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हाथरस में दंगे की साजिश रचने के आरोप में मेरठ से चार संदिग्धों को गिरफ्तार किया गया था। चारों का पीएफआई संगठन से संपर्क बताया जा रहा था। पुलिस ने इनके पास से भड़काऊ साहित्य बरामद किया था। इससे पहले यूपी पुलिस ने एक वेबसाइट के जरिए दंगों की साजिश का दावा भी किया है। हाथरस मामले में रोजाना बड़ा खुलासा हो रहा है। प्रवर्तन निदेशालय की शुरुआती रिपोर्ट के मुताबिक इस कांड के बहाने जातीय दंगा फैलाने के लिए पापुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के पास मॉरिशस से 50 करोड़ आए थे। ईडी ने दावा किया है कि पूरी फंडिंग 100 करोड़ से अधिक रुपये की थी। अब पूरे मामले की जांच की जा रही है।
यूपी सरकार का दावा है कि विरोध प्रदर्शन की आड़ में वेबसाइट पर देश और प्रदेश में दंगे कराने और दंगों के बाद बचने का तरीका बताया गया है मदद के बहाने दंगों के लिए फंडिंग की जा रही थी। फंडिंग की बदौलत अफवाहें फैलाने के लिए सोशल मीडिया के दुरूपयोग के भी सुराग मिले हैं। जांच एजेंसियों के हाथ वेबसाइट की डिटेल्स और पुख्ता जानकारी लगी है। वेबसाइट में चेहरे पर मास्क लगाकर पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों को विरोध प्रदर्शन की आड़ में निशाना बनाने की रणनीति बताई गई। बहुसंख्यकों में फूट डालने और प्रदेश में नफरत का बीज बोने के लिए तरह-तरह की तरकीबें बताई गई। वेबसाइट पर बेहद आपत्तिजनक कंटेंट मिला है।
हाथरस पीड़िता को इंसाफ के नाम पर बनाई गई इस वेबसाइट में कई आपत्तिजनक बातें कही गई थी। हाथरस में हिंसा की साजिश के पहलू पर ईडी ने भी केस दर्ज कर लिया है। ईडी की शुरुआती जांच में खुलासा हुआ है कि यूपी में जातीय हिंसा भड़काने के लिए 100 करोड़ रुपये से अधिक की फंडिंग की गई थी। यूपी सरकार के मुताबिक प्रदेश में यूपी में जातीय दंगों की साजिश कराकर दुनिया में पीएम नरेंद्र मोदी और सीएम योगी आदित्यनाथ की छवि खराब करने के लिए जस्टिस फार हाथरस नाम से रातों रात वेबसाइट तैयार हुई। वेबसाइट में फर्जी आईडी के जरिए हजारों लोग जोड़े गए है।