मनचाही पोस्टिंग के लिए सौदेबाजी कर रहे थे आईपीएस, विजिलेंस ने शासन को सौंपी रिपोर्ट, पूर्व डीजीपी पर भी आंच

मनचाही पोस्टिंग के लिए सौदेबाजी कर रहे थे आईपीएस, विजिलेंस ने शासन को सौंपी रिपोर्ट, पूर्व डीजीपी पर भी आंच

मनचाही पोस्टिंग के लिए सौदेबाजी कर रहे थे आईपीएस, विजिलेंस ने शासन को सौंपी रिपोर्ट, पूर्व डीजीपी पर भी आंच

Google Image | IPS Himanshu Kumar and IPS Ajay Pal Sharma

यूपी विजिलेंस टीम ने आईपीएस अफसर अजय पाल शर्मा और हिमांशु कुमार पर लगे आरोपों की जांच पूरी करके 200 पेज की एक भारी भरकम रिपोर्ट शासन को सौंप दी है। अजयपाल शर्मा गौतमबुद्ध नगर के एसएसपी थे और उसी वक्त विवादों में घिर गए थे। विजिलेंस की रिपोर्ट में बताया गया है कि मनचाहे जिले में तैनाती के लिए सौदेबाजी का खेल चल रहा था। इस खेल में आईपीएस अजयपाल शर्मा और हिमांशु कुमार के अलावा कई पत्रकार शामिल थे। विजिलेंस की टीम ने उस वक्त के पुलिस महानिदेशक की भूमिका पर सवाल खड़े किए हैं। जांच की आंच पूर्व डीजीपी तक पहुंच सकती है।

गौतमबुद्ध नगर के पूर्व एसएसपी वैभव कृष्ण ने एक गोपनीय रिपोर्ट शासन को भेजी थी। इस रिपोर्ट पर लम्बे अरसे तक कोई सुनवाई और कार्रवाई नहीं की गई थी। जिसके बाद यह रिपोर्ट मीडिया में आ गई थी। इसी आधार पर वैभव कृष्ण को निलंबित किया गया था। बाद में मामला खुला तो शासन के निर्देश पर एसआईटी और विजिलेंस टीम को जांच सौंपी दी गई थी। अब विजिलेंस ने करीब एक सप्ताह पहले ही अपनी जांच रिपोर्ट शासन को भेजी है।

मिली जानकारी के अनुसार डीजी विजिलेंस ने अपनी जांच रिपोर्ट शासन को भेज दी है। विजिलेंस की टीम ने वैभव कृष्ण की गोपनीय रिपोर्ट के एक-एक बिन्दु पर विस्तृत जांच की है। विजिलेंस ने रिपोर्ट शासन को सौंपी। जिसका अध्ययन करने के बाद शासन ने एक्शन लेने का आदेश दिया। तीन दिन पहले दोनों आरोपी आईपीएस अफसरों अजयपाल शर्मा और हिमांशु कुमार के खिलाफ एक मुकदमा दर्ज किया गया है। एसआईटी और विजिलेंस ने अपनी जांच रिपोर्ट में आईपीएस अजयपाल शर्मा पर वैभव कृष्ण की ओर से लगाए गए कई गंभीर आरोप सही करार दिए हैं। आरोप है कि उन्होंने महिला दीप्ती के खिलाफ बुलंदशहर और रामपुर में फर्जी मुकदमे दर्ज करवाए हैं। जेल में बंद माफिया अनिल भाटी से लगातार वॉट्सऐप पर चैट की है। मेरठ और एक अन्य जिले में अपनी तैनाती करवाने के लिए कथित पत्रकार और उसके साथी से 80 लाख रुपये के लेन-देन की बात भी की थी। 

आईपीएस अजयपाल की वॉट्सऐप चैट तथा कॉल रिकॉर्ड को एसआईटी ने अपनी जांच में सबूत बनाया है। इसके लिए नौ मोबाइल रिकॉर्डिंग की जांच की गई है, जिसमें से पांच रिकॉर्डिंग मनचाहे स्थान पर पोस्टिंग को लेकर हुई बातचीत के संबंध में हैं। दूसरे आईपीएस अधिकारी हिमांशु कुमार के संबंध में कहा गया है कि मनचाही तैनाती के सिलसिले में 6 जुलाई 2019 की शाम को लखनऊ के फन मॉल में उन्होंने स्वप्निल रॉ से मुलाकात की थी और कथित पत्रकार ने यह मुलाकात तय कराई थी। 

