जेवर एयरपोर्ट की पुनर्स्थापन समिति से अभिषेक शर्मा को हटाया, डॉ महेश शर्मा ने हटवाया

जेवर एयरपोर्ट की पुनर्स्थापन समिति से अभिषेक शर्मा को हटाया, डॉ महेश शर्मा ने हटवाया

जेवर एयरपोर्ट की पुनर्स्थापन समिति से अभिषेक शर्मा को हटाया, डॉ महेश शर्मा ने हटवाया

Tricity Today | Dr Mahesh Sharma and Abhishek Sharma

जेवर अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट की पुनर्स्थापित एवं पुनर्वासन समिति से भारतीय जनता पार्टी के युवा और साफ छवि के नेता अभिषेक शर्मा को हटा दिया गया है। ऐसा गौतम बुध नगर के सांसद डॉ महेश शर्मा की सिफारिश पर किया गया है। अभिषेक शर्मा को सांसद डॉ महेश शर्मा के प्रतिनिधि के रूप में समिति में शामिल किया गया था। उनकी नियुक्ति को इसी महीने 12 जून को उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने मंजूरी दी थी।

ट्राइसिटी टुडे के पास उपलब्ध दस्तावेजों के आधार पर साफ है कि अभिषेक शर्मा को जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट की पुनर्वासन और एवं विस्थापन समिति से हटा दिया गया है। उत्तर प्रदेश सरकार के नागरिक उड्डयन विभाग ने गौतम बुध नगर के जिलाधिकारी सुहास एलवाई की अध्यक्षता में एक 11 सदस्यीय समिति का गठन किया था। जिसे 12 जून को यूपी के राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने मंजूरी दी थी। इस समिति में गौतम बुध नगर के सांसद डॉ महेश शर्मा के प्रतिनिधि के रूप में अभिषेक शर्मा को बतौर सदस्य नियुक्ति मिली थी। इससे पहले जेवर एयरपोर्ट के लिए गठित की गई भूमि अधिग्रहण निगरानी एवं अनुश्रवण समिति में भी अभिषेक शर्मा बतौर सदस्य शामिल थे। 

इस नियुक्ति के ठीक 4 दिन बाद 16 जून को सांसद डॉ महेश शर्मा ने गौतम बुध नगर जिला प्रशासन को एक पत्र भेजा। जिसमें उन्होंने अभिषेक शर्मा को हटाकर उनके स्थान पर जेवर के रहने वाले संजीव शर्मा को समिति में नियुक्त करने की सिफारिश की है। सांसद के पत्र पर संज्ञान लेते हुए गौतम बुध नगर के अपर जिलाधिकारी (भूमि अध्याप्ति) ने नागरिक उड्डयन विभाग को अभिषेक शर्मा के स्थान पर संजीव शर्मा को नियुक्त करने के लिए प्रस्ताव भेज दिया है।

शासन को संजीव शर्मा की नियुक्ति पर आपत्ति
सांसद डॉ महेश शर्मा की ओर से अपने प्रतिनिधि के रूप में समिति में संजीव कुमार शर्मा को सदस्य बनाने की सिफारिश की गई। जिसके आधार पर गौतम बुध नगर जिला प्रशासन ने संजीव शर्मा के नाम का प्रस्ताव नागरिक उड्डयन विभाग को भेज दिया था। अब नागरिक उड्डयन विभाग के सचिव ने इस नियुक्ति पर आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि संजीव शर्मा पर कई तरह के गंभीर आरोप हैं। उनकी नियुक्ति से पूर्व शासन ने जांच का आदेश दिया है। गौतम बुध नगर के जिलाधिकारी से शासन ने रिपोर्ट मांगी है।

नियुक्ति से पहले ही शुरू हुआ स्वागत समारोह 
संजीव शर्मा की अभी तक समिति में नियुक्ति हुई नहीं है। इससे पहले ही सोशल मीडिया पर उनका स्वागत किया जा रहा है। लोग उनके गले में फूल माला डालकर बधाई दे रहे हैं और फोटो खींचकर सोशल मीडिया पर शेयर कर रहे हैं। गौतम बुध नगर भाजपा में डॉ महेश शर्मा के इस फैसले को लेकर विरोध भी हो रहा है। दरअसल, इस बदलाव के पीछे तर्क दिया जा रहा है कि अभिषेक शर्मा दादरी के निवासी हैं और संजीव शर्मा जेवर के रहने वाले हैं। समिति में स्थानीय व्यक्ति को ही प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए।

पूर्व विधायक अमित अग्रवाल तो मेरठ के निवासी हैं
गौतम बुद्ध नगर भारतीय जनता पार्टी में एक बड़े पद पर बैठे नेता ने डॉक्टर महेश शर्मा के इस फैसले की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने कहा कि डॉ महेश शर्मा कह रहे हैं की जेवर से स्थानीय व्यक्ति को समिति में प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए। यह पूरी तरह गलत तर्क है। पहली बात तो यह कि जिले के प्रभारी मंत्री जय प्रताप सिंह ने अपने प्रतिनिधि के रूप में मेरठ के पूर्व विधायक अमित अग्रवाल को सदस्य नामित करवाया है। वह तो मेरठ के रहने वाले हैं। दूसरी बात यह है कि पहली समिति में अभिषेक शर्मा को ही सदस्य रखा गया था। समिति करीब 2 साल से काम कर रही थी। तब यह बात क्यों नहीं सोची गई कि जेवर से स्थानीय प्रतिनिधि को प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए। नेता का कहना है कि यह सब दबाव में आकर किया जा रहा है।

इस पूरे प्रकरण के बारे में डॉक्टर महेश शर्मा से बात की गई। डॉ महेश शर्मा ने कहा कि समिति का गठन होने के बाद लोग इस बात पर आपत्ति करने लगे कि दादरी के अभिषेक शर्मा का जेवर से क्या लेना देना है। समिति में किसी स्थानीय व्यक्ति को ही प्रतिनिधित्व दिया जाना चाहिए। इस बात पर ध्यान देते हुए अभिषेक शर्मा की जगह संजीव शर्मा को शामिल करवाया गया। संजीव शर्मा योग्यता के लिहाज से क्राइटेरिया पूरा करते हैं। वह पूर्व में भारतीय जनता पार्टी के मंडल अध्यक्ष रह चुके हैं। जब डॉक्टर महेश शर्मा से पूछा गया कि संजीव शर्मा पर कई तरह के गंभीर आरोपों को लेकर आपत्ति जताई गई है। जिस पर शासन ने भी जिलाधिकारी से रिपोर्ट मांगी है। इस पर डॉ महेश शर्मा ने कहा कि यह देखना शासन और जिला प्रशासन का काम है।

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