BIG BREAKING: नोएडा में गर्भवती की मौत पर बड़ा एक्शन, ईएसआईसी, जिला अस्पताल और जिम्स के डॉक्टर-अफसर जिम्मेदार, डीएम ने

BIG BREAKING: नोएडा में गर्भवती की मौत पर बड़ा एक्शन, ईएसआईसी, जिला अस्पताल और जिम्स के डॉक्टर-अफसर जिम्मेदार, डीएम ने

BIG BREAKING: नोएडा में गर्भवती की मौत पर बड़ा एक्शन, ईएसआईसी, जिला अस्पताल और जिम्स के डॉक्टर-अफसर जिम्मेदार, डीएम ने

Tricity Today | Suhas LY IAS

नोएडा में 3 दिन पहले गर्भवती महिला की एंबुलेंस में मौत हो जाने के मामले पर बड़ी कार्यवाही की गई है। गौतमबुद्ध नगर के जिलाधिकारी सुहास एलवाई ने नोएडा के ईएसआईसी अस्पताल, जिला अस्पताल और ग्रेटर नोएडा के राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान (जिम्स) के अधिकारियों और डॉक्टरों को जिम्मेदार ठहराया है। तीनों अस्पतालों के अफसरों, डॉक्टरों और कर्मचारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने, सस्पेंशन करने और ट्रांसफर करने की सिफारिश की गई है।

5 जून की रात खोड़ा गाजियाबाद की रहने वाली गर्भवती महिला नीलम की मौत हो गई थी वह गाजियाबाद, नोएडा और ग्रेटर नोएडा के 8 अस्पतालों में इलाज के लिए गई थी। कहीं भी इलाज नहीं मिला और उसने दम तोड़ दिया। यह मामला देशभर में सुर्खियों में छा गया था। गौतमबुद्ध नगर के जिलाधिकारी सुहास एलवाई ने अपर जिलाधिकारी प्रशासन मुनींद्र उपाध्याय और मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ दीपक ओहरी को मामले की जांच करने का आदेश दिया था। दोनों अधिकारियों ने 7 जून को अपनी रिपोर्ट डीएम को सौंपी थी। अब मंगलवार को जिलाधिकारी सुहास एलवाई ने इस मामले में आदेश और सिफारिश जारी की है।

ईएसआईसी अस्पताल के डायरेक्टर और डॉक्टर पर कार्रवाई की सिफारिश
जिलाधिकारी सुहास एलवाई ने बताया कि दोनों अधिकारियों की जांच आख्या में स्पष्ट किया गया है कि परिजन नीलम को लेकर सबसे पहले नोएडा के सेक्टर 24 में ईएसआईसी अस्पताल पहुंचे थे। ईएसआईसी अस्पताल में सारी सुविधाएं और वेंटिलेटर उपलब्ध हैं। इसके बावजूद नीलम को वहां उपचार नहीं दिया गया। उसे ग्रेटर नोएडा के राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान रेफर कर दिया गया। ईएसआईसी अस्पताल के कर्मचारियों ने घोर लापरवाही बरती। वह लोग नीलम को ग्रेटर नोएडा जिम्स ले जाने की बजाय नोएडा सेक्टर 30 में जिला अस्पताल लेकर गए। वहां नीलम को छोड़कर चले गए। इस पूरे मामले में सबसे पहले ईएसआईसी अस्पताल के मैनेजमेंट, कर्मचारी और डॉक्टरों ने बड़ी गलती की है।

ईएसआईसी अस्पताल के निदेशक, उस दिन ड्यूटी पर कार्यरत कर्मचारियों और डॉक्टरों को जिम्मेदार मानते हुए कार्यवाही की संस्तुति की गई है। एंबुलेंस के चालक को उत्तरदाई माना गया है। इन सारे लोगों पर कार्यवाही करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार के प्रमुख सचिव श्रम और भारत सरकार के श्रम विभाग के सचिव को पत्र लिखा गया है। राजकीय कर्मचारी जीवन बीमा निगम के महानिदेशक को पत्र लिखकर इन सभी लोगों पर कार्रवाई करने की सिफारिश की गई है।

