आज करें मां शैलपुत्री की पूजा, इस मंत्र से होगी हर मनोकामना पूरी, जानिए पूजन विधि

नवरात्रि का पहला दिन : आज करें मां शैलपुत्री की पूजा, इस मंत्र से होगी हर मनोकामना पूरी, जानिए पूजन विधि

आज करें मां शैलपुत्री की पूजा, इस मंत्र से होगी हर मनोकामना पूरी, जानिए पूजन विधि

Tricity Today | मां शैलपुत्री

Greater Noida News : आज रविवार से नवरात्रि शुरू हो गए हैं। आज यानी कि 15 अक्टूबर से 23 अक्टूबर तक नवरात्रि चलेंगे। आज पहला नवरात्रि है। पहले नवरात्रि को मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। मां शैलपुत्री की पूजा करने से सभी मनोकामना पूरी होती है। 

माता शैलपुत्री कौन थीं
विशेषज्ञ बताते हैं कि पर्वतराज हिमालय के घर पुत्री रूप में पैदा होने के कारण माता का नाम शैलपुत्री पड़ा था। माता शैलपुत्री का जन्म शैल या पत्थर से हुआ, इसलिए इनकी पूजा से जीवन में स्थिरता आती है। मां को वृषारूढ़ा और उमा नाम से भी जाना जाता है। उपनिषदों में मां को हेमवती भी कहा गया है। नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की कथा का पाठ जरूर करना चाहिए। जो लोग पाठ नहीं कर सकते हैं, उन्हें इस कथा को सुनना चाहिए।

मां शैलपुत्री से जुड़ी पौराणिक कथा
नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। इनका वाहन वृषभ (बैल) है। शैल शब्द का अर्थ होता पर्वत होता है। शैलपुत्री को हिमालय पर्वत की बेटी कहा जाता है। इसके पीछे की कथा यह है कि एक बार प्रजापति दक्ष (सती के पिता) ने यज्ञ किया और सभी देवताओं को आमंत्रित किया। दक्ष ने भगवान शिव और सती को निमंत्रण नहीं भेजा। ऐसे में सती ने यज्ञ में जाने की बात कही तो भगवान शिव उन्हें समझाया कि बिना निमंत्रण जाना ठीक नहीं, लेकिन जब वह नहीं मानीं तो शिव ने उन्हें इजाजत दे दी।

मां शैलपुत्री की पूजा के तरीके
मां शैलपुत्री के पूजन में इन मंत्रों का जाप करना चाहिए। मां शैलपुत्री के मंत्रों का जाप करने से व्यक्ति के धैर्य और इच्छाशक्ति में वृद्धि होती है। मां शैलपुत्री अपने मस्तक पर अर्द्ध चंद्र धारण करती हैं, इसलिए इनके पूजन और मंत्र जाप से चंद्रमा संबंधित दोष भी समाप्त हो जाते हैं। श्रद्धा भाव से पूजन करने वाले को मां शैलपुत्री सुख और सौभाग्य प्रदान करती हैं।

माता का मंत्र
ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः॥
वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारुढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥
या देवी सर्वभू‍तेषु माँ शैलपुत्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥

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