ग्रेटर नोएडा: गांवों के विकास का खाका तैयार, सेक्टरों से ज्यादा सुविधाएं मिलेंगी

ग्रेटर नोएडा: गांवों के विकास का खाका तैयार, सेक्टरों से ज्यादा सुविधाएं मिलेंगी

ग्रेटर नोएडा: गांवों के विकास का खाका तैयार, सेक्टरों से ज्यादा सुविधाएं मिलेंगी

Tricity Today |

जेवर विधानसभा क्षेत्र में ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण के दायरे वाले गांवों का विकास शहरी सेक्टरों से भी बेहतर ढंग से किया जाएगा। इसके लिए शनिवार को जेवर के विधायक ठाकुर धीरेंद्र सिंह ने ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण और भारत सरकार के जल शक्ति मंत्रालय की एजेंसी वेबकोस के अधिकारियों के साथ बैठक की। पहले चरण में 7 गांवों को मॉडल विलेज के तौर पर विकसित किया जाना है। इन गांवों में बच्चों, महिलाओं, बुजुर्गों, युवा और बाकी लोगों के लिए अलग-अलग जरूरतों को ध्यान में रखकर परियोजना तैयार की गई है। गांव में केवल सड़कें, नाली और रास्ते ही बेहतर नहीं बनाए जाएंगे बल्कि दूरसंचार, शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य और स्किल डेवलपमेंट पर भी जोर दिया जाएगा।

जेवर से भारतीय जनता पार्टी के विधायक ठाकुर धीरेंद्र सिंह ने बताया, "मेरे विधानसभा क्षेत्र में ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण के दायरे वाले गांवों को मॉडल विलेज के तौर पर विकसित किया जाना है। इस परियोजना के लिए विकास प्राधिकरण ने केंद्र सरकार की एजेंसी वेबकोस को नियुक्त किया है। वेबकोस और विकास प्राधिकरण के अधिकारियों के साथ शनिवार को मेरे रबूपुरा कैंप कार्यालय पर बैठक हुई है। इस बैठक में फैसला लिया गया है कि पहले चरण में अमीनाबाद नियाना, चीरसी, लड़पुरा, सिरसा, घंघौला, असतौली और घरबरा गांव का विकास किया जाएगा। इनमें भी सबसे पहले अमीनाबाद नियाना को चुना गया है।"

धीरेंद्र सिंह ने कहा, "नोएडा और ग्रेटर नोएडा के शहरी क्षेत्रों में मिल रही सुविधाओं से कहीं बेहतर सुविधाएं हम इन गांवों में देना चाहते हैं। गांव में निवास करने वाले प्रत्येक वर्ग की जरूरतों की मैपिंग की जा रही है। केंद्र सरकार की एजेंसी ने सर्वे का काम पूरा कर लिया है। प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार हो रही है। अब बहुत जल्दी ही चरणबद्ध तरीके से काम शुरू हो जाएगा। सबसे पहले अमीनाबाद नियाना गांव में विकास कार्यों की शुरुआत की जाएगी।" विधायक ने बताया, "हर गांव में एक सामुदायिक केंद्र बनाया जाएगा। यह एक ऐसा स्थान होगा चाहिए, जहां जरुरत पड़ने पर अस्पताल भी बनाया जा सकता है। यह मल्टी यूटिलिटी बिल्डिंग होगी।"

इन गांवों में टेली मेडिसिन और ई-बैंकिंग जैसी सुविधाएं ग्रामीणों को मिलेंगी। यह पूरी तरह से आत्मनिर्भर परियोजना होगी। धीरेन्द्र सिंह ने बताया, सामुदायिक केंद्र में दो दुकान बनाई जाएंगी। जिनमें मेडिकल स्टोर और ग्रोसरी स्टोर गांव के युवक शुरू करेंगे। गांव वालों को सुविधाएं मिलेंगी और गांव के युवकों को इससे रोजगार उपलब्ध होगा। कम्युनिटी सेंटर में ग्रामीण बुकिंग करके शादी-विवाह और दूसरे आयोजन कर सकेंगे। जिसके लिए बहुत कम दरों पर बुकिंग की जाएंगी। कम्युनिटी सेंटर की बुकिंग और इन दुकानों से मिलने वाले किराए से सामुदायिक केंद्र का रखरखाव किया जा सकेगा।

सस्ता इंटरनेट और कम्युनिटी सर्विस सेंटर मिलेंगे

इन सारे गांव में कम्युनिटी सर्विस सेंटर स्थापित किए जाएंगे। जहां से लोग केंद्र और राज्य सरकार की सभी योजनाओं का लाभ आसानी से उठा सकते हैं। गांव के दो युवकों को कॉमन सर्विस सेंटर चलाने की जिम्मेदारी दी जाएगी। बाजार में उपलब्ध दरों से बेहद कम कीमत पर वाईफाई और इंटरनेट डाटा ग्रामीणों को मुहैया करवाया जाएगा। गांवों में एजुकेशन इनवायरमेंट सुधारने के लिए स्कूलों का उच्चीकरण किया जाएगा। हर स्कूल में दो दुकान बनाई जाएंगी। जिनमें स्टेशनरी और जरूरी सामान की दुकान गांव के युवक संचालित करेंगे। इन से होने वाली आमदनी स्कूलों के रखरखाव पर खर्च होगी।

