किसान सभा की जिला कमेटी यमुना प्राधिकरण के सीईओ को आदोलन के लिए किया सचेत

किसान सभा की जिला कमेटी यमुना प्राधिकरण के सीईओ को आदोलन के लिए किया सचेत

किसान सभा की जिला कमेटी यमुना प्राधिकरण के सीईओ को आदोलन के लिए किया सचेत

Tricity Today | किसान सभा की जिला कमेटी यमुना प्राधिकरण के सीईओ को आदोलन के लिए किया सचेत

Yamuna City: गुरूवार को किसान सभा की जिला कमेटी की बैठक में 6 फरवरी को किसानों के 10 प्रतिशत आबादी प्लाट, आबादियों की लीज बैक, क्षेत्र में लग रही फैक्ट्रियों में स्थानीय युवकों को 50 प्रतिशत रोजगार की मांग को लेकर ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण पर धरना प्रदर्शन कर आंदोलन का ऐलान किया गया।

अखिल भारतीय किसान सभा गौतम बुध नगर इकाई की जिला कमेटी के संयोजक वीर सिंह नागर, जिलाध्यक्ष नरेंद्र भाटी, उपाध्यक्ष बुधराम दरोगा, महासचिव हरेंद्र खारी, सचिव चमन मास्टर, प्रवक्ता डॉ रुपेश वर्मा, उपाध्यक्ष वीरसेन नागर, वरिष्ठ उपाध्यक्ष ब्रहम सिंह नागर, वरिष्ठ उपाध्यक्ष ब्रह्मपाल सूबेदार, सचिव बिजेंद्र सिंह नागर, उपाध्यक्ष भगवत सिंह साकीपुर, प्रवक्ता अजय चौधरी एडवोकेट, सदस्य जयवीर भाटी, सदस्य इंद्रजीत रामपुर, सचिव नरेंद्र खारी, उपाध्यक्ष रामकुमार बैंसला, उपाध्यक्ष महेंद्र नागर सैनी, सचिव जगबीर नंबरदार, संरक्षक दीपचंद नेताजी, संरक्षक जगदीश नंबरदार, उपाध्यक्ष यतेंद्र मैनेजर, सचिव अजय पाल भाटी, सचिव संदीप भाटी, सदस्य अजब सिंह नागर, सह संयोजक वीर सिंह इंजीनियर, सदस्य सुनील भाटी डेरी स्कनर, यमुना अथॉरिटी के सीईओ एवं एसआईटी के अध्यक्ष डॉक्टर अरुण वीर सिंह से मिले। किसान सभा के पदाधिकारियों ने डॉक्टर अरुण वीर से मिलकर 23 दिसंबर के आंदोलन के क्रम में 10 जनवरी को सीईओ ग्रेटर नोएडा के साथ उक्त मुद्दों पर हुई वार्ता से अवगत कराते हुए निवेदन किया कि पुश्तैनी किसानों के लगभग 2300 प्रकरण बोर्ड बैठक से पास होकर आबादियों की लीज बैक हेतु लंबित पड़े हैं। शासन द्वारा 10 जनवरी 2019 को विशेष जांच दल का गठन किए हुए 1 साल से अधिक बीत गया है। जांच के नाम पर ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण द्वारा किसानों की लीज बैक की कार्यवाही रोक दी गई है। आपसे हमारा निवेदन है कि आप जांच का दायरा केवल गैर पुश्तैनी किसानों तक ही सीमित रखें। पुश्तैनी किसानों के साथ ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने भारी अन्याय व नाइंसाफी की है। किसानों की भूमि जबरन अधिग्रहीत कर बिल्डरों को आवंटित की गई है। भूमि का अधिग्रहण औद्योगिक विकास के लिए किया गया था। परंतु गैर वाजिब तरीके से भूउपयोग बदलते हुए बिल्डरों को आवंटित कर दी गई। उत्तर प्रदेश सरकार को प्राधिकरण के कर्मचारियों व अधिकारियों द्वारा किए गए भ्रष्टाचार एवं उनके द्वारा अवैध रूप से कमाई गई अकूत संपत्ति की जांच कराकर कार्रवाई करनी चाहिए। 

