गाजियाबाद-दिल्ली बार्डर पर किसानों का प्रदर्शन जारी, धारा 144 को तोड़ते हुए किसानों ने लगाई अपनी धारा 288

गाजियाबाद-दिल्ली बार्डर पर किसानों का प्रदर्शन जारी, धारा 144 को तोड़ते हुए किसानों ने लगाई अपनी धारा 288

गाजियाबाद-दिल्ली बार्डर पर किसानों का प्रदर्शन जारी, धारा 144 को तोड़ते हुए किसानों ने लगाई अपनी धारा 288

Tricity Today | गाजियाबाद-दिल्ली बार्डर पर किसानों का प्रदर्शन जारी

कृषि कानूनों के खिलाफ यूपी गेट पर किसानों का प्रदर्शन मंगलवार को भी जारी रहा। गाजीपुर बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसान वापस जाने को तैयार नहीं है। वहीं, उत्तराखंड से आए किसानों ने मंगलवार को पुलिस बैरिकेडिंग को तोड़ कर आगे बढऩे की कोशिश की जिसे दिल्ली पुलिस ने नाकाम कर दिया। भारतयी किसान यूनियन के नेतृत्व में हजारों किसानों ने यूपी गेट पर फ्लाईओवर के नीचे डेरा डाल रखा है। मंगलवार को और भी हजारों की संख्या में किसान आंदोलन में शामिल हुए।

किसानों ने धारा-144 को तोड़ते हुए अपनी धारा 288 लागू कर दी है और बाकायदा किसान नेताओं ने इसका एनाउंसमेंट करते हुए कहा कि अब पुलिसकर्मी अपनी हद में रहें और धारा-288 के दायरे में न घुसें। यानि जिस क्षेत्र में किसानों ने धारा-288 लगाई है, अब उसमें पुलिस वालों का प्रवेश पूरी तरह से वर्जित होगा और अगर किसी ने उस दायरे में घुसने का प्रयास किया तो उसे वापस कर दिया जाएगा। दिल्ली-यूपी बॉर्डर पर वर्ष 1988 के बाद दूसरी बार अपनी धारा-288 लगाने का एलान भी कर दिया। किसानों की यह धारा प्रशासन की धारा 144 का जवाब है। इसके तहत पुलिस को किसान की हद में नहीं आने दिया जाता है। इस बीच शाम तक पंजाब, उत्तराखंड और यूपी से किसानों का जत्था पहुंचता रहा। वहीं किसानों ने अब बॉर्डर पर ही झोंपड़ी बना दी है।

भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि जबतक कृषि सुधार कानूनों को वापस नहीं लिया जाता है, तब तक किसान टस से मस नहीं होंगे। आज शाम किसानों के प्रतिनिधिमंडल के साथ केंद्र सरकार की बातचीत हो रही है। इस बातचीत में जो भी निर्णय होगा, उसे किसान मान लेंगे और अपने-अपने घर चले जाएंगे। भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि कृषि सुधार कानून को लेकर जबतक केंद्र सरकार कोई फैसला नहीं ले लेती है, तबतक उनके संगठन से जुड़े किसान यूपी-दिल्ली बार्डर पर ही जमा रहेंगे। उन्होंने बुराड़ी निरंकारी मंडल के मैदान में जाने से एक बार फिर इनकार करते हुए कहा कि वे तो दो तीन महीने का राशन लेकर आए हैं। जबतक कोई फैसला नहीं लिया जाता तब तक किसान यहीं डेरा डाले रहेंगे।

किसान नेता ने कहा कि केंद्र सरकार से किसान संगठनों से जुड़े नेताओं की बातचीत में जो भी हल निकलेगा, उनका संगठन उसका स्वागत और समर्थन करेंगा। टिकैत ने कहा कि किसानों को नया कृषि सुधार कानून किसी भी तरह मंजूर नहीं है। सरकार ने बातचीत की पेश कश की है। सरकार और किसान संगठनों से बातचीत में जो भी फैसले लिए जाएंगे, उनका वे समर्थन करेंगे। टिकैट ने कहा कि उन्हें बातचीत में शामिल होने का ऑफर नहीं मिला है लेकिन अगर उन्हें भी बातचीत में शामिल किया जाएगा तो वे इस बातचीत में शामिल होंगे। इस बीच मंगलवार कों आजाद समाज पार्टी के अध्यक्ष के अध्यक्ष चंद्रशेखर रावण के समर्थकों ने यूपी गेट पहुंचकर किसानों के आंदोलन का समर्थन किया। चंद्रशेखर ने कहा कि कृषि कानून किसानों के लिए काफी अहितकर साबित होगे। कृषि कानून पूंजीपतियों के हित है जोकि में किसानों को भारी परेशानी पैदा करेंगे।

