सुरक्षित और तेज सफर के लिए बना यमुना एक्सप्रेसवे अब हादसों का हाइवे बनता जा रहा है। बदइंतजामी के चलते इस एक्सप्रेसवे पर हर तीसरे दिन एक व्यक्ति की मौत हो रही है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित रोड सेफ्टी कमेटी और मुख्यमंत्री की निगरानी के बावजूद एक्सप्रेसवे पर सुरक्षा उपायों पर हीलाहवाली होती रही है। एक्सप्रेसवे का संचालन करने वालों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ तो सुरक्षा उपायों पर काम शुरू करने की सुगबुगाहट शुरू हुई है।
यमुना एक्सप्रेसवे ग्रेटर नोएडा से आगरा तक 165 किलोमीटर लंबा है। एक्सप्रेसवे पर व्यवस्थाएं दुरुस्त नहीं होने पर यहां हादसे होते रहते हैं। एक्सप्रेसवे पर पथ प्रकाश, तीव्र मोड़ों पर विशेष बैरियर, किनारों के बैरियर कम ऊंचाई, एसओएस बॉक्स आदि की व्यवस्था दुरुस्त नहीं हैं। पुलिस की विशेष पेट्रोलिंग नहीं है। एक्सप्रेसवे की सुरक्षा संबंधित थाना क्षेत्रों के हवाले है। बताया जाता है कि एक्सप्रेसवे प्रबंधन के 7 पेट्रोलिंग वाहन हैं। संख्या कम होने से पेट्रोलिंग नहीं हो पाती है। यमुना एक्सप्रेसवे पर कुछ जगहें ऐसी हैं, जहां पर संभलकर चलने की जरूरत है। इनमें ग्रेटर नोएडा जीरो प्वाइंट से 500 मीटर तक, बुद्ध इंटरनेशनल सर्किट के सामने, जीरो प्वाइंट से 61 व 62 किलोमीटर पर , टप्पल इंटरचेंज के दोनों एंट्री-एग्जिट प्वाइंट और मथुरा इंटरचेंज के दोनों एंट्री-एग्जिट प्वाइंट शामिल हैं। यमुना प्राधिकरण ने एक्सप्रेसवे पर हादसों को कम करने के लिए दिल्ली आईआईटी से सुरक्षा ऑडित करवाया, लेकिन उन उपायों पर अमल नहीं किया जा सका। इसके चलते हादसों का खतरा बना रहता है।
जनवरी महीने में हुए 49 हादसे
एक्सप्रेस वे पर इस साल जनवरी महीने में 49 हादसे हुए हैं। इसमें से 15 लोगों की मौत हो गई। इन हादसों में 88 लोग घायल हएु हैं। अधिकतर हादसे कोहरे के चलते हुए हैं।
लंबित टेंडर खोले गए
यमुना प्राधिकरण के सीईओ डॉ. अरुणवीर सिंह ने सुरक्षा उपायों पर अमल नहीं करने पर संचालकों पर मुकदमा दर्ज करा दिया। इसके बाद एक्सप्रेसवे के डिवाइडर पर लगने वाले क्रश बैरियर के लिए निकाले गए टेंडर को खोल दिया गया है। करीब 11 करोड़ रुपये के कामों को जल्द शुरू किया जाएगा।
इसलिए होते हैं हादसे
-यमुना एक्सप्रेसवे पर करीब 70 प्रतिशत हादसे रात के समय होते हैं। प्रकाश व्यवस्था उचित नहीं है।
-हाइवे पर खड़े खराब वाहनों से हादसे होते हैं।
-कंक्रीट के एक्सप्रेसवे पर तेज रफ्तार से गाड़ी चलाने पर गर्म होकर टायर फट जाते हैं।
-चालकों को झपकी आने के बाद वाहन बेकाबू हो जाते हैं। इससे हादसा हो जाता है।
-कोहरे में दृश्यता कम होने से वाहन टकरा जाते हैं।
- लेन तय होने के बाद चालक मनमाने ढंग से ओवरटेक करते हैं।
दिल्ली आईआईटी ने ये सुझाव दिए थे
-एक्सप्रेस वे के पूरे डिवाइडर पर क्रश बैरियर लगाए जाएं।
-निकास द्वार पर क्रश एटीन्यूटर्स लगाए जाएं। क्रश एटीन्यूटर्स हादसे की भयावहता से बचाएंगे।
-एक्सप्रेस वे पर साइन बोर्ड की संख्या बढ़ाई जाए।
-प्रवेश व निकास द्वार और जन सुविधाओं के पास रंबल स्ट्रिप लगाई जाएं।
-एक्सप्रेस वे के किनारे लगे बैरियर को और ऊंचा उठाया जाए।
-गति पर नियंत्रण के लिए चालान सिस्टम को और दुरुस्त किया जाए।
इन बातों का रखें ध्यान
-सफ़र पर जाने से पहले गाड़ी की स्थिति की जांच कर लें। सबसे पहले टायर देखना चाहिए।
-गाड़ी में बैठे सभी लोग सीट बेल्ट जरूर लगाएं।
-इस बात का ख्याल रखें कि आपके आगे चलने वाली गाड़ी के बीच अंतर जरूर हो। ताकि अगर आगे वाला चालक अचानक ब्रेक लगाए तो आप भी संभल जाएं।
-गाड़ी में नाइट्रोजन गैस का इस्तेमाल करें। ताकि टायर को फटने से बचाया जा सके।
-झपकी आने पर रुकिये। रिफ्रेश होने के बाद ही सफर करिये।
यमुना एक्सप्रेसवे पर होने वाले हादसों पर एक नजर
वर्ष हादसा मौत घायल
2016 1219 133 1525
2017 763 146 1426
2018 659 111 1388
2019 560 195 1302
2020 509 128 1013
यमुना प्राधिकरण के सीईओ डॉ. अरुणवीर सिंह ने बताया कि यमुना एक्सप्रेस वे पर सुरक्षा उपायों को करने के लिए संचालक बार-बार तिथि तय कर रहे थे। काम शुरू नहीं कर रहे थे। इसके चलते मुकदमा दर्ज कराया है। अगर तीन महीने में सुरक्षा उपायों पर काम नहीं हुआ तो और कड़ी कार्रवाई करेंगे।