BIG BREAKING : नोएडा और गाजियाबाद बॉर्डर पर भारी पुलिस बल तैनात, जानिए वजह

BIG BREAKING : नोएडा और गाजियाबाद बॉर्डर पर भारी पुलिस बल तैनात, जानिए वजह

BIG BREAKING : नोएडा और गाजियाबाद बॉर्डर पर भारी पुलिस बल तैनात, जानिए वजह

Google Image | प्रतीकात्मक फोटो

नोएडा और गाजियाबाद में दिल्ली की सीमाओं पर भारी पुलिस बल तैनात कर दिया गया है। दिल्ली पुलिस ने रविवार को कहा कि उसने पड़ोसी राज्यों में किसानों के प्रदर्शन के मद्देनजर ऐहतियाती तौर पर सीमावर्ती इलाकों में पुलिकर्मी तैनात किए हैं। पुलिस के अनुसार गाजियाबाद की ओर अशोक नगर के निकट बल की दो कंपनियां तैनात की गई हैं। हालाँकि, फिलहाल सीमा पर कोई प्रदर्शनकारी नहीं है।

पुलिस ने दिल्ली-हरियाणा सीमा पर भी सतर्कता बढ़ा दी है। पुलिस उपायुक्त (पूर्वी) जसमीत सिंह ने कहा, ''हमने दिल्ली-उत्तर प्रदेश सीमा पर ऐहतियाती तौर पर पुलिसकर्मी तैनात किए हैं।'' गौरतलब है कि भारतीय किसान यूनियन की हरियाणा इकाई ने घोषणा की थी कि वह केन्द्र सरकार के कृषि अध्यादेशों के खिलाफ रविवार को राज्यव्यापी प्रदर्शन करेगी। इस दौरान उसके सदस्य तीन घंटे के लिए चक्का जाम करेंगे।

राजयसभा में हंगामे के बीच कृषि विधेयक पारित

दूसरी ओर राज्यसभा ने कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्द्धन और सरलीकरण) विधेयक-2020 और कृषक (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन समझौता और कृषि सेवा पर करार विधेयक-2020 को मंजूरी दे दी है। राज्यसभा में कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस सहित कुछ विपक्षी दलों के सदस्यों के भारी हंगामे के बीच कृषि संबंधी इन दो विधेयकों को आज मंजूरी दी गई। लोकसभा में ये विधेयक पहले ही पारित हो चुके हैं । 

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कृषि उपज एवं कीमत आश्वासन संबंधी विधेयकों को 'किसान हितैषी बताते हुए कहा कि किसानों की उपज की, न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की व्यवस्था के तहत खरीद हो रही है और यह आगे भी जारी रहेगी । 

हंगामे के कारण सदन कुछ देर स्थगित करना पड़ा

राज्यसभा में कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस सहित कुछ विपक्षी दलों के सदस्यों ने कृषि संबंधी दो विधेयकों को किसान विरोधी करार देते हुए आसन के समीप आकर भारी हंगामा किया। विपक्षी सदस्यों के हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही कुछ देर स्थगित करनी पड़ी। उन्होंने कहा कि यह ऐतिहासिक विधेयक हैं और इनसे किसानों के जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन आयेंगे। 

इन विधेयकों पर कई विपक्षी दलों का तर्क है कि यह विधेयक एमएसपी प्रणाली द्वारा किसानों को प्रदान किए गए सुरक्षा कवच को कमजोर कर देंगे और बड़ी कंपनियों द्वारा किसानों के शोषण की स्थिति को जन्म देंगे। चर्चा के दौरान कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, शिरोमणि अकाली दल जैसे दलों ने विधेयक को संसद की प्रवर समिति को भेजने की मांग की। 

विधेयकों से व्यवस्था पर प्रभाव नहीं पड़ेगा : तोमर

सदन में हुई चर्चा का जवाब देते हुए कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, '' किसानों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की व्यवस्था जारी रहेगी और इन विधेयकों के कारण इस व्यवस्था पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। तोमर ने कहा कि इससे प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी, किसानों को उनकी उपज के लिए लाभकारी मूल्य दिलाना सुनिश्चित होगा ।

उन्होंने कहा कि कृषि के क्षेत्र में एकांगी तरीके से विचार करने से किसानों का हित नहीं होगा और इसके लिये बहुत सारी पहल की गई हैं और आगे भी की जायेंगी। बहरहाल, हंगामे के कारण एक बार के स्थगन के बाद उच्च सदन की कार्यवाही दोबारा शुरू होने पर विपक्षी सदस्यों का शोर-शराबा जारी रहा । तृणमूल कांग्रेस, आम आदमी पार्टी तथा कुछ अन्य विपक्षी दलों के सदस्य आसन के समीप आकर नारेबाजी करते रहे। 

विपक्षी सदस्यों ने यह भी मांग की कि विधेयकों पर मंत्री अपना जवाब कल दें। कृषि मंत्री के जवाब के बाद विपक्षी सदस्यों के शोर-शराबे के बीच सदन ने कुछ विपक्षी सदस्यों के संशोधनों को अस्वीकृत करते हुए कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्द्धन और सुविधा) विधेयक-2020 और कृषक (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन समझौता और कृषि सेवा पर करार विधेयक-2020 को ध्वनिमत से मंजूरी दे दी। 

किसानों की आमदनी दोगुना करने का लक्ष्य

इससे पहले, तोमर ने कहा, ''पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में कृषि के क्षेत्र में कई योजनाओं का सृजन हुआ है। उनका लाभ भी कृषि क्षेत्र को मिल रहा है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में कार्यभार संभालने के बाद से लगातार किसान हितैषी कार्यों को आगे बढ़ाया। इस सिलसिले में किसानों की आमदनी दोगुना करने की दिशा में कई कार्य किये गए।

कृषि मंत्री ने कहा कि जहां तक न्यूनतम समर्थन मूल्य का सवाल है, इसको लेकर किसी के मन में कोई शंका नहीं रहनी चाहिए। यह व्यवस्था आगे भी जारी रहेगी। उन्होंने कहा कि स्वामीनाथन आयोग ने किसानों की उपज की लागत में 50 प्रतिशत जोड़कर एमएसपी देने की सिफारिश की थी। कांग्रेस नीत संप्रग सरकार के दौरान इसे लागू नहीं किया। मोदी सरकार आने के बाद इस दिशा में निर्णय किया गया।

तोमर ने कहा कि धान, गेहूं, दलहन, सोयाबीन जैसे कृषि उत्पादों के लिये प्रति क्विंटल खरीद की दर में पिछले तीन-चार वर्षों में काफी वृद्धि की गई है। उन्होंने कहा कि प्रधनमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने 10 हजार किसान उत्पादन संगठनों (एफपीओ) की घोषणा की और इससे आने वाले दिनों में किसानों को काफी फायदा होगा। उन्होंने सरकार द्वारा कृषि क्षेत्र को मजबूत बनाने के लिये एक लाख करोड़ रूपये के पैकेज का भी जिक्र किया।

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