अखिलेश और जयंत की नहीं बन रही बात, सीटों के बटवारें में कहां फंसा है पेंच

Lucknow : अखिलेश और जयंत की नहीं बन रही बात, सीटों के बटवारें में कहां फंसा है पेंच

अखिलेश और जयंत की नहीं बन रही बात, सीटों के बटवारें में कहां फंसा है पेंच

Google Image | Akhilesh and Jayant

लखनऊ: यूपी विधानसभा चुनाव से पहले प्रदेश की सियासत पल-पल बदल रही है। समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोक दल (RLD) के गठबंधन के बाद भी पेंच फंसता दिख रहा है। यही वजह है कि अखिलेश और जयंत की तीन बार सीटों के बटवारें पर चर्चा हुई। लेकिन अभी इसका हल नही निकल पाया है। कहा जा रहा है कि पश्चिमी यूपी की 10 सीटों पर सपा और आरएलडी की बात नही बन पा रही है। इन सीटों पर दोनों ही अपने-अपने उम्मीदवार उतारना चाह रहें हैं। इसके साथ ही पश्चिम के अलावा भी जयंत कुछ सीटें मांग रहें हैं। जबकि अखिलेश देने के लिए तैयार हैं। ऐसे में दोनों दलों के बीच बात बनती नहीं दिख रही है।

पूर्वांचल में सपा हो रही मजबूत
अभी हाल ही में उत्तर प्रदेश चुनाव को लेकर टाइम्स नाउ नवभारत ने एक सर्वे किया है। इसमें पूर्वांचल में सपा को बीजेपी के सामने कड़ी टक्‍कर पेश करते हुए दिखाया गया है। पोल में पूर्वांचल की कुल 102 सीटों का आंकलन किया गया। इसमें से बीजेपी को 49-58 सीटें मिलते दिखाया गया है। वहीं सपा को 39-45 सीटें दी गई हैं। ऐसे में पूर्वांचल में अखिलेश का जनाधार बढ़ता दिख रहा हे। वहीं किसान किसान आंदोलन के दम पर रालोद भी पश्चिम में खुदको काफी मजबूत मान रही है। भाकियू अध्यक्ष चौधरी नरेश टिकैत और रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी ने साथ में कई बार मंच साझा किया। इस लिए माना जा रहा है कि अखिलेश और जयंत का गठबंधन पश्चिमी यूपी की राजनीतिक रूपरेखा तैयार करेगा।

किसान आंदोलन से जयंत का बढ़ा आत्मविश्वास
जयंत चौधरी फिलहाल राज्य में चुनाव के लिए सभी विकल्पों पर विचार कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि पश्चिमी यूपी में जाट-सिखों और मुसलमानों के लामबंद होने के कारण उनसें फायदा मिल सकता है और इसके जरिए RLD अपना वजूद राज्य के पश्चिम क्षेत्र में बचा सकती है। वैसे भी पश्चिमी यूपी में किसान आंदोलन को देखते हुए जयंत चौधरी का आत्मविश्वास बढ़ा हुआ है और पंचायत चुनाव में RLD ने वेस्ट यूपी में अच्छा प्रदर्शन किया था। जिसके बाद जयंत चौधरी को उम्मीद है कि इस बार पार्टी सबसे अच्छा प्रदर्शन कर सकती है। लेकिन अखिलेश और जयंत की बीच सीटों के बंटवारे का असमंजस अभी भी बना है।

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