भाजपा के गढ़ में दस से ज्यादा उम्मीदवारों में जबरदस्त होड़, कांग्रेस का खेमा खुश

गुरुग्राम सीट पर एक अनार सौ बीमार की स्थिति : भाजपा के गढ़ में दस से ज्यादा उम्मीदवारों में जबरदस्त होड़, कांग्रेस का खेमा खुश

भाजपा के गढ़ में दस से ज्यादा उम्मीदवारों में जबरदस्त होड़, कांग्रेस का खेमा खुश

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Gurugram News : गुरुग्राम भाजपा का गढ़ माना जाता है। यहां पर टिकट मिलना यानी जीत की गांरटी। इसी वजह से हर उम्मीदवार चाहता है कि उसे किसी भी कीमत पर टिकट मिल जाए। फिलहाल दस से ज्यादा नेता टिकट की जुगत में लगे है। यह भाजपा हाईकमान के लिए मुश्किल चुनौती बन गई है। नेताओं को मनाने में पार्टी के संगठन और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के पसीने छूट रहे हैं। 

अपनी ही पार्टी के खिलाफ मोर्चा
यहां तक कि टिकट न मिलने की संभावना देखते हुए व्यापारी नेता नवीन गोयल तो शीर्ष नेताओं के खिलाफ मोर्चा खोलने पर अड़ गए हैं। कार्यकर्ताओं और कुछ व्यापारियों का समर्थन भी उन्हें हासिल है। कुछ ऐसा ही हाल दूसरे उम्मीदवारों का भी है। सभी ने पूरी ताकत झोंक रखी है। सिफारिशों और मीटिंग के दौर चल रहे हैं। जिन नेताओं को लग रहा है कि उन्हें टिकट नहीं मिल पाएगा वे कांग्रेस का दामन थामने या निर्दलीय चुनाव लड़ने के दावे करने लगे हैं। ऐसे में आरएसएस की भूमिका और सक्रियता बढ़ गई है। वे सभी को साधने और मनाने में लगे हुए हैं।

दावेदारों की सूची बहुत लंबी
गुड़गांव को भाजपा का गढ़ माना जाता है। दो बार से  इस सीट पर भाजपा का कब्जा है। दावेदारों में विधायक सुधीर सिंगला, भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष जीएल शर्मा, व्यापार प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक नवीन गोयल, खेल प्रकोष्ठ के सह-संयोजक मुकेश शर्मा पहलवान शामिल हैं। महिलाओं की दावेदारी भी कम नहीं है। इनमें महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष ऊषा प्रियदर्शी, पूर्व जिलाध्यक्ष गार्गी कक्कड़, जिला उपाध्यक्ष व पूर्व पार्षद सीमा पाहूजा भी शामिल हैं। इनके अलावा पूर्व सीनियर डिप्टी मेयर यशपाल बत्रा, पूर्व पार्षद कपिल दुआ, पूर्व पार्षद सुभाष सिंगला, विश्व हिंदू परिषद के गुरुग्राम विभाग के अध्यक्ष ईश्वर मित्तल, रामअवतार गर्ग बिट्टू, वरिष्ठ अधिवक्ता हरकेश शर्मा और मनीष मित्तल भी ताल ठोक रहे हैं। 

कांग्रेस में खुशी का माहौल
भाजपा में जारी घमासान से कांग्रेस खेमा खुश है। कांग्रेसी नेताओं को लगता है कि भाजपा के टकराव का उन्हें फायदा होगा और कांग्रेस प्रत्याशी की जीत आसान हो जाएगी। भाजपा में भितरघात की संभावना का भी कांग्रेस को सीधा फायदा होना तय है। विधानसभा चुनाव में जीत-हार का अंतर ज्यादा नहीं होता। ऐसे में कांग्रेस यदि एक-दो बगावती नेताओं को अपने पक्ष में कर लेती है तो काम आसान हो जाएगा। सभी क्षेत्रों में कई ऐसे दावेदार हैं जो कई साल से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। यदि भाजापा ने उन्हें टिकट नहीं दिया तो निर्दलीय भी लड़ सकते हैं।

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