वैकल्पिक ऊर्जा से गांव और स्कूल रोशन होंगे

इन गांवों में लोगों की बिजली पर निर्भरता कम से कम करने का प्रयास किया जाएगा। गांव के सार्वजनिक स्थानों, स्कूल, सामुदायिक केंद्र और दूसरे सरकारी भवनों में वैकल्पिक ऊर्जा का इस्तेमाल होगा। गांव में स्ट्रीट लाइट के लिए भी सौर ऊर्जा उपयोग में लाई जाएगी।

ई-लाइब्रेरी स्किल डेवलपमेंट सेंटर बनेंगे

धीरेंद्र सिंह ने बताया कि गांव के छात्र-छात्राओं के लिए स्कूलों में एक अलग कमरा बनाया जाएगा। जिसमें ई-लाइब्रेरी शुरू की जाएगी। गांव की जनसंख्या के आधार पर कंप्यूटर सिस्टम ई-लाइब्रेरी में मुहैया करवाए जाएंगे। जिनके जरिए इन गांवों के छात्र देश और दुनिया की तमाम ई-लाइब्रेरी से जरूरत की किताबें और सूचनाएं हासिल कर सकेंगे। ग्राम पंचायतों और स्कूलों तक भारत सरकार ने ब्रॉडबैंड पहुंचा दिया है। ब्रॉडबैंड का इस्तेमाल गांव वालों की दैनिक समस्याओं का निदान करने के लिए किया जाएगा। स्कूलों में शाम के समय स्किल डेवलपमेंट सेंटर चलाए जाएंगे। इसके लिए स्थानीय कम्पनियों से सहयोग लेंगे।

और जरूरतों के लिए ग्रामीणों से सलाह लेंगे

विधायक ने बताया कि गांव में काम शुरू करने के लिए अगले दो महीने में वेबकोस के विशेषज्ञ प्रोजेक्ट रिपोर्ट सौंपेंगे। तब तक गांव वालों से भी उनकी जरूरतों के हिसाब से सलाह ली जाएगी। ग्रामीणों की ओर से मिलने वाले सुझावों को भी परियोजना में समाहित किया जाएगा। अंतिम रूप से ग्रामीणों के साथ पूरी परियोजना पर विचार-विमर्श करके लागू कर दिया जाएगा।

पर्यावरण पर भी ध्यान दिया जाएगा

प्रोजेक्ट में पर्यावरण के सुधार को भी शामिल किया गया है। गांव से निकलने वाले पानी को सीधे तालाबों में नहीं जाने दिया जाएगा। पानी को साफ करके तालाबों में भेजा जाएगा। दरअसल, विशेषज्ञों का मानना है कि गांव से निकलने वाला पानी सीधे तालाबों में जाकर भूगर्भ जल को प्रदूषित करता है। जिससे गांवों में तरह-तरह की बीमारियां बढ़ रही हैं। साथ ही तलाब का इकोसिस्टम भी खराब होता है। अगर तालाब में साफ पानी जाएगा तो उसका उपयोग मत्स्य पालन के लिए भी किया जा सकता है, जो गांव के कुछ लोगों के लिए रोजगार का अच्छा जरिया बन सकता है।

वर्ष 2031 तक पर्याप्त होगी परियोजना

विधायक ने बताया कि एजेंसी इन गांवों के प्रत्येक घर का दौरा करेगी। गांव के प्रत्येक व्यक्ति का ब्यौरा दर्ज किया जाएगा। कौन कितना पढ़ा लिखा है, अभी क्या काम कर रहा है और भविष्य में क्या काम करने की संभावना है, यह सब जानकारियां भी डाटा में दर्ज होंगी। यह परियोजना अभी वर्ष 2031 तक के लिए बनाई जा रही है। गांव में दी जाने वाली सुविधाएं 2031 तक पर्याप्त होंगी। इसके बाद आगे योजना के विस्तार पर काम होगा। परिवार के प्रत्येक सदस्य के बारे में पूरी जानकारी जुटा रहे हैं।

महिलाओं को काम मिलेगा, स्वच्छता के प्रति जागरूक किया जाएगा

गांव की महिलाओं को भी रोजगार से जोड़ा जाएगा। महिलाओं को सेनेटरी नैपकिन बनाना सिखाया जाएगा। इसके अलावा कुछ कुटीर उद्योग भी शुरू करवाए जाएंगे। जिससे महिलाएं आत्मनिर्भर बनेंगी। गांव में स्वच्छता अभियान चलाया जाएगा। गांव को साफ रखने और स्वच्छता के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए अलग से कार्यक्रम चलेंगे।

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