Tricity Today | दंगल, रागिनी और महापंचायत बने प्रदर्शन का जरिया
केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन को डेढ़ महीने से ज्यादा हो चुका है। अब तक 9 बार किसान और केंद्र सरकार के बीच बातचीत हुई है। जिसका कोई नतीजा नहीं निकल पाया है। दूसरी ओर किसान दिल्ली की सीमाओं पर डटे हुए हैं। अपना गुस्सा और विरोध जाहिर करने के लिए किसान तरह-तरह के तरीकों का मुज़ाहरा कर रहे हैं। रविवार को मौसम साफ रहा, धूप निकली तो किसानों ने दंगल का आयोजन किया। महापंचायत हुई है। रागिनी के जरिए केंद्र सरकार तक अपना विरोध भेजने की कोशिश की गई है।
उत्तर प्रदेश के किसान गाजियाबाद में दिल्ली मेरठ एक्सप्रेसवे पर धरना देकर बैठे हुए हैं। यहां रविवार की सुबह दंगल का आयोजन किया गया है इसके बाद पंचायत की गई है। एक्सप्रेसवे पर दंगल में 20 से ज्यादा कुश्तियां लड़ी गई हैं। गोविंदपुरी (दिल्ली) से गाजीपुर बॉर्डर तक सैकड़ों युवा किसानों ने मोटरसाइकिल रैली निकाली। किसानों के आंदोलन को समर्थन देने के लिए करीब 100 मोटरसाइकिल ओ का जत्था यूपी गेट बॉर्डर पहुंचा। यहां भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने एक बार फिर साफतौर पर कहा, "केंद्र सरकार कितना भी समय लगा ले, किसान हटने वाले नहीं हैं। जब तक केंद्र सरकार अपने किसान विरोधी कानूनों को खत्म नहीं करेगी, तब तक किसान आंदोलन करते रहेंगे। हम लोग पहले ही कह चुके हैं। कम से कम 6 महीने के आंदोलन की रूपरेखा बनाकर यहां आए हैं।"
नोएडा में दंगल रागिनी और महापंचायत का आयोजन किया गया
नोएडा के दलित प्रेरणा स्थल में भारतीय किसान यूनियन (लोक शक्ति) के बैनर तले डेढ़ महीने से किसान धरने पर बैठे हुए हैं। रविवार की सुबह यहां पहले कुश्ती का आयोजन किया गया। जिसमें युवा से लेकर बुजुर्ग किसानों ने कुश्तियां लड़ीं। इसके बाद रागिनी गाकर केंद्र सरकार तक अपनी बात पहुंचाने की कोशिश किसानों ने की है। आखिर में दलित प्रेरणा स्थल पर महापंचायत का आयोजन किया गया है। महापंचायत को संबोधित करते हुए मास्टर श्योराज सिंह ने कहा, "सरकार किसानों को बर्बाद करने की ठान चुकी है। हम लोग भी बर्बाद नहीं होने का संकल्प ले चुके हैं। अब सरकार और हमारे बीच फैसला भगवान करेगा। हम यहां से हटने वाले नहीं हैं। सरकार जब तक कृषि कानूनों को वापस नहीं ले लेगी, यहां धरना, प्रदर्शन और आंदोलन चलता रहेगा।"
मास्टर श्योराज सिंह ने कहा, "सरकार का काम आम आदमी के हितों की रक्षा करने के लिए कानून बनाना है। किसानों का विनाश करने के लिए कानून बनाए गए हैं। जब हमें इन कानूनों की जरूरत नहीं है तो सरकार जबरन कानून क्यों बनाना चाहती है। सरकार की जबरदस्ती उनकी खराब मनसा को साफ जाहिर कर रही है।"