पाकिस्तान से आए 63 बंगाली परिवारों को योगी आदित्यनाथ का तोहफा, रहने और रोजगार के लिए जमीन दी

Uttar Pradesh : पाकिस्तान से आए 63 बंगाली परिवारों को योगी आदित्यनाथ का तोहफा, रहने और रोजगार के लिए जमीन दी

पाकिस्तान से आए 63 बंगाली परिवारों को योगी आदित्यनाथ का तोहफा, रहने और रोजगार के लिए जमीन दी

Tricity Today | स्वीकृति पत्र दिए

Lucknow : यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को पूर्वी पाकिस्तान से विस्थापित 63 हिन्दू बंगाली परिवारों के पुनः पुनर्वासन हेतु कृषि भूमि के पट्टा, आवासीय पट्टा और मुख्यमंत्री आवास योजना के स्वीकृति पत्र वितरित किए। ये सभी वर्ष 1970 में पूर्वी पूर्वी पाकिस्तान यह आए थे। इस अवसर पर उन्होंने 10 परिवारों को प्रतीक स्वरूप अपने कर-कमलों से स्वीकृति पत्र प्रदान किए।

इन चीजों की स्वीकृति प्रदान की
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि पूर्वी पाकिस्तान से विस्थापित 63 हिन्दू बंगाली परिवारों की 38 वर्षाें की प्रतीक्षा आज दूर हुई। इन सभी परिवारों को जनपद कानपुर देहात की तहसील रसूलाबाद में 2-2 एकड़ कृषि भूमि का पट्टा, 200-200 वर्ग मीटर आवासीय भूमि का पट्टा और मुख्यमंत्री आवास योजना के अन्तर्गत एक-एक आवास और शौचालय की स्वीकृति प्रदान करते हुए उन्हें प्रसन्नता की अनुभूति हो रही है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 1970 में यह सभी परिवार आज के बांग्लादेश और उस समय के पूर्वी पाकिस्तान से विस्थापित होकर भारत आये थे। तत्कालीन समय में इन्हें हस्तिनापुर में स्थित एक सूत मिल में नौकरी दी गयी। उस समय लगभग 407 परिवार थे। वर्ष 1984 में यह सूत मिल बन्द हो गयी। सूत मिल बन्द होने के पश्चात इनमें कुछ परिवारों का पुनर्वास देश में अलग-अलग जगह पर हुआ। 65 परिवार ऐसे थे, जिनका वर्ष 1984 से लेकर अब तक पुनर्वास नहीं हो पाया था। यह परिवार अपनी पुनर्वास की प्रतीक्षा कर रहे थे। इन 38 वर्षाें में 2 परिवार पूरी तरह से समाप्त हो गये। 63 परिवार शेष बचे हैं।

"भारत की नागरिकता देने हेतु एक एक्ट पास किया"
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व और मार्गदर्शन में पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत आये हुए अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को भारत की नागरिकता देने और उनके पुनर्वास के कार्यक्रम हेतु एक एक्ट पास किया गया। इसके पश्चात वर्तमान प्रदेश सरकार द्वारा प्रदेश में रह रहे ऐसे परिवारों की जानकारी इकट्ठा की गयी। उन्होंने कहा कि वर्ष 1970 में आये इन परिवारों के बारे में पता चला कि इन परिवारों की स्थिति अत्यन्त बदहाल है। यह लोग खानाबदोश की तरह जीवन-यापन कर रहे हैं। इनके पुनर्वास की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का कार्य किया गया। 

