Hapur News : लगातार मौसम में बदलाव हो रहा हैं। ऐसे में निमोनिया और वायरल बुखार जैसी बीमारी अपना शिकार बना रही हैं। बीमारी के कारण बच्चों के फेफड़ों में कफ जम रहा है। बच्चों का खांस-खांस कर बुरा हाल हो रहा है, जिसके कारण उन्हें सांस लेने तक में काफी परेशानी हो रही है। डॉक्टरों द्वारा बच्चों के एक्सरे कराए जा रहे हैं जिसकी जांच रिपोर्ट में कफ की सफेदी जमी आ रही है। डॉक्टर सावधानी बरतनी की सलाह दे रहे हैं।
बच्चों को हो रही हैं परेशानी
शिशु एवं बाल रोग विशेषज्ञ डॉ समरेंद्र राय ने बताया कि मौसम में बदलाव से बच्चों को बीमारियां जकड़ रही हैं। निमोनिया से बच्चों की पसलियां चल रही हैं, इसके अलावा कोल्ड डायरिया भी बच्चों को परेशान कर रहा है। बदलते मौसम में बच्चों को बीमारियां जल्द जकड़ रही हैं। निमोनिया से पीड़ित बच्चों के फेफड़ों पर कफ जमने से उनकी सांसें तेजी से चल रही हैं। बुखार के साथ खांसी और जुकाम का काफी प्रकोप ऐसे बच्चों पर है, जिनका उपचार घरों में संभव नहीं है, इस रोग की प्राइमरी स्टेज पर घर पर ही दवाइयों से बच्चे स्वस्थ हो रहे हैं। जबकि दूसरे स्टेज में पहुंचे बच्चों को अस्पताल में भर्ती करना पड़ रहा है।
सांस लेने में हो रही दिक्कत
डॉ ने बताया कि निमोनिया ज्यादातर चार से पांच साल की उम्र के बच्चों को प्रभावित करता है। इसके लक्षण गले में खराश, खांसी, हल्का बुखार, नाक में कफ जमना, दस्त, भूख कम लगना और थकान या एनर्जी कम महसूस होना हैं। इसके गंभीर लक्षण हैं तेज बुखार, पसीना आना या ठंड लगना, नाखूनों या होठों का नीला पड़ना, सीने में घरघराहट महसूस होना और सांस लेने में दिक्कत महसूस होना।
शिशु और बाल रोग विशेषज्ञ ने दी अहम जानकारी
डॉ समरेंद्र राय ने बताया कि छोटे बच्चों के लिए निमोनिया सबसे बड़ा खतरा होता है। इन दिनों मौसम परिवर्तन चल रहा है, जिसमें निमोनिया से ग्रस्त बच्चों की संख्या बढ़ी है। खान पान से लेकर बच्चों के रख रखाव में समझदारी दिखाएं। समस्या होने पर चिकित्सक का परामर्श लें। अपनी समझ से बच्चों को दवा न दें।