मायावती शासन के दौरान भूमि आवंटन घोटाले जो कि ग्रेटर नोएडा का अब तक का सबसे बड़ा घोटाला है। उसकी जांच कर दोषियों के विरुद्ध कार्यवाही करनी चाहिए। किसानों की पुश्तैनी आबादियां उनकी पुश्तैनी भूमि पर बनी हुई हैं। किसानों के बाप दादा इस भूमि पर खेती करते चल आ रहे थे। किसानों की भूमि पर ही प्राधिकरण व प्राधिकरण द्वारा विकसित शहर की स्थापना हुई है। किसान सभा पुश्तैनी आबादियों की जांच किए जाने का पुरजोर विरोध करती है। यदि जांच के नाम पर पुश्तैनी किसानों की आबादियों को छेड़ा गया तो प्राधिकरण के विरुद्ध जबरदस्त आंदोलन किया जाएगा। यमुना प्राधिकरण के सीईओ ने किसान सभा के पदाधिकारियों को आश्वस्त किया कि हमारी मंशा पुश्तैनी किसानों का अहित करने की बिल्कुल भी नहीं हैं। गैर पुश्तैनी लोगों अथवा बिल्डरों द्वारा की गई। अनियमितताओं के संबंध में ही जांच की कार्रवाई की जा रही है। 

10 जनवरी 2019 के आदेश में जांच कमेटी का गठन व्यक्तियों के नाम से किया गया था। जिसे अब संशोधित कर पदनाम से कर दिया गया है। इसलिए अब जांच जल्दी से संपन्न कर ली जाएगी। जिससे कि आपकी आबादियों की लीजबैक की कार्यवाही शीघ्र हो सके आप निश्चिंत रहें। 

किसान सभा के पदाधिकारियों ने यमुना अथॉरिटी के सीईओ से मिलने के तुरंत बाद एनआरआई सिटी के मकान नंबर ए- 48 पर बैठक करते हुए। सर्वसम्मति से निर्णय लिया कि 23 दिसंबर के आंदोलन के बाद प्राधिकरण के अधिकारी किसानों की समस्याओं के प्रति गंभीर हुए हैं परंतु किसानों के 10 प्रतिशत प्लाट का मसला रोजगार की नीति का मसला अत्यंत गंभीर मसला है। जिसे लेकर आंदोलन को अधिक बड़ा और मजबूत करने की आवश्यकता है। सभी ने सर्वसम्मति से 6 फरवरी को ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण के विरुद्ध धरना व प्रदर्शन करने का ऐलान किया। 

किसान सभा के प्रवक्ता डॉ रुपेश वर्मा ने बैठक में उपस्थित जिला कमेटी के लोगों को संबोधित करते हुए प्राधिकरण में बीजेपी सरकार पर आरोप लगाया कि किसानों की समस्याओं को लेकर सरकार गंभीर नहीं है। किसानों की आबादियों के मसले को अनावश्यक जांच के नाम पर लंबित कर दिया गया है। अधिग्रहण से प्रभावित किसानों के 10 प्रतिशत आबादी प्लाट जो कि माननीय उच्च न्यायालय उच्चतम न्यायालय के आदेशों के अनुसार संविधान की धारा 14 जो सभी नागरिकों के लिए बराबरी के अधिकार देती का हवाला देते हुए, उन किसानों को भी जो समान रूप से समान नोटिफिकेशन में अधिग्रहण से प्रभावित हैं। वह भी सामान लाभ देने का आदेश दिया था। जिस का उल्लंघन करते हुए प्राधिकरण किसानों को उनके 10 प्रतिशत आबादी प्लाट नहीं दे रहा है। 

यही नहीं किसानों की भूमि पर लगे उद्योगों में प्रभावित किसानों को रोजगार के अवसरों से जानबूझकर वंचित किया जा रहा है। जबकि भूमि अधिग्रहण कानून में भूमि अधिग्रहण से प्रभावित परिवारों के पुनर्वास एवं  पुर्नस्थापना का प्रावधान है। 

किसान सभा के महासचिव हरेंद्र खारी ने प्राधिकरण पर आरोप लगाते हुए कहा कि, 1 सितंबर 2010 को मायावती शासन के दौरान एक शासनादेश जिसमें अधिग्रहण से प्रभावित किसानों के परिवार के एक सदस्य को अनिवार्य रोजगार व प्रभावित किसानों को 20 हजार प्रति एकड़ के हिसाब से 30 वर्ष तक वार्षिक देने का प्रावधान किया गया अनुपालन आज तक नहीं किया गया हैं। यह किसानों के साथ सरासर नाइंसाफी है। किसान सभा प्राधिकरण द्वारा की जा रही मनमानी व नाइंसाफी का पुरजोर विरोध करेगी व 6 फरवरी को हजारों की संख्या में ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण के विरुद्ध धरना देगी।

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