Tricity Today | अंसल एक्वापोलिस में फंसे खरीदारों बिल्डर के खिलाफ लड़ाई तेज करेंगे
गाजियाबाद में अंसल बिल्डर के सुशांत एक्वापोलिस हाउसिंग प्रोजेक्ट में फंसे सैकड़ों लोग परेशान हाल हैं। करीब 10 साल से घर का इंतजार कर रहे खरीदार अब आर-पार की लड़ाई लड़ने के मूड में आ गए हैं। खरीदारों ने रविवार को एक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की। जिसमें फैसला लिया गया कि बिल्डर के खिलाफ लड़ाई तेज की जाएगी। वह अदालतों और प्रशासनिक अधिकारियों के आदेशों का पालन नहीं कर रहा है। इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया जाएगा।
रविवार की दोपहर 12 बजे से एक्वापोलिस सोशल वेलफ़ेयर सोसायटी ने वर्चुअल मीटिंग का आयोजन किया। गाजियाबाद में डूंडाहेड़ा गांव के पास अंसल बिल्डर ने करीब 10 साल पहले अंसल सुशांत एक्वापोलिस हाउसिंग सोसाइटी लांच की थी। जिसमें घर लेने के लिए सैकड़ों की संख्या में खरीदार फंसे हुए हैं। प्राजेक्ट में फंसे फ़्लैट ख़रीदारों ने इस वर्चुअल मीटिंग का आयोजन किया। लोगों ने बिल्डर से छुटकारा पाने और अपना घर हासिल करने की योजना पर विचार किया है।
सभी लोग पिछले 10 सालों से अपने खून पसीने की मेहनत की कमाई से खरीदे हुए आशियाने की बाट देख रहे हैं। समस्याओं पर चर्चा की। साथ ही ख़रीदारों की शिकायतों का निवारण और ब्याज सहित धन वापसी के लिए यूपी रेरा और ज़िलाधिकारी ग़ाज़ियाबाद के प्रयासों पर चर्चा की गई है। ग्रुप के 25 सदस्यों ने इस मीटिंग में हिस्सा लिया।
एसोसिएशन ने सदस्यों को हालात की जानकारी दी
मीटिंग का संचालन मनीष त्रिपाठी और योगेश त्यागी ने किया। आभार प्रकट जनरल सेक्रेटेरी आर पी सिंह ने किया। सोसाइटी के वरिष्ठ सलाहकार एसके शर्मा ने ग्रुप की गतिविधियों का ब्योरा दिया। सदस्यों के सवालों के जवाब भी दिए। आगे किये जाने वाले प्रयासों के विषय में विस्तार से चर्चा की गई है। अभी तक बिल्डर और रेरा की तरफ से कोई मदद नहीं मिली है।
रेरा के आर्डर पर भी अमल नहीं कर रहा बिल्डर
एसके शर्मा ने बताया कि कई ऐसे ग्राहक भी हैं, जिनके पास रेरा कोर्ट का रिफंड आर्डर है। किंतु बिल्डर से कोई वसूली नहीं हो पाई है। बिल्डर रेरा के आर्डर को भी धता बता रहे हैं। रेरा, हाईकोर्ट, जिला प्रशासन और उत्तर प्रदेश सरकार के आदेशों का बिल्डर के ऊपर कोई असर नहीं पड़ रहा है। बिल्डर अधूरे पड़े प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए कुछ नहीं कर रहा है करीब 6 साल से खरीददार लगातार अपना पैसा वापस देने या घर देने की मांग कर रहे हैं।