उन्होंने कहा कि भीम आर्मी और आजाद समाज पार्टी पूरी तरह किसानों के साथ है और हर कदम पर किसानों का साथ देगी। उन्होंने कहा कि हमारा संगठन देश के संविधान के अनुरूप हर नागरिक को उसका अधिकार देने की पहल करता रहा है।अन्नदाता किसानों को संविधान ने अनेक अधिकार दिये है जिनमें उन्हें उनकी फसल का उचित मूल्य देने के लिए एमएसपी भी है। नये कृषि कानूनों से एमएसपी का अधिकार खत्म हो जायेगा जो किसानों के लिए घातक होगा। एक ओर इतनी ठंड में किसान सड़कों पर रात गुजारने को विवश है लेकिन सरकार को किसानों की चिंता नहीं है। उन्होंने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार किसानों को पूंजीपतियों के हाथों गिरवी रखना चाहती है। कृषि सुधार कानून के जरिए कृषि को निजी हाथों में देना चाहती है।

रावण ने कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। जब भी कोई सरकार किसानों का दमन करती है, वह सरकार ज्यादा दिनों तक नहीं चल सकती है। उनके साथ सैंकड़ों की संख्या में कार्यकर्ता थे। इस बीच किसानों ने आज महापंचायत कर आंदोलन को और आगे तक ले जाने का फैसला लिया। महापंचायत में यूपी के अलावा उत्तराखंड, मध्य प्रदेश और दूसरे राज्यों के किसान भी शामिल हुए। मंगलवार को भी किसानों ने रागिनी गाकर केंद्र सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। वहीं रागिनी को सुनने के लिए राहगीरों ने भी अपनी गाड़ी को रोक कर किसानों को गाते हुए सुना। गाजीपुर बॉर्डर पर आए किसानों की संख्या रोज बढ़ती जा रही है। प्रदर्शन में मेरठ, मुजफ्फरनगर गौतमबुद्ध नगर, बिजनौर, बुलंदशहर से भी बड़ी संख्या में किसान शामिल हुए। मंगलवार को भी यूपी गेट पर पुलिस की भारी व्यवस्था की गई।

मंगलवार को एंबुलेंस और जेसीबी मशीन भी तैनात कर दी गई। सुबह उत्तराखंड से आए किसान अचानक भड़क गए और ट्रैक्टरों से बैरिकेडिंग को तोड़ते हुए आगे बढने की कोशिश की लेकिन भारी पुलिस फोर्स ने उन्हें रोक दिया। कृषि बिल के विरोध में किसानों का धरना प्रदर्शन बदस्तूर जारी है। कड़ाके की ठंड ना तो किसानों का हौसला तोड़ रही है और ना ही तमाम असुविधाएं भी उनका मनोबल गिरा पा रही हैं। किसान पूरी तैयारी से आए हैं और उन्हें पता है कि यह लड़ाई लंबी चलेगी। ऐसे में किसान पूरी रणनीति बनाते हुए अपने आंदोलन को धीरे-धीरे गति देने का काम कर रहे हैं। यूपी गेट पर भले ही कंक्रीट की सड़क हो लेकिन आप अगर इन दिनों यूपी गेट पर जाएंगे तो आपको लगेगा कि आप किसी गांव की चौपाल में आ गए हैं। जहां हुक्कों की गुडग़ुड़ाहट के साथ चाय की चुस्कियां किसानों के मनोबल को बढ़ाने का काम कर रही हैं। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि अन्नदाता ने एक बार फिर दिखा दिया है कि जब जमीन का सीना चीर कर अपने हिस्से का अनाज निकालने वाले किसान कुछ ठान लेते हैं तब उनको डिगाना लगभग असंभव हो जाता है। 

यूथ कांग्रेस के जिलाध्यक्ष अकबर चौधरी और सेवादल के जिलाध्यक्ष मांगेराम त्यागी अपनी टीम के साथ यूपी बॉर्डर पहुंचे और समर्थन देने का ऐलान करते हुए किसानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर आंदोलन में शामिल हुए। यूथ कांग्रेस के जिलाध्यक्ष अकबर चौधरी ने बताया कि पश्चिमी यूपी के अध्यक्ष ओमवीर यादव के निर्देश पर वे किसानों के बीच पहुंचे हैं। किसानों को समर्थन देते हुए उन्होंने कहा कि किसान अपनी मांगों को लेकर दिल्ली कूच करना चाहते हैं लेकिन भाजपा सरकार ने उन्हें यूपी गेट पर जबरदस्ती रोका हुआ है। यूथ कांग्रेस की टीम ने यूपी गेट पर बैठे किसानों को खाने पीने की चीजें वितरित कीं। उन्होंने कहा कि यूथ कांग्रेस का हर कार्यकर्ता किसानों के लिए लडऩे को पूरी तरह से तैयार है।

भाकियू के पश्चिम यूपी के उपाध्यक्ष राजवीर सिंह का कहना है कि केंद्र की भाजपा सरकार ने किसानों के साथ छल किया है। किसानों को बस एमएसपी पर लिखित कानून चाहिए। सरकार कानून के प्रावधान में एमएसपी का जिक्र होना चाहिए, तभी किसान अपना आंदोलन खत्म करेंगे। इस दौरान राष्ट्रीय कोर कमेटी के सदस्य एडवोकेट रविन्द्र भाटी, सत्यपाल चौधरी, निजाम चौधरी, युवा कांग्रेसियों में वैभव चौपड़ा, रिजवान खान, मोहम्मद फुरकान खान, नसीम चौधरी, यामीन मलिक, बलजीत भाटी समेत सैंकड़ों युवा कांग्रेसी मौजूद रहे।

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