जिला अस्पताल की मुख्य चिकित्सा अधीक्षक पर गिरी गाज
डीएम सुहास एलवाई ने बताया कि दोनों अधिकारियों की जांच समिति ने पाया है कि मरीज यदि जिला अस्पताल में इलाज होने योग्य नहीं है तो हायर सेंटर पर उचित व्यवस्था के साथ रेफर किया जाना चाहिए था। इसके लिए जिला अस्पताल के डॉक्टर और कर्मचारियों को हायर सेंटर पर बात करके ट्रांसफर किया जाना चाहिए था। जिला अस्पताल में कार्यरत कर्मचारियों ने गंभीर लापरवाही बरती है। उस वक्त अस्पताल में उपस्थित कर्मचारी और डॉक्टर इस घटना के लिए जिम्मेदार हैं। डीएम ने कहा कि इस वक्त कोविड-19 महामारी का दौर चल रहा है। बड़ी संख्या में लोग तरह-तरह की बीमारियों से पीड़ित होकर जिला अस्पताल पहुंच रहे हैं। ऐसी शिकायतें बार-बार मिली हैं कि जिला अस्पताल से लोगों को इलाज दिए बिना वापस कर दिया जाता है। कई मामलों में ऐसी शिकायतें भी मिली है कि लोगों को सही जानकारी और रेफरेंस भी नहीं दिया गया है। 

डीएम ने कहा, इस बारे में जिला अस्पताल की मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ वंदना शर्मा को कई बार हालात सुधारने के लिए कहा गया है, लेकिन उन्होंने लगातार घोर लापरवाही बरती है। जांच रिपोर्ट के आधार पर मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ वंदना शर्मा का जिले से बाहर तबादला करने और उनके स्थान पर योग्य अधिकारी की तत्काल नियुक्ति करने के लिए शासन से सिफारिश की गई है। जिला अस्पताल में उस दिन कार्यरत स्टाफ नर्स रोजबाला, आया अनीता, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ वंदना शर्मा और जिम्मेदार डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई करने का आदेश दिया गया है।

जिम्स के डॉक्टरों ने भी पहली बार नीलम को भर्ती नहीं किया, कार्रवाई होगी
जिलाधिकारी ने बताया कि उस दिन नीलम को सबसे पहले ईएसआईसी अस्पताल सेक्टर 24 और उसके बाद जिला अस्पताल सेक्टर 30 ले जाया गया था। वहां से नीलम को ग्रेटर नोएडा के राजकीय विज्ञान संस्थान भेजा गया था। जब नीलम को लेकर उनके पति पहली बार जिम्स पहुंचे तो वहां मौजूद डॉक्टरों ने उन्हें भर्ती नहीं किया। इसके बाद नीलम को गाजियाबाद ले जाया गया। गाजियाबाद से जब दोबारा नीलम ग्रेटर नोएडा जिम्स पहुंची तो उन्हें भर्ती किया गया था। लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी और उनकी मृत्यु हो चुकी थी। लिहाजा, इस मामले में जिम्स के कर्मचारियों और डॉक्टर ने भी लापरवाही बरती है। डीएम ने बताया कि उस दिन ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर और कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए जिम्स के निदेशक को निर्देशित किया गया है।

प्राइवेट अस्पतालों को नोटिस भेजकर जवाब मांगेंगे सीएमओ
डीएम सुहास एलवाई ने बताया कि सरकारी अस्पतालों के अलावा नीलम के परिजन उन्हें कई प्राइवेट अस्पतालों में लेकर भी गए थे। प्राइवेट अस्पतालों ने भी नीलम को इलाज नहीं दिया और कोविड-19 का बहाना बनाते हुए उन्हें दूसरे अस्पतालों में जाने की सलाह दी। यह उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से जारी किए गए नियमों की अवहेलना है। साथ ही उच्चतम न्यायालय के आदेश का भी पालन नहीं किया गया है। लिहाजा, गौतमबुद्ध नगर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी को आदेश दिया गया है कि वह इस मामले में लिप्त सभी प्राइवेट अस्पतालों को नोटिस भेजेंगे। अस्पतालों से नियत समय में जवाब लिया जायेगा। जांच समिति की ओर से दी गई रिपोर्ट के तथ्यों को समाहित करते हुए मुख्य चिकित्सा अधिकारी मामले में एक्शन लेंगे। अगर आवश्यकता हुई तो अस्पतालों और जिम्मेदार लोगों के खिलाफ एफआइआर भी दर्ज की जाएगी।

गाजियाबाद के अस्पताल पर कार्रवाई के लिए वहां के डीएम को पत्र लिखा
डीएम सुहास एलवाई ने बताया कि नीलम के परिजन उन्हें इलाज करवाने के लिए गाजियाबाद के प्राइवेट अस्पतालों में भी गए थे। गाजियाबाद के अस्पतालों ने भी नीलम को दाखिल करने और इलाज देने से इनकार कर दिया था। जिसके कारण उन्हें दोबारा परिजनों को नोएडा और ग्रेटर नोएडा के अस्पतालों में लेकर जाना पड़ा था। गाजियाबाद के अस्पतालों की ओर से बरती गई लापरवाही पर कार्रवाई करने के लिए वहां के जिला अधिकारी को पत्र भेजा गया है।

Copyright © 2023 - 2024 Tricity. All Rights Reserved.