आज का दिन इस लिए महत्वपूर्ण
उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि राजस्व विभाग ने समयबद्ध ढंग से इन कार्यक्रमों को आगे बढ़ाकर 63 परिवारों के लिए व्यवस्थित पुनर्वास की कार्ययोजना को मंगलवार से लागू कर इन्हें आवासीय पट्टा प्रदान किया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि आज का दिन बहुत महत्वपूर्ण है। जो लोग उस देश में जहां के वे मूल निवासी थे, वहां पर प्रताड़ित हुए, उन पीड़ित परिवारों को भारत सरकार द्वारा सहर्ष स्वीकार कर उनका देश में स्वागत किया गया। साथ ही उनके पुनर्वास के कार्यक्रम को आगे बढ़ाया गया। उन्होंने कहा कि भारत का मानवता के प्रति सच्ची सेवा का एक यह अभूतपूर्व उदाहरण सबके सामने है। मानवता की रक्षा करने का कार्य भारत द्वारा आगे बढ़ाया जा रहा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पूर्वी पाकिस्तान से विस्थापित इन 63 हिन्दू बंगाली परिवारों को पुनर्वास हेतु पट्टे की स्वीकृति से लगभग 400 की आबादी लाभान्वित होगी। उन्होंने कहा कि हस्तिनापुर की सूत मिल के बन्द होने के बाद वर्ष 1984 से यह विस्थापित परिवार दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर थे। पूर्ववर्ती संवेदनहीन सरकारें इनकी बातों को गम्भीरता से नहीं लेती थीं। मुख्यमंत्री ने कहा कि आज जब नये सिरे से कार्य प्रारम्भ हो रहा है, स्वाभाविक रूप से इन परिवारों को व्यवस्थित रूप से आगे बढ़ाने का कार्य करने में हम सफल होंगे। 

इस तरह बसाया जाए इन गावों को
उन्होंने ग्राम्य विकास, पंचायतीराज और राजस्व विभागों से कहा कि इनके गांव को कॉलोनी के रूप में विकसित करने की व्यवस्था की जाए। इनका गांव एक नये गांव के रूप में बसाया जा रहा है। इनके गांव को आदर्श गांव या स्मार्ट विलेज के रूप में स्थापित किया जाए, जिसकी प्लानिंग इस प्रकार हो कि इन परिवारों के लिए सभी जरूरी सुविधाएं यथा स्कूल, हॉस्पिटल, पेयजल, सामुदायिक भवन आदि उपलब्ध हों। इन लोगों के रोजगार की कार्यवाही को व्यवस्थित ढंग से आगे बढ़ाया जाए, जिससे महिलाओं एवं पुरुषों को काम मिल सके और यह परिवार आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर हो सकें। यह एक बड़ी उपलब्धि होगी।

इनको आत्मनिर्भरता बनाने के लिए किए जा रहे यह कार्य
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 1970 से लेकर वर्ष 2022 तक 52 वर्षाें तक जिन्हें रोजगार और आत्मनिर्भरता की तरफ नहीं बढ़ाया जा सका। आज वर्तमान सरकार उनका व्यवस्थित ढंग से पुनर्वास कर उन्हें आत्मनिर्भरता की ओर ले जा रही है। महिलाओं के लिए स्वयं सहायता समूह हो, पुरुषों के लिए पशु पालन का कार्य हो, इनके बच्चों के लिए स्किल डेवलपमेंट के कार्य हों, कुपोषित महिलाओं के लिए पोषाहार की व्यवस्था के साथ ही अन्य सभी योजनाओं से इनको जोड़कर एक आदर्श गांव और स्मार्ट विलेज के रूप में आगे बढ़ाने का कार्य किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इस आदर्श गांव के रूप में इन्हें वहां पर स्थापित करने, बागवानी, सब्जी की खेती, दुग्ध उत्पादन, बकरी पालन और कुक्कुट पालन आदि जैसे रोजगार से जोड़कर हम प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना को साकार करने में सहयोग कर सकेंगे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2017 में प्रदेश में वर्तमान सरकार के गठन के पश्चात अनेक चुनौतियां थी। प्रदेश में बहुत लोग ऐसे थे, जिनको आजादी के बाद भी सुविधाओं का लाभ नहीं मिल पाया था। इनमें मुसहर, वनटांगिया, कोल, भील, सहरिया और थारू जनजातियां थीं। पूर्ववर्ती सरकारें इन जनजातियों के बारे में संवेदनहीन बनी रहीं। वर्तमान प्रदेश सरकार ने अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति से कार्य कर इन जनजातियों को चिन्हित करके आवासीय पट्टा उपलब्ध कराने के साथ ही प्रधानमंत्री आवास योजना और मुख्यमंत्री आवास योजना का लाभ प्रदान करने का कार्य किया।

