BIG BREAKING: गाजियाबाद में 2 दिन 6 अस्पतालों में भटका रेलवे का रिटायर कर्मचारी, इलाज नहीं मिला, एम्बुलैंस में मौत

BIG BREAKING: गाजियाबाद में 2 दिन 6 अस्पतालों में भटका रेलवे का रिटायर कर्मचारी, इलाज नहीं मिला, एम्बुलैंस में मौत

BIG BREAKING: गाजियाबाद में 2 दिन 6 अस्पतालों में भटका रेलवे का रिटायर कर्मचारी, इलाज नहीं मिला, एम्बुलैंस में मौत

Tricity Today | Umesh Sharma

गाजियाबाद के यशोदा और कोलंबिया एशिया जैसे प्राइवेट अस्पताल इलाज नहीं दे सके gangaदो दिनों तक रिटायर रेलवे कर्मचारी को लेकर परिजन इधर से उधर भटकते रहे gangaपरिवार ने डीएम को शिकायत दी, कहा- ऐसी व्यवस्था करें कि आम आदमी मौत के मुंह में ना जाएgangaपरिवार का आरोप- कोविड-19 के लिए बनी हेल्पलाइन से भी कोई मदद नहीं मिली

नोएडा के बाद अब गाजियाबाद में एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसमें मरीज एंबुलेंस में एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल के बीच धक्के खाता रहा और अंततः दम तोड़ दिया। दो दिनों में गाजियाबाद के 6 अस्पताल इस मरीज को इलाज नहीं दे पाए। मरीज की एंबुलेंस में मौत हो गई। मरने वाला रेलवे का सेवानिवृत्त कर्मचारी था। अब परिवार ने गाजियाबाद के जिलाधिकारी से शिकायत की है। डीएम ने मामले में जांच का आदेश दिया है।

गाजियाबाद के विजय नगर में रहने वाले जितेश शर्मा ने डीएम अजय शंकर पांडेय को लिखित शिकायत दी है। जितेश ने अपनी शिकायत में लिखा है की उनके रिश्तेदार उमेश कुमार शर्मा शिवपुरी सेक्टर 9 विजय नगर में गली नंबर 4 के निवासी थे। वह रेलवे में कर्मचारी थे और सेवानिवृत्त हो चुके थे। 14 जून को अचानक उमेश कुमार शर्मा की तबीयत खराब हो गई। उनमें कोविड-19 के लक्षण दिखाई दे रहे थे। परिवार के सदस्यों सबसे पहले विजय नगर में त्रिपाठी नर्सिंग होम लेकर गए। नर्सिंग होम में डॉक्टरों ने देखकर किसी हायर सेंटर से उपचार कराने के लिए कह दिया।

यशोदा अस्पताल पर इलाज नहीं करने का आरोप

जितेश ने बताया कि इसके बाद उमेश शर्मा को कौशांबी में यशोदा अस्पताल ले जाया गया। वहां पर अस्पताल की इमरजेंसी में डॉक्टरों ने उनकी जांच की। कुछ इलाज किया और अस्पताल में भर्ती करने से मना कर दिया। अस्पताल के डॉक्टरों ने कहा कि इनमें कोरोना वायरस के लक्षण हैं। यहां भर्ती नहीं किया जा सकता है। आप इन्हें दिल्ली के रेलवे अस्पताल ले जाएं या किसी दूसरे अस्पताल ले जाएं। घर पर ही आइसोलेट कर लें। परिजनों ने अस्पताल वालों से काफी अनुरोध किया कि इनको सांस लेने में बहुत ज्यादा परेशानी हो रही है। इनको रातभर के लिए अस्पताल में भर्ती कर लीजिए। सुबह जहां उचित लगेगा, वहां रेफर कर देना। आरोप है कि यशोदा अस्पताल के कर्मचारियों और डॉक्टरों ने उनकी एक नहीं सुनी। निराश होकर परिवार वाले उनको घर ले गए। 

