जब अरुणवीर सिंह सीईओ बने तो कर्मचारियों को महीनों से नहीं मिला था वेतन, आज 4 अरब से ज्यादा मुनाफा कमाया

यमुना अथॉरिटी : जब अरुणवीर सिंह सीईओ बने तो कर्मचारियों को महीनों से नहीं मिला था वेतन, आज 4 अरब से ज्यादा मुनाफा कमाया

जब अरुणवीर सिंह सीईओ बने तो कर्मचारियों को महीनों से नहीं मिला था वेतन, आज 4 अरब से ज्यादा मुनाफा कमाया

Tricity Today | अरुणवीर सिंह

Greater Noida News : डॉक्टर अरुणवीर सिंह ने जब यमुना एक्सप्रेसवे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी का कार्यभार संभाला था तो हालात बद से बदतर थे। अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि प्राधिकरण के कर्मचारियों को कई-कई महीनों का वेतन नहीं मिला था। यमुना प्राधिकरण के कर्मचारी तबादले करवाने के लिए लिए घूम रहे थे। प्रतिनियुक्ति पर भेजे गए अफसर और कर्मचारी अपने मूल विभागों में वापस भागने की तैयारी कर रहे थे। यमुना अथॉरिटी पर 4,800 करोड़ रुपए का भारी-भरकम कर कर्जा लगा था। हर दिन करीब एक करोड़ रुपए ब्याज के रूप में चुकाने पड़ रहे थे। आज उसी प्राधिकरण ने 406 करोड रुपए का शुद्ध मुनाफा कमाया है। इन्हीं तमाम मुद्दों पर ट्राइसिटी टुडे के सम्पादक पंकज पाराशर ने डॉक्टर अरुणवीर सिंह से खास बातचीत की। पेश है प्रमुख अंश

डॉक्टर अरुणवीर सिंह करीब 6 वर्षों से यमुना अथॉरिटी के मुख्य कार्यपालक अधिकारी हैं। करीब 3 साल पहले वह सेवानिवृत्त हो चुके हैं, लेकिन उनकी साफ छवि और ईमानदारी के चलते उन्हें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 3 साल से सेवा विस्तार दे रहे हैं। अरुणवीर सिंह कहते हैं, "हमने इस साल 406 करोड़ का शुद्ध मुनाफा कमाया है। यह लगातार चौथा वर्ष है, जब हमने यह बड़ी उपलब्धि हासिल की है। यमुना अथॉरिटी के इतिहास में सबसे अधिक लाभ अर्जित किया है। पिछले साल लाभ 107 करोड़ था।" अरुणवीर सिंह पुराने दिनों को याद करते हुए बताते हैं, "जब मैंने पदभार संभाला था तब इस विकास प्राधिकरण पर 4,800 करोड़ का कर्ज था और 4 महीने से स्टाफ बिना वेतन के था। सभी बैंकों ने प्राधिकरण को ऋण स्वीकृत करने से इनकार कर दिया। मुझे याद है उस समय आईसीआईसीआई बैंक ने स्वीकृत ऋण भी देने से इनकार कर दिया था, लेकिन अब यह गुजरे जमाने की बात हो गई है।"

डॉक्टर अरुणवीर सिंह को बेहद सुलझा हुआ और जमीनी हकीकत से रूबरू रहने वाला प्रशासनिक अधिकारी समझा जाता है। वह उत्तर प्रदेश प्रशासनिक सेवा (पीसीएस) में शामिल हुए थे और पदोन्नत होकर आईएएस बने थे। अरुणवीर सिंह ने यमुना अथॉरिटी को आर्थिक और कानूनी संकट से उबारने के लिए अपने करीब 35 वर्षों लंबे प्रशासनिक अनुभव का भरपूर इस्तेमाल किया। वह बताते हैं, "बड़ा अजीबोगरीब वक्त था, एक तरफ प्राधिकरण भारी भरकम कर्ज तले दबा हुआ था और दूसरी ओर हजारों की संख्या में मुकदमे चल रहे थे। मुकदमों की पैरवी करने और खर्च उठाने की ताकत प्राधिकरण में नहीं थी। हम किसानों के बिना विकास योजनाओं को आगे बढ़ाने के बारे में सोच भी नहीं सकते हैं। उन्हीं किसानों से हजारों मुकदमे चल रहे थे। किसान प्राधिकरण का नाम सुनते ही बिफर जाते थे। भट्टा-पारसोल के खूनी संघर्ष की काली छाया प्राधिकरण पर थी। ऐसे में किसानों को साथ लिए बिना आगे बढ़ना संभव नहीं था। लिहाजा, ह्मणे सबसे पहले किसानों को विश्वास में लिया, उनकी समस्याओं को सर्वोपरि समझा। उनकी समस्याओं का निदान किया। किसानों से मुकदमे लड़ने की बजाय बैठकर समाधान का रास्ता तलाश किया। जिसका सकारात्मक परिणाम मिला है।"

