Tricity Today | फैक्ट्री में बंदी की घोषणा के बाद जमा कर्मचारी
गाजियाबाद को औद्योगिक नगरी के रूप में पहचान देने वाली नामचीन फैक्ट्रियों में से एक एटलस कंपनी बुधवार को बंद हो गई। यह घटना दो मायनों में बड़ी है। एक, बुधवार को वर्ल्ड साइकिल डे था। जिस दिन पूरी दुनिया साइकिल चलाकर इसके प्रचलन को बढ़ावा देने के लिए ताईद कर रही थी, उसी दिन देश की सबसे बड़ी साइकिल निर्माता कंपनी एटलस में तालाबंदी हो गई। दूसरी बड़ी बात यह कि हम जिस दौर में पर्यावरण को बचाने और प्रदूषण को घटाने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं, उस दौर में एटलस का बंद हो जाना कई सवाल खड़े कर जाता है।
क्या वाकई आम आदमी अब साइकिल चलाना नहीं चाहता है? क्या एटलस आधुनिक साइकिलों के साथ तकनीकी और किफायती उत्पाद बनाने में नाकामयाब रही? बढ़ते बाजारीकरण में प्रतिस्पर्धा का सामना नहीं कर पाई? 'वर्ल्ड साइकल डे' के दिन साइकल निर्माण करने वाली देश की सबसे बड़ी कंपनी एटलस अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दी गई है। 1000 से अधिक कर्मचारी बेरोजगार हो गए हैं। एटलस की आखिरी फैक्ट्री गाज़ियाबाद में थी। इससे पहले दो फैक्ट्रियां बंद हो चुकी हैं।
मतलब, एक जमाने में शान की सवारी और बड़ा ब्रांड एटलस का उत्पादन अब भारत में पूरी तरह बंद हो गया है। वजहों की समीक्षा तो खूब की जा सकती है, लेकिन कंपनी को बंद करते वक्त प्रबंधन ने क्या कहा उस पर भी गौर करने की जरूरत है। कम्पनी ने कहा, "जैसा कि सभी कर्मचारियों को भली-भांति ज्ञात है कि कंपनी पिछले कई वर्षों से भारी आर्थिक संकट से गुजर रही है। कंपनी ने सभी उपलब्ध फंड खर्च कर दिए हैं और स्थिति यह है कि कोई अन्य आय के स्रोत नहीं बचे हैं। यहां तक कि दैनिक खर्चों के लिए भी धन उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। सेवा योजक जब तक धन का प्रबंध नहीं कर लेते, तब तक यह कच्चा माल खरीदने के लिए भी असमर्थ हैं। ऐसी स्थिति में सेवा योजक फैक्ट्री चलाने की स्थिति में नहीं हैं। यह स्थिति तब तक बने रहने की संभावना है, जब तक सेवा योजक धन का प्रबंध न कर लें।"
कंपनी ने आगे लिखा है, "सभी कर्मकार कल दिनांक 3 जून 2020 से बैठकी (ले-ऑफ) पर घोषित किए जाते हैं। ले-ऑफ की अवधि में कर्मकार प्रत्येक दिन साप्ताहिक अवकाश को छोड़कर फैक्ट्री के गेट पर आकर अपनी हाजिरी लगाएंगे। अगर हाजिरी नहीं देंगे तो बैठकी पाने के अधिकारी नहीं होंगे।" कंपनी की ओर से बंदी की जानकारी उत्तर प्रदेश सरकार के उप श्रम आयुक्त और तमाम अधिकारियों को दे दी गई है। यह जानकारी एटलस साइकिल एंप्लाइज यूनियन को भी दी गई है। कुल मिलाकर कंपनी और इसके करीब 1000 कर्मचारियों का भविष्य अभी अधर में लटक गया है। एक और सरकार भरसक प्रयास कर रही है कि घरेलू निर्माता किसी भी तरह खड़े रहे और आगे बढ़ें। दूसरी ओर एटलस साइकिल के आखिरी कारखाने का बंद हो जाना बड़ा झटका है।