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कोरोना वायरस के कारण फैली महामारी की वजह से उत्तराखंड सरकार ने इस साल हरिद्वार में होने वाली कावड़ यात्रा पर प्रतिबंध लगा दिया है। अब हरिद्वार जिला प्रशासन ने इस संबंध में कड़े दिशा-निर्देश जारी किए हैं। यदि कोई हरिद्वार आता है तो उसे 14 दिन के लिए क्वारंटाइन कर दिया जाएगा। जिसका खर्च उस व्यक्ति को स्वयं वहन करना पड़ेगा। इसी के साथ उसे गंगाजल ले जाने की भी अनुमति नहीं मिलेगी। पिछले सप्ताह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और हरियाणा के मुख्यमंत्री ईमेल खट्टर ने संयुक्त रूप से यह फैसला लिया था।
हरिद्वार के डीएम श्री रविशंकर ने कहा कि लोगों के स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए इस बार कावड़ यात्रा पर पूर्ण तरह प्रतिबंध रहेगा। डीएम ने कहा कि शासन के दिशा निर्देश के अनुसार यह निर्णय लिया गया है, यदि कोई कावड़िया चोरी-छिपे शहर में घुसता है तो उसे 14 दिन के लिए क्वारंटाइन किया जाएगा। जिसका खर्चा उसे स्वयं वहन करना होगा और उसे नदी से गंगाजल ले जाने की अनुमति भी नहीं मिलेगी।
दिल्ली-एनसीआर से लाखों की संख्या में हरिद्वार जाते हैं कावड़िए
सावन के माह में प्रत्येक वर्ष भोले के भक्त दिल्ली-एनसीआर से लाखों की संख्या में गंगाजल लेने हरिद्वार जाते हैं। कावड़िए हरिद्वार से गंगाजल लाकर अपने-अपने मंदिरों पर जलाभिषेक करते हैं। लेकिन कोराना के संकट काल में भोले के भक्तों को इस बार बड़ा झटका लगा है। जिसके चलते इस बार कावड़ यात्रा पर प्रतिबंध होने की वजह से परेशान हैं। बीमारी को देखते हुए अधिकांश कांवड़ियों ने खुद ही इस बार कावड़ ने लाने का निर्णय लिया था।
दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के मुख्यमंत्रियों के बीच सहमति बनने के बाद गुरुवार को हरिद्वार और यूपी के जिला अधिकारियों के बीच वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बैठक हुई है। इस बैठक में निर्णय लिया गया है कि कांवड़ियों को हरिद्वार नहीं पहुंचने दिया जाएगा। अगर कोई कावड़िया चोरी-छिपे हरिद्वार पहुंच जाता है तो उसे 14 दिन के लिए क्वॉरेंटाइन कर दिया जाएगा। क्वॉरेंटाइन का खर्च भी खुद कावड़िए को उठाना पड़ेगा। दूसरी ओर उत्तर प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान की सरकार और जिला प्रशासन इस बारे में शिव भक्तों को जागरूक करेंगे।