नोएडा और ग्रेटर नोएडा में अपने फ्लैट की रजिस्ट्री नहीं करवा सके 36,883 लोगों के लिए बड़ी खबर

नोएडा और ग्रेटर नोएडा में अपने फ्लैट की रजिस्ट्री नहीं करवा सके 36,883 लोगों के लिए बड़ी खबर

नोएडा और ग्रेटर नोएडा में अपने फ्लैट की रजिस्ट्री नहीं करवा सके 36,883 लोगों के लिए बड़ी खबर

Tricity Today | प्रतीकात्मक फोटो

नोएडा में 36,883 अपार्टमेंट्स कब्जे के लिए तैयार हैं, लेकिन इन घरों के मालिक रजिस्ट्री नहीं करवा रहे हैं। उत्तर प्रदेश स्टाम्प और पंजीकरण विभाग द्वारा किए गए सर्वेक्षण में यह आंकड़ा सामने आया है। 

रियल्टी सेक्टर में सुस्ती और अन्य तकनीकी कारणों से ये संपत्तियां अपार्टमेंट मालिकों के नाम पर रजिस्ट्री नहीं करवाई जा रही हैं। जिसके परिणामस्वरूप सरकार को राजस्व का बहुत बड़ा नुकसान हो रहा है। लगभग 753 करोड़ रुपये सरकार के इन सम्पत्तियों में फंसे हुए हैं। 

उत्तर प्रदेश की प्रमुख सचिव बीना कुमार ने स्टांप और पंजीकरण विभाग के राजस्व संग्रह की समीक्षा करने के बाद कर्मचारियों को खोए हुए राजस्व को पुनर्प्राप्त करने का आदेश दिया है। इसके लिए फ्लैट पंजीकरण कराने के लिए शिविर लगाने का निर्देश दिया है। बीना कुमार ने कहा, "नोएडा, ग्रेटर नोएडा के अधिकारियों को शिविर लगाने चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ये फ्लैट पंजीकृत हों ताकि सरकार को स्टांप शुल्क से उसका रेवेन्यू मिल सके।" बीना कुमार ने सोमवार को समीक्षा करने के लिए ग्रेटर नोएडा में जिला मजिस्ट्रेट कार्यालय का दौरा किया।

नोएडा में 26,000 फ्लैट और ग्रेटर नोएडा में 10,883 फ्लैट हैं, जिनके खरीदारों को अभी रजिस्ट्रियों को अंजाम देना बाकी है। कुछ खरीदार जो पहले से ही इन इकाइयों में रह रहे हैं, उन्हें रजिस्ट्रियां नहीं करवाई जा रही हैं क्योंकि वे स्टाम्प शुल्क का भुगतान करने से बचना चाहते हैं। फ्लैट के पंजीकरण के समय नियमों के अनुसार एक खरीदार को सरकार को स्टांप शुल्क के रूप में कुल फ्लैट की लागत का 5% भुगतान करना पड़ता है। ऐसे अन्य लोग भी हैं जो बिल्डरों से रजिस्ट्री निष्पादित करवाने में असमर्थ हैं, क्योंकि बिल्डर नोएडा या ग्रेटर नोएडा प्राधिकरणों का बकाया भुगतान करने में असमर्थ हैं।

बिल्डरों पर बकाया होने के कारण विकास प्राधिकरण उन्हें अधिभोग और पूर्णता प्रमाण पत्र जारी नहीं कर रहे हैं। यह रजिस्ट्रियों को निष्पादित करने के लिए एक अनिवार्य दस्तावेज है।
नियमों के अनुसार, ये दोनों प्राधिकरण खरीदारों को रजिस्ट्री निष्पादित करने की अनुमति नहीं दे सकते हैं, जब तक कि बिल्डर्स संबंधित आवासीय परियोजनाओं के सापेक्ष अपने बकाया का निपटान नहीं करते हैं। इन बिल्डरों ने किस्तों पर भुगतान करने का वादा करके विकास प्राधिकरण से जमीन खरीदी है और पिछले के वर्षों से कई किश्तों का भुगतान नहीं कर रहे हैं।

“हमने उन मामलों में फ्लैट खरीदारों के लिए मालिकाना हक पाने की प्रक्रिया को सरल बनाया है, जहां बिल्डर पर कोई वित्तीय बकाया नहीं है। वे स्टांप पेपर खरीद सकते हैं और सबलीज समझौते के तहत रजिस्ट्री कर सकते हैं। इस विधि से एक खरीदार को फ्लैट पर कानूनी अधिकार प्राप्त होता है और सरकार को उसका राजस्व भी मिलता है। गौतमबुद्ध नगर के जिलाधिकारी बीएन सिंह ने कहा, हम राजस्व की वसूली के लिए उचित कदम उठाएंगे।

बिल्डरों की पैरवी करने वाले रियल एस्टेट डेवलपर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (क्रेडाई) के पश्चिमी यूपी विंग के अध्यक्ष प्रशांत तिवारी ने कहा, “प्राधिकरण अधिकारियों के साथ-साथ स्टांप और पंजीकरण विभाग को रजिस्ट्रियां करवानी चाहिए। अपार्टमेंट के मालिकों की सुविधा के लिए शिविर लगाए जाएं। इस कदम से राजस्व की वसूली में मदद मिलेगी और उन खरीदारों को भी फायदा होगा जो रजिस्ट्रियां नहीं करवा पाए हैं। सबलीज के समझौतों की अनुमति देने के लिए प्रशासन के कदम से उन खरीदारों को भी सशक्त बनाया जा सकेगा जो डेवलपर्स की वित्तीय देनदारियों के कारण रजिस्ट्रियां नहीं करवा पाए हैं।"

Copyright © 2023 - 2024 Tricity. All Rights Reserved.