दो साल की सजा पर रोक, बहाल होगी संसद की सदस्यता

राहुल गांधी को मोदी सरनेम मामले पर सुप्रीम राहत : दो साल की सजा पर रोक, बहाल होगी संसद की सदस्यता

दो साल की सजा पर रोक, बहाल होगी संसद की सदस्यता

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  • सुप्रीम कोर्ट में दोनों पक्षों की ये थी दलीलें
  • याचिकाकर्ता का असली सरनेम मोदी नहीं 
Delhi News : कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के लिए शुक्रवार का दिन राहत भरी खबर लेकर आया है। सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरनेम मामले में राहुल गांधी की को बड़ी राहत देते हुए गुजरात की निचली अदालत से मिली दो साल की सजा पर रोक लगा दी है। बता दें कि निचली अदालत के फैसले के खिलाफ राहुल ने हाईकोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया था। लेकिन, हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को ही बरकरार रखा था। राहुल की सजा पर रोक लगने के बाद जानकार मानते हैं कि अब उनकी संसद सदस्यता वापस मिलने का रास्ता भी साफ हो सकता है।

दोनों पक्षों को मिले 15-15 मिनट
बता दें कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी की संसद सदस्यता रद्द होने के मामले में शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई थी। गुजरात हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ राहुल गांधी की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। मामले में सर्वोच्च अदालत ने सुनवाई के लिए आधे घंटे का वक्त तय किया था। जिसमें दोनों पक्षों को अपनी बात रखने के लिए 15-15 मिनट मिले थे। राहुल गांधी की ओर से पक्ष रखा गया है कि उन्होंने पूरे समुदाय का अपमान नहीं किया है, इस तरह के मामले में सिर्फ उन्हें ही ऐसी सजा दी गई है। पूर्णेश मोदी की ओर से दी गई दलीलों पर सुप्रीम कोर्ट ने भी सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि कितने नेताओं को अपने पुराने भाषण याद हैं। निचली अदालत ने इस मामले में दो साल की सजा क्यों दी है।

राहुल गांधी की ओर से वरिष्ठ कांग्रेसी नेता और वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने मामले में दलील दी। उन्होंने कहा कि राहुल ने अपने भाषण में जिन लोगों का नाम लिया है, उनमें से किसी ने मुकदमा नहीं किया लेकिन सिर्फ बीजेपी के नेता ही इसमें मुकदमा कर रहे हैं। वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता का असली सरनेम मोदी नहीं है, वह मोध सरनेम से मोदी बने हैं। उन्होंने यह भी दलील दी कि गवाहों ने साफ कहा है कि राहुल ने पूरे समुदाय का अपमान नहीं किया। सिंघवी ने कहा कि ये कोई अपहरण, रेप या हत्या का केस नहीं है, ऐसा काफी कम ही होता है जहां इस तरह के केस में 2 साल की सजा सुनाई गई हो। राहुल गांधी के वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता के पास राहुल गांधी के खिलाफ कोई सबूत नहीं है, जो शिकायत दर्ज की गई है वह भी अखबार की कटिंग के आधार पर है जो व्हाट्सएप पर मिले थे।

पूर्णेश मोदी की ओर से रखी गई ये दलीलें
पूर्णेश मोदी की ओर से महेश जेठमलानी ने दलीलें पेश कीं। उन्होंने कहा कि राहुल के भाषण की कॉपी निर्वाचन आयोग के पास है, सीडी नंबर-2 में सबकुछ स्पष्ट है। महेश जेठमलानी ने कोर्ट में राहुल गांधी की स्पीच का हिस्सा भी पढ़ा। उनके पास पर्याप्त सबूत और गवाह हैं। उन्होंने अपील की है कि राहुल की टिप्पणी पूरे मोदी समुदाय पर थी, इसलिए उनकी दोषसिद्धी पर रोक नहीं लगनी चाहिए। जिस व्यक्ति को आदर्श आचार सहिंता का पालन सुनिश्चित करने के लिए तैनात किया गया था, उसने ही राहुल की स्पीच को रिकॉर्ड किया है। राहुल ने अपने भाषण में मोदी समुदाय का अपमान किया।

सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी
सुनवाई के दौरान महेश जेठमलानी ने कहा कि राहुल कैसे कह सकते हैं कि उन्हें स्पीच याद नहीं है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कितने नेताओं को अपनी पुरानी स्पीच याद रहती है। जस्टिस गवई ने सवाल किया कि ट्रायल कोर्ट ने दो साल की सजा क्यों दी, एक व्यक्ति को अधिकतम सजा देने से इलाके का प्रतिनिधित्व खत्म हो गया। कोर्ट ने इस दौरान निचली अदालत में मामला लंबा चलने पर भी सवाल उठाया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट का फैसला दिलचस्प है, इसमें बताया गया है कि सांसद को कैसा बर्ताव करना चाहिए। अदालत ने पूछा कि अधिकतम सजा क्यों हुई है, इसमें 2 साल से कम की सजा भी हो सकती थी, अगर कम सजा होती तो अयोग्यता नहीं होती।

क्या एक समुदाय को चोर बोलना ठीक है
अदालत में पूर्णेश मोदी के वकील ने कहा कि राहुल पहले भी इस तरह का बयान दे चुके हैं, ऐसा राफेल केस में हुआ था। राहुल बार-बार कहते हैं कि वो माफी नहीं मांगते हैं, क्या वह जो चाहते हैं वो करेंगे। सुप्रीम कोर्ट में महेश जेठमलानी ने कहा कि राहुल बिना सोचे-समझे कुछ भी बोलते हैं, यही वजह है कि हाईकोर्ट ने उन्हें सांसद के व्यवहार की बात कही थी। उन्होंने सवाल किया कि किसी एक समुदाय को इस तरह चोर बोलना ठीक है क्या?

2019 की चुनावी रैली में की थी टिप्पणी
राहुल गांधी को इस मामले में 2 साल की सजा हो चुकी है, जिसकी वजह से उनकी संसद सदस्यता रद्द हो गई थी। इतना ही नहीं वह सजा पूरी होने के 6 साल बाद तक चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। राहुल गांधी के खिलाफ बीजेपी नेता पूर्णेश मोदी ने सूरत की एक अदालत में याचिका दायर की थी। साल 2019 के चुनाव में राहुल गांधी ने कर्नाटक की एक रैली में विवादित बयान दिया था, जिसमें उन्होंने मोदी सरनेम पर टिप्पणी की थी। पूर्णेश मोदी ने इसी मामले में याचिका लगाई थी, राहुल ने माफी मांगने से इनकार किया था और कोर्ट ने उन्हें सजा दी थी। सूरत कोर्ट के फैसले के खिलाफ राहुल गांधी ने गुजरात हाईकोर्ट में अपील की थी। हालांकि, यहां से भी उन्हें राहत नहीं मिली और मार्च में गुजरात हाईकोर्ट ने जब फैसले को बरकरार रखा तब राहुल गांधी की संसद सदस्यता रद्द हो गई थी। राहुल ने अपना सरकारी बंगला भी खाली कर दिया था।

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