Google Image | बाबरी विध्वंस मामले में 28 साल बाद आया ऐतिहासिक फैसला
उत्तर प्रदेश के अयोध्या में 28 साल पुराने बाबरी ढांचा विध्वंस मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने आज अपना फैसला सुना दिया है। विशेष अदालत ने बाबरी ढांचा विध्वंस मामले में सभी 32 आरोपियों को बरी कर दिया है।
मामला सीबीआई की विशेष अदालत में काफी लम्बे वक्त से लंबित था। दोनों पक्ष अपनी-अपनी दलीलें पेश कर रहे थे। 28 साल बाद आए इस ऐतिहासिक फैसले में सीबीआई की विशेष अदालत ने सभी 32 आरोपियों पर लगाए गए आरोपों को निराधार माना है।
फैसले में सीबीआई की विशेष अदालत ने ये माना है कि बाबरी को विध्वंस करने की योजना पहले से नहीं बनाई गई थी। अदालत ने माना है कि मौके पर मौजूद सभी आरोपियों ने बाबरी विध्वंस को रोकने की पूरी कोशिश की थी। ऐसा कोई साक्ष्य नहीं है जिससे ये कहा जा सके कि बाबरी विध्वंस की योजना पूर्वनिर्धारित थी।
साक्ष्यों के आधार पर ये कहा जा सकता है कि बाबरी को किसी षड्यंत्र के तहत नहीं गिराया गया था। अदालत ने कहा है कि अचानक आई भीड़ ने बाबरी ढांचे को गिराया था।
बताते चलें कि बाबरी ढांचा विध्वंस में भारतीय जनता पार्टी, विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल सरीखे हिंदूवादी संगठनों और राजनीतिक दलों के तमाम बड़े नेताओं को आरोपी बनाया गया था। इसमें लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, महंत नृत्यगोपाल दास, साक्षी महाराज, अशोक सिंघल, आचार्य धर्मदास, चंपत राय, रामविलास वेदांती सहित 32 लोगों को आरोपी बनाया गया था।