Exclusive: तीन वर्षों में खत्म हो जाएंगे 80 फीसदी बिल्डर, नोएडा और ग्रेटर नोएडा का सबसे बुरा दौर

Exclusive: तीन वर्षों में खत्म हो जाएंगे 80 फीसदी बिल्डर, नोएडा और ग्रेटर नोएडा का सबसे बुरा दौर

Exclusive: तीन वर्षों में खत्म हो जाएंगे 80 फीसदी बिल्डर, नोएडा और ग्रेटर नोएडा का सबसे बुरा दौर

Tricity Today | प्रतीकात्मक फोटो

विशेषज्ञों का अनुमान है कि देशभर के करीब 80 प्रतिशत बिल्डर अगले तीन सालों में मार्किट से बाहर हो जाएंगे। इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह ग्राहकों का भरोसा टूटना और घरों के निर्माण में घटिया सामग्री का इस्तेमाल करना है। दूसरी ओर विशेषज्ञ मानते हैं कि नोएडा और ग्रेटर नोएडा शहर अब तक के अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहे हैं। हालात इतने ज्यादा बिगड़ चुके हैं कि वापस रफ्तार हासिल करने में कम से कम 10 वर्षों का वक्त लग जाएगा।

देश में लगभग अस्सी प्रतिशत बिल्डर मौजूदा परिस्थितियों में अगले तीन वर्षों में बाजार से गायब हो जाएंगे। देशभर में निर्मित इमारतों की लगभग 2,20,000 इकाइयों में अगर प्रति बिल्डर औसत देखें मुश्किल से एक इकाई है। निर्माण की गुणवत्ता पर ध्यान देने वाले केवल भरोसेमंद बिल्डर्स भविष्य में जीवित रह पाएंगे। शुक्रवार को रियल एस्टेट डेवलपर्स कन्फेडरेशन ऑफ इंडिया (क्रेडाई) के कार्यक्रम में रियल एस्टेट सर्विसेज कंपनी अनारॉक के अध्यक्ष अनुज पुरी ने यह बात कही है।

उन्होंने कहा कि तीन साल में आधे रियल एस्टेट डेवलपर्स गायब हो जाएंगे। उद्योग के छोटे खिलाड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करने में असमर्थ हो जाएंगे। उन्होंने कहा, "रियल एस्टेट सेक्टर में उचित विपणन और संवर्धन का अभाव है। उच्च लागत और भूमि की उपलब्धता, अत्यधिक लेवी उद्योग की प्रमुख चुनौतियां हैं।" नई टैक्स व्यवस्था के कारण कोई नया खरीदने के बजाय घरों में किराए पर रहने के लिए मजबूर है। उन्होंने कहा कि जब ऋण पर घर खरीदते हैं तो उपभोक्ता अत्यधिक ब्याज दर से बोझिल होते हैं, जबकि किराए के घर में रहना उनके लिए कम खर्च वाला होगा।

अनुज पूरी की बात को अगर नोएडा और ग्रेटर नोएडा परिप्रेक्ष्य में लागू करें तो बिल्कुल सही है। नोएडा और ग्रेटर में ज्यादातर बिल्डर डूब चुके हैं। आम्रपाली और जेपी समूह को एनसीएलटी का सामना करना पड़ा। दोनों कम्पनियों को कोर्ट ने खत्म कर दिया है। सुपरटेक जैसी कम्पनी आर्थिक तंगी से जूझ रही है। 50 से ज्यादा बिल्डर जेल जा चुके हैं। आम आदमी का रियल एस्टेट और बिल्डरों से भरोसा उठ गया है। करीब एक लाख लोग 10 वर्षों से अपना घर पाने के लिए धक्के खा रहे हैं। जिन्हें घर मिल गए हैं, उनका निर्माण इतना घटिया है कि रोजाना हादसे होते हैं।

रियल एस्टेट मामलों के जानकार एडवोकेट मुकेश शर्मा का कहना है कि एक डेढ़ दशक पहले जिस तरह यकायक छोटे-छोटे ठेकेदार बिल्डर बन गए थे, वैसे ही बाजार से बाहर हो गए हैं। उस वक्त लोगों में परचेजिंग पावर थी। साल 1992 से 2000 तक लोगों जो कमाया वह रियल एस्टेट में लगा दिया। 2000 से 2010 तक हालात बहुत अच्छे चले। फिर बैंक और बिल्डरों के नेक्सस ने इस इंडस्ट्री को तबाह कर दिया। रही सही कसर विकास प्राधिकरणों की घटिया पॉलिसी ने पूरी कर दी। आज नोएडा और ग्रेटर नोएडा सबसे बुरे दौर से गुजर रहे हैं।

ग्रेटर नोएडा के प्रोपर्टी कारोबार में करीब 20 वर्षों का अनुभव रखने वाले सुभाष भाटी का कहना है कि दोनों शहरों में रियल एस्टेट और विकास प्राधिकरण को इतना नुकसान हो चुका है कि अगर पुरानी विकास दर आज ही मिल जाए तो हालात को पटरी पर लौटने में 10 वर्षों का समय लगेगा। पिछले 12-13 वर्षों से स्थिति सुधरी नहीं हैं, केवल बद से बदतर हुई हैं। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण 7,000 करोड़ रुपये के कर्ज में है और नोएडा में 30 हजार करोड़ रुपये का घोटाला अभी सामने आया है। इन हालात से उबरना किसी शहर तो दूर देश या प्रदेश के लिए आसान नहीं होता है।

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