इसके बाद तैनाती और लेन-देन को लेकर वॉट्सऐप पर चैट हुई थी। इस चैट में भी फन मॉल में हुई मुलाकात का जिक्र है। विजिलेंस ने मुकदमा दर्ज करने से पहले सभी साक्ष्य जुटाए हैं और आरोपियों के बयान भी दर्ज किए हैं। हालांकि, दोनों आईपीएस अधिकारी पहले ही इन आरोपों का खंडन कर चुके हैं। दोनों कह चुके हैं कि उन्हें बदनाम करने के उद्देश्य से यह गलत आरोप लगाए गए हैं।

गोपनीय रिपोर्ट का मामला लंबे समय तक दबा रहा और इस रिपोर्ट की जांच अनेक बार हुई है। इस मामले की जांच के लिए उच्चस्तरीय कमेटी बनाई गई। इस कमेटी के अध्यक्ष एचसी अवस्थी तत्कालीन निदेशक सतर्कता थे, जबकि कमेटी के सदस्य अमिताभ यश आईजी एसटीएफ और विकास गोठलवाल प्रबंध निदेशक उत्तर प्रदेश जल निगम थे। विजिलेंस ने भी मामले की जांच की थी। उससे पहले एडीजी जोन मेरठ, आईजी मेरठ ने भी जांच की थी।

दावा किया गया था कि आरोपियों के तार मुख्य सचिव कार्यालय तक जुड़े हुए थे। चैटिंग में जिस व्यक्ति से ट्रांसफर-पोस्टिंग के लिए वार्ता की जा रही थी, वह लखनऊ में एक कंपनी चलाता है। उसका संबंध एक अन्य व्यक्ति से था जो मुख्य सचिव के कार्यालय में तैनात था।

उत्तर प्रदेश सरकार इन दिनों दागी अफसरों पर लगातार कार्रवाई कर रही है। सितंबर में चार आईपीएस अधिकारी जांच के घेरे में फंस गए हैं। इनमें आईपीएस अजयपाल शर्मा और हिमांशु कुमार के खिलाफ मेरठ विजिलेंस में मुकदमा दर्ज हुआ है। इससे पहले महोबा के एसपी रहे मणि लाल पाटीदार पर घूस मांगने के साथ ही अपराधियों पर अपेक्षित कार्रवाई न करने के आरोप में मुकदमा दर्ज हो चुका है। निलंबित आईपीएस अधिकारी अभिषेक दीक्षित तथा मणि लाल पाटीदार की संपत्तियों की विजिलेंस से जांच कराने के निर्देश जारी हो चुके हैं।

नोएडा पुलिस ने 23 अगस्त 2019 को संगठित गिरोह चलाने के आरोप में चार युवकों को गिरफ्तार किया था। इसके पास से मिले मोबाइल फोन की जांच साइबर इमरजेंसी रेस्पॉन्स टीम ने की थी। जांच में आरोपियों के अनेक अधिकारियों के साथ संपर्क में होने के सबूत मिले थे। इन्हीं रिपोर्ट के आधार पर तत्कालीन एसएसपी गौतमबुद्ध नगर वैभव कृष्ण ने गोपनीय रिपोर्ट शासन को भेजी थी। मोबाइल फोन से जो प्रमाण मिले थे, उनमें सबसे अहम चर्चित आईपीएस अधिकारी की मेरठ पोस्टिंग के लिए 80 लाख रुपये में सौदा तय होना था। इसके संबंध में ऑडियो रिकॉर्डिंग और चैट मिली थी।

जिले के तत्कालीन एसएसपी गौतमबुद्ध नगर वैभव कृष्ण ने गोपनीय रिपोर्ट में सारी चैट और ऑडियो के प्रमाण लेकर मुख्यालय व वरिष्ठ अधिकारियों को अगस्त 2019 में ही भेज दिए थे, तब से इस रिपोर्ट पर जांच चल रही थी।एक जनवरी 2020 को यह रिपोर्ट सार्वजनिक हो गई थी। इसके बाद उक्त आईपीएस अधिकारी जिनके रिपोर्ट में नाम थे, उन्हें चार्ज से हटा दिया गया था। शासन द्वारा गठित एसआईटी के बाद अब इस मामले की जांच डीजी विजिलेंस के नेतृत्व में चल रही थी। इसकी रिपोर्ट के आधार पर अब कार्रवाई हुई है।

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