दूसरे दिन फिर शुरू हुई मरीज की भागदौड़

जितेश का कहना है कि अगले दिन सुबह परिजन उमेश कुमार शर्मा को नंद ग्राम के मरियम अस्पताल लेकर गए। मरियम अस्पताल में भी उन्हें भर्ती करने से इंकार कर दिया। इसके बाद सर्वोदय अस्पताल पहुंचे। वहां इलाज करने के लिए कोई डॉक्टर ही उपलब्ध नहीं था। वहां से भी उन्हें वापस भेज दिया गया। इसके बाद परिवार वाले उमेश शर्मा को गाजियाबाद के कोलंबिया एशिया अस्पताल लेकर पहुंचे। कोलंबिया एशिया अस्पताल की इमरजेंसी में थोड़ी देर रखने के बाद उनको भर्ती करने से इंकार कर दिया गया। अस्पताल ने उमेश को एमएमजी जिला अस्पताल भेज दिया। 

जिला अस्पताल पहुंचते ही उमेश शर्मा की मौत हो गई

जितेश शर्मा का कहना है कि अस्पताल पहुंचते ही उमेश शर्मा की मौत हो गई। सांस लेने में दिक्कत और ऑक्सीजन की कमी के कारण उनकी मृत्यु हो गई। उनका आरोप है कि इस पूरे प्रकरण में सबसे ज्यादा गलती यशोदा अस्पताल और कोलंबिया एशिया अस्पताल के डॉक्टर और प्रबंधन की है। परिजनों का कहना है कि इन दो दिनों के दौरान वह लगातार कोविड-19 के हेल्पलाइन पर भी फोन करते रहे लेकिन कहीं से कोई मदद नहीं मिली। परिवार ने अपील की है कि जिले में ऐसी व्यवस्था की जाए, जिससे परेशान आम आदमी इस तरह मौत के मुंह में नहीं जाए। परिवार ने जिम्मेदार अस्पताल और डॉक्टर के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। इस मामले में गाजियाबाद के जिलाधिकारी अजय शंकर पांडे ने जांच का आदेश दे दिया है।

आपको बता दें कि गाजियाबाद में घटित हुई इस घटना से पहले नोएडा में भी ऐसे तीन मामले सामने आ चुके हैं। पहले 24 मई को ग्रेटर नोएडा के सेक्टर 36 में रहने वाली एक गर्भवती महिला ने बच्चे को जन्म दिया। बच्चे की हालत बहुत ज्यादा खराब थी। परिवार के लोग उसे अस्पताल दर अस्पताल लेकर घूमते रहे। अंततः बच्चे की मौत हो गई थी। फिर 2 जून की रात नोएडा में निठारी गांव की एक गर्भवती महिला ने अस्पताल के बाहर बच्चे को जन्म दिया और इलाज ना मिलने के कारण बच्चे की मौत हो गई थी।

चार जून की रात खोड़ा कॉलोनी की रहने वाली नीलम की मौत एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल के बीच धक्के खाते हुए हो गई थी। नीलम को नोएडा ग्रेटर, नोएडा और गाजियाबाद के 8 अस्पताल इलाज नहीं दे पाए थे। इस मामले में गौतम बुध नगर के जिलाधिकारी सुहास एलवाई ने अस्पतालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाने का आदेश दिया था। गाजियाबाद के अस्पतालों की लापरवाही पर वहां के जिलाधिकारी को भी पत्र लिखा था। 

अब गाजियाबाद में उमेश शर्मा की मौत अस्पतालों के बीच धक्के खाते हुए होने से साफ पता चलता है कि भले ही आम आदमी रोज मर रहा है लेकिन सिस्टम में बैठे कर्मचारी, अधिकारी, डॉक्टर और प्राइवेट अस्पताल लोगों का दुख दर्द समझने के लिए तैयार नहीं हैं।

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