यमुना प्राधिकरण में 12 वर्षों से क्यों जमे हैं आवास विकास के इंजीनियर, भ्रष्टाचार के आरोपों  में शासन पहुंची शिकायत

यमुना प्राधिकरण में 12 वर्षों से क्यों जमे हैं आवास विकास के इंजीनियर, भ्रष्टाचार के आरोपों में शासन पहुंची शिकायत

यमुना प्राधिकरण में 12 वर्षों से क्यों जमे हैं आवास विकास के इंजीनियर, भ्रष्टाचार के आरोपों  में शासन पहुंची शिकायत

Tricity Today | यमुना प्राधिकरण में 12 वर्षों से जमे हैं आवास विकास के इंजीनियर

यमुना एक्सप्रेस वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण में उत्तर प्रदेश आवास विकास परिषद के इंजीनियर 3 वर्ष के लिए प्रतिनियुक्ति पर आए थे। अब इंजीनियर तमाम नियम और कायदों को तोड़कर यहीं के होकर रह गए हैं। 3 साल की प्रतिनियुक्ति के नाम पर आए और अब 12 वर्षों बाद भी अपने मूल विभाग में लौटने के लिए तैयार नहीं हैं। दूसरी ओर आवास विकास परिषद यमुना एक्सप्रेस वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण के सामने खुद को असहाय और बोना मान रहा है। यह मामला शासन तक पहुंच गया है। एक शिकायत में बताया गया है कि इंजीनियर यमुना प्राधिकरण में मनमानी और भ्रष्टाचार कर रहे हैं। इतना ही नहीं इंजीनियर खुलेआम दावा करते हैं कि उन्हें आवास विकास परिषद भेजने वाला कोई नहीं है।

ग्रेटर नोएडा के रहने वाले रविंद्र शर्मा ने उत्तर प्रदेश आवास विकास परिषद के आयुक्त अजय चौहान को एक पत्र लिखा है। इस पत्र में बताया गया है कि उनके विभाग के तमाम इंजीनियर यमुना एक्सप्रेस वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण में जमे हुए हैं। यह लोग 3 वर्षों के लिए प्रतिनियुक्ति पर आए थे। अब 12 वर्ष बीत चुके हैं। प्रतिनियुक्ति के नियम और कायदे इन लोगों की तैनाती के सामने बेमायने हो गए हैं। 

कोई अधिकारी या कर्मचारी 3 वर्ष के लिए प्रतिनियुक्ति पर भेजा जाता है

नियमानुसार उत्तर प्रदेश सरकार के एक विभाग से दूसरे विभाग में कोई अधिकारी या कर्मचारी 3 वर्ष के लिए प्रतिनियुक्ति पर भेजा जाता है। यह प्रतिनियुक्ति अधिकतम 5 वर्ष की हो सकती है। मतलब, 3 वर्ष का कार्यकाल पूरा होने के बाद एक बार फिर 2 वर्ष का कार्यकाल बढ़ाया जा सकता है। लेकिन आवास विकास परिषद के इंजीनियरों को यमुना प्राधिकरण ऐसा रास आ रहा है कि वह वापस जाने के लिए ही तैयार नहीं हैं। यह स्थिति तब है, जब आवास विकास परिषद की ओर से बार-बार चिट्ठी लिखकर इन इंजीनियरों को वापस भेजने की मांग की जा रही है।

करीब एक साल पहले आवास आयुक्त ने इंजीनियरों को चेतावनी दी थी

करीब एक साल पहले आवास आयुक्त ने इंजीनियरों को चेतावनी दी थी। कहा था कि अगर वह अब वापस नहीं आए तो उनकी पेंशन और दूसरे लाभ भी खत्म कर दिए जाएंगे। रविंद्र शर्मा का कहना है कि इंजीनियर खुलेआम कहते हैं, उन्हें न तो पेंशन की जरूरत है और न ही पीएफ की आवश्यकता है। वह लोग यहां अधिकारियों की शह पर काम कर रहे हैं। वह नियमित रूप से अफसरों को पैसा देते हैं। जिसकी वजह से उन्हें यमुना प्राधिकरण से कोई हटाने वाला नहीं है। रविंद्र शर्मा का कहना है कि जिस तरह से इन इंजीनियरों ने प्रतिनियुक्ति के नियमों का मखौल उड़ाया है और आवास आयुक्त स्तर के अधिकारी के आदेश मानने के लिए तैयार नहीं हैं, उससे यह बात साफ हो जाती है कि कहीं ना कहीं पूरे मामले में भ्रष्टाचार हावी है।