1 लाख 8 हजार से अधिक परिवारों को आवास आवंटित किये जा चुके
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि मुख्यमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के अन्तर्गत प्रदेश में अब तक 1 लाख 8 हजार से अधिक परिवारों को आवास आवंटित किये जा चुके हैं। वर्तमान प्रदेश सरकार ने वर्ष 2017 से 38 वनटांगिया गांवों को राजस्व गांवों में परिवर्तित किया। वनटांगिया समुदाय के लोगों को विकास की मुख्य धारा से जोड़कर विभिन्न योजनाओं का लाभ दिलाया गया। आजादी के बाद पहली बार इन लोगों ने मताधिकार का प्रयोग किया। आजादी के बाद 70 वर्षाें तक इनका कोई मकान नहीं बन पाया था। आज वर्तमान केन्द्र और राज्य सरकार के प्रयासों से इनके पास अपने पक्के मकान हैं।

इस समुदाय के इतने लोगों को मिला मुख्यमंत्री आवास योजना लाभ  
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान सरकार द्वारा प्रदेश के 42,194 मुसहर परिवारों को आवासीय पट्टा और आवास उपलब्ध कराया गया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में वनटांगिया गांवों के 4,822 परिवारों, कुष्ठावस्था से प्रभावित 3,686 परिवारों, दैवीय आपदा से पीड़ित 36,307 परिवारों, कालाजार से प्रभावित 224 परिवारों इन्सेफेलाइटिस से पीड़ित 601 परिवारों, थारू वर्ग के 1,546 परिवारों, कोल वर्ग के 13,102 परिवारों, सहरिया समुदाय के 5,611 परिवारों और चेरो समुदाय के 559 परिवारों को मुख्यमंत्री आवास योजना के अन्तर्गत एक-एक आवास उपलब्ध करवाने का कार्य किया जा चुका है। इस अवसर पर राजस्व राज्य मंत्री अनूप प्रधान ‘वाल्मीकि’ ने कहा कि मुख्यमंत्री के नेतृत्व में राज्य सरकार सभी वर्गाें के कल्याण के लिए पूरा प्रयास कर रही है। समाज का प्रत्येक वर्ग जो विकास से वंचित रह गया है, उनको मुख्य धारा में जोड़ने का सतत प्रयास जारी है।

इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव ग्राम्य विकास, पंचायतीराज और राजस्व मनोज कुमार सिंह ने कहा कि जनपद कानपुर देहात में विस्थापित 63 हिन्दू बंगाली परिवारों के पुनर्वासन हेतु स्थापित किये जा रहे गांव को प्रदेश के मॉडल गांव के रूप में स्थापित किया जाएगा। इसमें स्थापना की सुविधाएं और रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे।

ये लोग रहे उपस्थित 
इस अवसर पर उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक, जल शक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह, जल शक्ति राज्य मंत्री दिनेश खटीक, राजस्व परिषद के अध्यक्ष मुकुल सिंघल, अपर मुख्य सचिव सूचना और एमएसएमई नवनीत सहगल, प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री और सूचना संजय प्रसाद, आयुक्त ग्राम्य विकास वीके सिंह, सचिव राजस्व और राहत आयुक्त रणवीर प्रसाद और सूचना निदेशक शिशिर सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। कार्यक्रम में विस्थापित परिवारों के 2 प्रतिनिधियों अनिल विश्वास और सुश्री अनीता दत्ता ने अपनी आपबीती सुनायी।

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