संसद के विशेष सत्र में ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ बिल पेश करेगी सरकार! मुद्दे पर बहस शुरू हुई

BIG BREAKING : संसद के विशेष सत्र में ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ बिल पेश करेगी सरकार! मुद्दे पर बहस शुरू हुई

संसद के विशेष सत्र में ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ बिल पेश करेगी सरकार! मुद्दे पर बहस शुरू हुई

Google Photo | संसद

New Delhi : दिल्ली से बड़ी खबर आ रही है। नरेंद्र मोदी सरकार ‘वन नेशन, वन एलेक्शन’ बिल संसद के विशेष सत्र में पास कराना चाहती है। इसके लिए 18-22 सितंबर के बीच विशेष सत्र बुलाया जा रहा है। संसदीय कार्यमंत्री ने आज दोपहर बाद सोशल मीडिया पर यह जानकारी दी। इसी सत्र में इस बिल को पास करवाया जाएगा। यानी देशभर की विधानसभाओं और लोकसभा के चुनाव एक साथ होंगे। इस मुद्दे को लेकर देश भर में बहस छिड़ गई है। सोशल मीडिया और खबरिया न्यूज़ चैनलों पर यह मसला छाया हुआ है।

क्या है ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ बिल
पिछले क़रीब पांच वर्षों से रह रहकर इस बात पर चर्चा हो रही है कि देश में एक साथ लोकसभा और विधानसभा चुनाव करवाए जाने चाहिए। भारतीय जनता पार्टी और केन्द्र सरकार के मंत्री इस मुद्दे को लगातार उठा रहे हैं। ख़ुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कई बार अपने भाषणों में यह ज़िक्र कर चुके हैं। सरकार और भाजपा का तर्क है कि देश भर में हर साल कहीं न कहीं चुनाव होते रहते हैं, जिसके चलते सरकारी मशीनरी को परेशानी का सामना करना पड़ता है। बार-बार चुनाव आचार संहिता लगती है। जिससे विकास योजनाएं प्रभावित रहती हैं। आम आदमी को भी तमाम तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में ज़रूरी है कि देशभर के राज्यों में विधानसभा और केंद्र सरकार के लिए लोकसभा चुनाव एक साथ करवाए जाएं। अब जानकारी मिली है कि केंद्र सरकार ने वन नेशन वन इलेक्शन बिल तैयार किया है। जिसे पास करवाने के लिए 18 सितंबर से संसद का विशेष सत्र बुलाया गया है।

क्यों पड़ी इस बिल की जरूरत
बड़ा सवाल यह है कि आख़िर केंद्र सरकार को इस बिल को पास करवाने की क्या ज़रूरत पड़ गई? जानकारों और राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि अगले साल की पहली तिमाही में लोकसभा चुनाव होंगे। इस साल के आख़िर तक तेलंगाना, मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ जैसे महत्वपूर्ण राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। फ़िलहाल जो रुझान मिल रहे हैं, उनके मुताबिक़ इन सारे राज्यों में भारतीय जनता पार्टी को जीत मिलना टेढ़ी खीर है। मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान सरकार पर लगातार भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे हैं। मध्य प्रदेश में पिछला विधानसभा चुनाव भी भारतीय जनता पार्टी हार गई थी। जोड़-तोड़ करके कमलनाथ सरकार को गिराया गया और भारतीय जनता पार्टी ने सरकार बनायी थी। जिसके चलते मध्य प्रदेश की जनता में शिवराज सिंह चौहान और भारतीय जनता पार्टी के ख़िलाफ़ असंतोष बताया जा रहा है। राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकारें हैं। इन दोनों राज्यों में भी भारतीय जनता पार्टी को कामयाबी मिलती नज़र नहीं आ रही है। कांग्रेस की सरकारें वापसी कर सकती हैं। ऐसे में इन चारों राज्यों के परिणाम अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से जुड़ी भारतीय जनता पार्टी की उम्मीदों पर पानी फेर सकते हैं।

कब कहां होना है चुनाव
सामान्य रूप से मिजोरम, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान और तेलंगाना में 2023 के अंत में विधानसभा चुनावों का बिगुल बज जाएगा। इन राज्यों की विधानसभाओं का कार्यकाल इस साल दिसंबर और अगले साल जनवरी में खत्म हो जाएगा। मिजोरम की 40 सदस्यीय विधानसभा का कार्यकाल 17 दिसंबर को समाप्त होना है। वहीं, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश विधानसभाओं का कार्यकाल क्रमशः तीन जनवरी और छह जनवरी 2024 को समाप्त हो जाएगा। राजस्थान और तेलंगाना विधानसभाओं का कार्यकाल क्रमशः 14 जनवरी और 16 जनवरी 2024 को समाप्त हो जाएगा। फिलहाल इन पांच राज्यों में एक साथ चुनाव होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। इन निर्धारित चुनावों के अलावा इस साल केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव होने की संभावना है। सूत्रों ने पहले कहा था कि जम्मू-कश्मीर में 2023 की गर्मियों में चुनाव हो सकते हैं, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। केंद्र ने तर्क दिया कि चुनाव का समय सुरक्षा परिदृश्य पर निर्भर करेगा।

1983 से अस्तित्व में है ‘वन नेशन, वन एलेक्शन’ का विचार 
बता दें, ‘वन नेशन, वन एलेक्शन’ का विचार 1983 से ही अस्तित्व में है, जब चुनाव आयोग ने पहली बार इस पर विचार किया था। हालांकि, 1967 तक भारत में एक साथ चुनाव आम बात थी। हालांकि 1968 और 1969 में कुछ विधानसभाओं के समय से पहले भंग होने के कारण यह चक्र बाधित हो गया। 1970 में लोकसभा समय से पहले ही भंग कर दी गई और 1971 में नए चुनाव हुए। इस तरह से पहली, दूसरी और तीसरी लोकसभा को पूरे पांच साल का कार्यकाल मिला।

कब-कब बुलाया गया विशेष सत्र
  • सूत्रों की मानें तो इस विशेष सत्र के दौरान संसदीय कामकाज नए संसद भवन में भी स्थानांतरित हो सकता है। आमतौर पर संसद के तीन सत्र होते हैं। इसमें बजट सत्र, मानसून सत्र और शीतकालीन सत्र शामिल हैं। विशेष परिस्थितियों में संसद का विशेष सत्र बुलाया जा सकता है। संसद का मानसून सत्र 11 अगस्त को समाप्त हुआ था।
  • इससे पहले संसद का विशेष सत्र 30 जून 2017 की मध्यरात्रि को आयोजित किया गया था, जो जीएसटी के लागू होने के अवसर पर था। हालांकि यह लोकसभा और राज्यसभा का संयुक्त सत्र था। वहीं, अगस्त 1997 में छह दिवसीय विशेष सत्र का आयोजन किया गया था जो भारत की आजादी की 50वीं वर्षगांठ के उत्सव के अवसर पर था।
  • इससे पहले भारत छोड़ो आंदोलन की 50वीं वर्षगांठ पर 9 अगस्त 1992 को मध्यरात्रि सत्र आयोजित किया गया था। आजादी के रजत जयंती वर्ष पर 14-15 अगस्त 1972 को और आजादी की पूर्व संध्या पर 14-15 अगस्त 1947 को पहला ऐसा विशेष मध्य रात्रि सत्र आयोजित किया गया था।




 

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