Google Image | किसानों ने गाजियाबाद में दिल्ली बॉर्डर पर धारा 288 लागू की
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत के नेतृत्व में गाजियाबाद के दिल्ली बॉर्डर पर डटे किसानों ने धारा-288 लागू कर दी है। किसानों ने ऐलान कर दिया है कि वह लंबे समय तक बॉर्डर पर टिकने के लिए तैयार हैं। किसानों के जत्थे ने सोमवार की सुबह बॉर्डर पर झोपड़ियां बना ली हैं। किसानों का कहना है कि सरकार अगर हमारे धैर्य की परीक्षा लेने पर आ गई है तो हम यह परीक्षा देने के लिए तैयार हैं। दूसरी ओर बैरिकेडिंग के पास किसानों ने चूने से धारा-288 लिख दिया है। किसानों ने ऐलान कर दिया है कि रेखा के इस पार कोई पुलिसकर्मी, प्रशासनिक अधिकारी और सरकार का नुमाइंदा नहीं आए।
राकेश टिकैत ने कहा, "हम लोग दिल्ली में जंतर-मंतर पर जाकर धरना देंगे। इससे पहले सरकार या किसी भी अफसर से कोई बातचीत नहीं करेंगे। किसान लगातार दिल्ली जाने की कोशिश करते रहेंगे। हमें बार-बार पुलिस अधिकारी और प्रशासनिक अधिकारी आकर कह रहे हैं कि धारा-144 लगी है, आप लोग दिल्ली नहीं जा सकते हैं। हमने धारा-288 लागू कर दी है। अब पुलिस-प्रशासनिक अधिकारी और सरकार का कोई नुमाइंदा हमारी तरफ दाखिल नहीं हो सकता है। हम उस तरफ धारा-144 में दाखिल नहीं होंगे। हम इस तरह धारा 288 में किसी को दाखिल नहीं होने देंगे।"
इससे पहले रविवार की शाम और सोमवार कि कल सुबह किसानों ने बैरिकेडिंग तोड़ने की कोशिश की। दिल्ली में घुसने के लिए जमकर हंगामा काटा। दूसरी ओर भारी फोर्स तैनात किया गया है। जिसने किसानों को रोक रखा है। राकेश टिकैत का कहना है कि सरकार हमारे धैर्य की परीक्षा लेना चाहती है। वह देखना चाहते हैं कि हम लोग यहां बॉर्डर पर कब तक पड़े रह सकते हैं। मैं उन्हें बता देना चाहता हूं कि हम तो जंगल और खेतों में पड़े रहने वाले लोग हैं। यहां सड़क पर तो सुविधाएं और बेहतर हैं। हमें यहां पड़ा रहने में कोई दिक्कत नहीं है। अब हम लोगों ने अपनी झोपड़ी में बना ली हैं। आराम से अगले महीने या दो महीने तक यहां रहने में कोई परेशानी नहीं है। अब हमारा सबसे पहला एजेंडा है कि बिना शर्त सरकार बातचीत करे। हम लोगों को जंतर-मंतर तक जाने दें।"
क्या है किसानों की धारा-288
भारतीय किसान यूनियन के संस्थापक चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत ने वर्ष 1988 में दिल्ली के बोट क्लब पर किसानों की मांगों को लेकर बड़ा धरना दिया था। किसानों के धरने को रोकने के लिए तत्कालीन सरकार ने शहर में धारा-144 लागू कर दी थी। तब पहली बार चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत ने पुलिस और किसानों के बीच एक सीमा रेखा बनाते हुए धारा-288 लागू करने का ऐलान किया था। महेंद्र सिंह टिकैत कहते थे कि पुलिस-प्रशासन की धारा-144 के मुकाबले किसानों की धारा-288 दोगुनी ज्यादा खतरनाक है। भारतीय किसान यूनियन जब कभी बड़ा धरना, प्रदर्शन और आंदोलन खड़ा करती है तो पुलिस और किसानों के बीच एक सीमा रेखा तय करने के लिए धारा-288 लागू करने का ऐलान करती है। इसे भारतीय किसान यूनियन अपने किसान कानून की धारा बताती है। अब सोमवार को यही धारा-288 भारतीय किसान यूनियन ने गाजियाबाद में दिल्ली बॉर्डर पर लागू की है।