलभराव के कार्यों पर प्राधिकरण के अतिरिक्त किसी भी अन्य विभाग ने कोई अतिरिक्त व्यय नहीं किया है? यदि किसी अन्य विभाग ने अतिरिक्त व्यय किया है तो पूरी सूचना उपलब्ध कराई जाए। किस विभाग द्वारा कितनी धनराशि व्यय की गई है?
  2. मिठाई खरीदने और उसका भुगतान नहीं करने, बादामी बिल्डर के यहां से सामान उठाने के प्रकरणों में एफआईआर दर्ज किए जाने के आदेश यदि सक्षम न्यायालय ने दिए थे तो इस पर क्या हुआ? ऐसी दशा में इतने गंभीर प्रकरण में प्राथमिकी दर्ज होने पर प्राधिकरण स्तर से क्या कार्रवाई की गई?
  3. पीके कौशिक पर यह भी आरोप है कि उनकी इंजीनियरिंग की डिग्री फर्जी है। यह जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय की बताई गई है। इस फर्जी डिग्री के आधार पर उन्होंने ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण में स्थाई सेवा प्राप्त की। इसके बाद उन्हें कई बार पदोन्नत किया गया है। जब पीके कौशिक संविदा पर नियुक्त किए गए थे, तब नियमित सेवा में चयन के लिए उनके शैक्षणिक दस्तावेजों का प्रमाणीकरण क्यों नहीं करवाया गया? फर्जी डिग्री के संबंध में अत्यंत सरसरी तौर पर मात्र यह उत्तर प्राधिकरण ने दिया है कि पीके कौशिक को पत्र लिखकर जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय नई दिल्ली से डिग्री का सत्यापन करवाने का निर्देश दिया गया है। इतने गंभीर और संवेदनशील प्रकरण में अत्यंत सतही तौर पर मात्र पत्र भेजा जा रहा है। जो व्यक्ति आरोपी है, वही अपनी डिग्री का सत्यापन करवाएगा। ऐसा किया जाना यह दर्शाता है कि प्राधिकरण ने पीके कौशिक को बचाने का प्रयास किया है। अत्यंत सतही और भ्रामक आख्या प्रेषित करना बेहद खेद जनक है।

Copyright © 2023 - 2024 Tricity. All Rights Reserved.