इंजीनियरों को वापस मांगने के लिए बार-बार पत्र लिखे जा रहे हैं: आवास आयुक्त

रविंद्र शर्मा ने यह शिकायत आवास आयुक्त अजय चौहान, यूपी के शहरी विकास मंत्री सुरेश खन्ना, शहरी विकास विभाग के प्रमुख सचिव और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी भेजी है। इस बारे में ट्राइसिटी टुडे ने यूपी के आवास आयुक्त अजय चौहान से बात की। अजय चौहान ने कहा, "ऐसा कौन सा विभाग है, जो अपने संसाधनों और मैनपावर को किसी दूसरे विभाग में लंबे अरसे तक रखना चाहेगा। हम खुद इंजीनियरों और स्टाफ की भारी कमी से जूझ रहे हैं। यमुना एक्सप्रेस वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण में प्रतिनियुक्ति पर गए इंजीनियरों को वापस मांगने के लिए बार-बार पत्र लिखे जा रहे हैं। लेकिन यमुना प्राधिकरण हमारे इंजीनियरों को रिलीव नहीं करता है। यमुना प्राधिकरण एक बड़ा संस्थान है और हम उनके मुकाबले छोटे विभाग हैं। ऐसे में हम चाह कर भी उनके ऊपर दबाव नहीं बना सकते हैं। यह बात यमुना प्राधिकरण और हमारे कर्मचारियों को समझनी चाहिए कि वह कर्मचारी आचार संहिता का पालन करें।"

कोई वैकल्पिक व्यवस्था जरूर लागू की जाएगी: डॉ.अरुण वीर सिंह

दूसरी ओर इस बारे में यमुना एक्सप्रेस वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी डॉ.अरुण वीर सिंह से बात हुई। यूपी के आईएएस कैडर में डॉ.अरुण वीर सिंह की गिनती बेहद ईमानदार और साफ छवि के अधिकारियों में की जाती है। उन्होंने कहा, "हमारे यहां आवास विकास परिषद के 7 इंजीनियर कार्यरत हैं। इनमें 5 जूनियर इंजीनियर और 2 असिस्टेंट इंजीनियर हैं  यह सभी प्रतिनियुक्ति पर काम कर रहे हैं। यह बात सही है कि आवास विकास परिषद अपने इंजीनियरों को वापस बुलाने के लिए कई बार पत्र भेज चुका है। हम लोगों के पास स्टाफ और इंजीनियरों की भारी कमी है। यमुना प्राधिकरण में नए स्टाफ और इंजीनियरों की नियुक्ति करने के लिए हमने उत्तर प्रदेश सरकार को पत्र लिखा है। जिस पर अभी अनुमति नहीं मिली है। इस वजह से यह इंजीनियर लंबे अरसे से प्राधिकरण में काम कर रहे हैं।"

डॉ.अरुण वीर सिंह आगे कहते हैं कि भ्रष्टाचार और पैसे के लेनदेन जैसी शिकायतों पर हम कड़ी कार्रवाई करने के लिए तैयार हैं। अगर ऐसी कोई शिकायत मेरे पास आएगी तो मैं उस पर कड़ी कार्रवाई जरूर करूंगा। डॉ.अरुण वीर सिंह ने यह भी कहा कि आवास विकास परिषद के लंबे अरसे से प्राधिकरण में तैनात इंजीनियरों के सापेक्ष कोई वैकल्पिक व्यवस्था जरूर लागू की जाएगी।

बड़े ठेकेदारों से सांठगांठ, प्रोपर्टी की जांच की मांग

रविंद्र शर्मा ने शासन को भेजी शिकायत में लिखा है कि यह इंजीनियर नोएडा, ग्रेटर नोएडा गाजियाबाद और दिल्ली-एनसीआर के तमाम बड़े ठेकेदार और बिल्डरों से सांठगांठ करके बैठे हुए हैं। टेंडरों में घपले बाजी करते हैं। अंदर की जानकारियां ठेकेदारों तक पहुंचाते हैं। जिसके कारण लगातार कुछ खास ठेकेदार विकास प्राधिकरण में जड़े जमा कर डटे हुए हैं। रविंद्र शर्मा ने इंजीनियरों पर अवैध संपत्ति अर्जित करने का आरोप भी लगाया है। उनका कहना है कि इन इंजीनियरों, इनके परिजनों और रिश्तेदारों की प्रॉपर्टी की जांच की जानी चाहिए। जिस तरह राज्य के बड़े आईएएस और आईपीएस अधिकारी अपनी संपत्तियों की घोषणा कर रहे हैं, इसी तरह प्रतिनियुक्ति पर लंबे अरसे से प्राधिकरण में जमे हुए इंजीनियरों की प्रॉपर्टी की घोषणा भी होनी चाहिए। शिकायतकर्ता ने शासन से उनकी संपत्तियों की जांच की मांग की है।

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