किसानों ने प्राधिकरणों को दी चेतावनी, कहा- लीज बैक की जांच के नाम आबादी की जमीन नहीं हड़पे

किसानों ने प्राधिकरणों को दी चेतावनी, कहा- लीज बैक की जांच के नाम आबादी की जमीन नहीं हड़पे

किसानों ने प्राधिकरणों को दी चेतावनी, कहा- लीज बैक की जांच के नाम आबादी की जमीन नहीं हड़पे

Tricity Today | किसानों ने प्राधिकरणों को दी चेतावनी

-किसान बुधवार को यमुना प्राधिकरण के सीईओ और ग्रेटर नोएडा के एसीईओ से मिलेganga-किसान संघर्ष समिति ने कहा- जांच में किसानों को निशाना बनाया जा रहा हैganga-किसानों से ज्यादा दिल्ली, मुम्बई, बेंगलुरू और लखनऊ के शहरों से लोगों ने लाभ लिया

नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेस वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण के गांवों में बहुजन समाज पार्टी व समाजवादी पार्टी सरकारों के कार्यकाल में बड़े पैमाने पर लीज बैक के नाम पर हजारों बीघा जमीन अधिग्रहण मुक्त की गई है। किसानों से ज्यादा दिल्ली, मुम्बई, बेंगलुरू और लखनऊ के शहरों से लोगों ने लाभ लिया है। यूपी में भारतीय जनता पार्टी की योगी आदित्यनाथ सरकार आने के बाद इस मामले की जांच के लिए एसआईटी गठित की गई है। एसआईटी को शुरुआती जांच में बड़े घोटाले के सबूत मिले हैं। एसआईटी की रिपोर्ट आने वाली है।

इसी लीजबैक के मामलों की जांच कर रही स्पेशल टास्क फोर्स के अध्यक्ष और यमुना एक्सप्रेस वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी डॉ अरुण वीर सिंह से बुधवार को किसानों ने मुलाकात की। किसानों ने उनसे कहा कि मामले की जांच करने के नाम पर किसानों को परेशान नहीं किया जाए। केवल बाहर से आकर इस पॉलिसी का लाभ उठाने वाले लोगों पर कार्यवाही की जानी चाहिए। इसके बाद किसान ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी से भी मिले। 

किसान संघर्ष समिति के प्रवक्ता मनवीर भाटी ने कहा कि किसानों ने लंबा संघर्ष करके अपने परिवारों की गुजर-बसर के लिए जमीन छुड़वाई हैं। यह सभी जमीन आबादी की हैं। जिनका विकास प्राधिकरण ने अधिग्रहण कर लिया था। किसानों ने विरोध किया। जिसके बाद लीजबैक की गई हैं। प्राधिकरणों की पॉलिसी है कि परिवार के एक बेटे को 3000 वर्ग मीटर तक जमीन घर और घेर बनाने के लिए दी जा सकती है। ऐसे में जिस परिवार के तीन चार बेटे हैं, उन्हें सात-आठ हजार वर्ग मीटर जमीन छोड़ी गई है।

मनवीर ने कहा कि मामले में शिकायत उन लोगों को लेकर की गई थी, जो मुंबई, बेंगलुरु, दिल्ली और तमाम दूसरे शहरों के रहने वाले हैं। उन्होंने यहां आकर जमीन खरीदी थीं। उनकी जमीनों का प्राधिकरण ने अधिग्रहण नहीं किया और लीजबैक के जरिए लाभ दे दिया गया। जबकि लीज बैक पॉलिसी स्थानीय किसान परिवारों के लिए लागू की गई थी। जिन लोगों ने घोटाला किया था, उन्हें प्राधिकरण की एसआईटी क्लीन चिट दे रही है। शासन उन पर कार्रवाई करने का आदेश दे रहा है तो वह लोग हाईकोर्ट से स्थगन आदेश लेकर कार्यवाही रुकवा रहे हैं। दूसरी ओर एसआईटी किसानों को परेशान कर रही है।

मनवीर भाटी ने कहा कि हमने यमुना एक्सप्रेस वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी डॉ अरुणवीर सिंह और ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण के अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी केके गुप्त को ज्ञापन सौंपा है। उनसे कहा है कि लीजबैक की जांच के दौरान किसानों को परेशान नहीं किया जाए। स्थानीय किसानों की जमीनों पर प्राधिकरण गलत नजर नहीं बनाएं। अगर स्थानीय किसानों को लीजबैक की गई जमीन से छेड़छाड़ की गई या जमीनों को छीनने का प्रयास किया गया तो मजबूर होकर किसानों को बड़ा आंदोलन करना पड़ेगा।

यमुना प्राधिकरण के सीईओ डॉ अरुण वीर सिंह ने किसानों को निष्पक्ष और पारदर्शी जांच का आश्वासन दिया है। एसआईटी में ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी बतौर सदस्य काम कर रहे हैं। एसआईटी की पिछले सप्ताह बैठक हुई थी। इस मामले में जल्दी ही रिपोर्ट आने की संभावना है।

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