यमुना प्राधिकरण पहुंची सीबीआई, घेरे में 12 आईएएस अफसर और दल बदलकर भाजपा में आए नेता

यमुना प्राधिकरण पहुंची सीबीआई, घेरे में 12 आईएएस अफसर और दल बदलकर भाजपा में आए नेता

यमुना प्राधिकरण पहुंची सीबीआई, घेरे में 12 आईएएस अफसर और दल बदलकर भाजपा में आए नेता

Tricity Today | CBI starts investigation in Yamuna Authority

यमुना एक्सप्रेस वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण के मास्टर प्लान से बाहर जाकर मथुरा में जमीन की खरीदकर 126 करोड़ रुपए के घोटाले को अंजाम दिया गया था। इस मामले में प्राधिकरण के पूर्व मुख्य कार्यपालक अधिकारी पीके गुप्ता जेल में बंद हैं। इस मामले में जांच करने के लिए सीबीआई की टीम गुरूवार को प्राधिकरण कार्यालय पहुंची। टीम ने घोटाले से जुड़े कुछ दस्तावेज भी कब्जे में ले लिए हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक करीब एक दर्जन आईएएस अधिकारी सीबीआई की रडार पर हैं। कई सफेदपोश नेता भी इस घोटाले में करोड़ों रुपये डकार कर बैठे हैं.

विकास प्राधिकरण से मिली जानकारी के मुताबिक प्राधिकरण क्षेत्र के पांच जिलों के जिलाधिकारी और प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी जांच के दायरे में हैं। समाजवादी पार्टी की सरकार में यमुना प्राधिकरण में तैनात रहे ततकालीन अफसरों ने मथुरा में सैंकड़ों एकड़ जमीन खरीद ली थी। इस जमीन की खरीद पर प्राधिकरण ने 126 करोड़ रुपए खर्च किए थे। प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी तो मामले का खुलासा हुआ। तत्कालीन मुख्य कार्यपालक अधिकारी पीसी गुप्ता और तहसीलदार रणबीर समेत आधा दर्जन लोग अभी तक मामले में गिरफ्तार किए जा चुके हैं।

इस घोटाले में कुल 22 लोगों को आरोपी बनाया गया था। जिसमें जांच के दौरान कुछ अन्य के नाम भी शामिल कर लिए गए हैं। गुरूवार को इस मामले में यमुना प्राधिकरण कार्यालय में सीबीआई की टीम पहुंची। बताया जा रहा है कि सीबीआई के अफसरों ने वित्त विभाग और भूमि विभाग में घोटाले से जुड़े कुछ दस्तावेजों की जांच की है। बताया जा रह है कि कुछ दस्तावेज टीम के सदस्य साथ भी ले गए हैं। मामले में कुछ अन्य लोगों की गिरफ्तारी भी जल्द हो सकती हैं। सूत्रों के मुताबिक प्राधिकरण के तत्कालीन अफसरों ने अपने रिश्तेदार और सत्ता से जुड़े लोगों को जमीन खरीदने के प्रस्ताव की जानकारी पहले ही दे दी थी।

प्राधिकरण से लीक सूचनाओं के आधार पर लोगों ने मथुरा के किसानों से जमीन खरीद ली और बाद में उसे कई गुना ज्यादा कीमत पर आपसी सहमति के आधार पर प्राधिकरण को बेच दिया गया। इसमें सबसे खास बात यह रही कि ऐसी जमीन भी प्राधिकरण ने खरीदी है, जो मास्टर प्लान में ही शामिल नहीं है। मतलब, इस जमीन पर निकट भविष्य में कोई विकास योजना प्राधिकरण नहीं लाएगा। पहले इस मामले की जांच ग्रेटर नोएडा पुलिस कर रही थी। लेकिन, पूर्व वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक वैभव कृष्ण की सिफारिश पर उत्तर प्रदेश सरकार ने इस मामले की जांच सीबीआई को स्थानांतरित कर दी थी।

दल बदलकर भाजपा में आए नेता भी शामिल
इस घोटाले में कई ऐसे नेता भी शामिल हैं जो दल बदलकर अब भारतीय जनता पार्टी में हैं। पूर्व में बहुजन समाज पार्टी की सरकार में भी यह मलाई काट रहे थे। तब खुद को बसपा सरकार के पूर्व मंत्री बताकर अधिकारियों से काम निकलवाते थे। इस जमीन घोटाले में ऐसे कई नेताओं और उनके रिश्तेदारों ने करोड़ों रुपये के वारे न्यारे किए हैं।

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