जब अरुणवीर सिंह ने यमुना एक्सप्रेसवे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी की कमान संभाली थी तो इस सरकारी निकाय का भविष्य खतरे में था। दरअसल, तत्कालीन सरकारें इस प्राधिकरण को खत्म करके ग्रेटर नोएडा या नोएडा में मर्ज करना चाहती थी। अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उत्तर प्रदेश कैडर का कोई आईएएस अफसर यमुना अथॉरिटी में बतौर सीईओ पोस्टिंग पाना नहीं चाहता था। भ्रष्टाचार और घोटालों की जांच चल रही थी। प्राधिकरण में तैनात रहे अफसरों पर हजारों करोड़ रुपए बर्बाद करने के आरोप थे। ऐसे में अरुणवीर सिंह के सामने सबसे बड़ी चुनौती इस प्राधिकरण की ब्रांड इमेज को नए सिरे से खड़ा करना था। इस बारे में अरुणवीर सिंह कहते हैं, "प्राधिकरण का सरोकार मुख्य रूप से दो पक्षों से साथ होता है। पहला पक्ष किसान है और दूसरा पक्ष हमारे आवंटी हैं। दुर्भाग्य की बात यह थी कि किसान और आवंटी दोनों ही प्राधिकरण पर भरोसा नहीं करते थे। प्राधिकरण को भ्रष्टाचार, मनमानी और अनियमितता का पर्याय मान लिया गया था। ऐसे में मेरा और मेरे साथ काम करने वाले अफसरों व कर्मचारियों का व्यवहार ही खोई हुई ब्रांड इमेज को वापस हासिल कर सकता था। इसके लिए मैं अपने साथ काम करने वाले तमाम लोगों को क्रेडिट देना चाहूंगा। हम सब ने मिलकर यमुना प्राधिकरण की खोई हुई वापस छवि हासिल की है।"

यमुना अथॉरिटी के लिए जेवर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा वरदान साबित हुआ है। उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री पद संभालते ही जेवर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर काम करना शुरू कर दिया था। जिसका भरपूर फायदा यमुना प्राधिकरण को मिला है। इस पर अरुणवीर सिंह कहते हैं, "मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी बेहद दूरदर्शी व्यक्तित्व है। उनके जन हितेषी फैसलों ने हमें बड़ा फायदा पहुंचाया। काम करने की स्वतंत्रता मिली। बिना दबाव फैसले लिए गए। जिससे यमुना प्राधिकरण की अर्थव्यवस्था को दुरुस्त करने में मदद मिली है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी की बदौलत जेवर में नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट मूर्त रूप ले रहा है। मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि कुछ ही वर्षों में वह वक्त आएगा, जब यमुना अथॉरिटी देश के सबसे मजबूत और धनी सरकारी निकायों में से एक बन जाएगा। योगी जी की दृढ़ इच्छाशक्ति के चलते यह एयरपोर्ट रिकॉर्ड कम वक्त में बनकर तैयार होगा। उनकी पारदर्शी नीतियों का असर रहा है कि किसानों ने खुद आगे बढ़कर जमीन एयरपोर्ट के लिए सौंपी है। प्रदेश सरकार और प्राधिकरण ने भी किसानों का पूरा ख्याल रखा है। उनकी हर समस्या और उचित मांग को पूरा किया गया है। हाल ही में यमुना प्राधिकरण के दायरे में जमीन की मुआवजे की दरें ₹3,100 प्रति वर्ग मीटर कर दी गई है। ना केवल उत्तर प्रदेश बल्कि देश के इतिहास में जमीन के मुआवजे में यह सबसे बड़ी एकमुश्त बढ़ोतरी की गई।

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