दिग्गज समाजवादी नेता बेनी प्रसाद वर्मा का निधन, जानिए रणनीति में उनका क्या मुकाम था

दिग्गज समाजवादी नेता बेनी प्रसाद वर्मा का निधन, जानिए रणनीति में उनका क्या मुकाम था

दिग्गज समाजवादी नेता बेनी प्रसाद वर्मा का निधन, जानिए रणनीति में उनका क्या मुकाम था

Tricity Today | दिग्गज समाजवादी नेता बेनी प्रसाद वर्मा

पूर्व केंद्रीय मंत्री और दिग्गज समाजवादी नेता बेनी प्रसाद वर्मा का निधन हो गया है। वह लंबे समय से बीमार थे और अभी लखनऊ के वेदान्ता अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। मुलायम सिंह यादव और बेनी प्रसाद यादव की दोस्ती राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय रहती थी। बड़े-बड़े नेता उनकी दोस्ती की मिसाल देते हैं।

केंद्र में तीन बार मंत्री रहे बेनी प्रसाद
बेनी प्रसाद वर्मा अभी समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सांसद थे। वह शुरू से समाजवादी पार्टी के सदस्य रहे और मुलायम सिंह यादव के साथ मिलकर उन्होंने पार्टी की स्थापना की थी। हालांकि, बीच में वह सपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए थे और उन्होंने 2009 में कांग्रेस के टिकट से लोकसभा चुनाव जीता था। जिसके बाद उन्हें केंद्र में यूपीए सरकार का मंत्री भी बनाया गया था। बेनी प्रसाद वर्मा यूपीए सरकार में इस्पात मंत्री थे। इससे पहले प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा की कैबिनेट में 1996 से 1998 तक भी वह मंत्री रहे थे। उस सरकार में मुलायम सिंह यादव रक्षा मंत्री थे।

खांटी कुर्मी नेता थे बेनी प्रसाद वर्मा
बेनी प्रसाद वर्मा ने 1998, 1999 और 2004 के चुनाव कासगंज लोकसभा सीट से जीते थे। 2009 में वह गोंडा लोकसभा क्षेत्र से जीत कर लोकसभा पहुंचे थे। कांग्रेस से मोहभंग होने के बाद 2016 में वह वापस समाजवादी पार्टी में लौट आए थे। बेनी प्रसाद वर्मा मूल रूप से बाराबंकी के रहने वाले थे और उन्हें पूर्वी उत्तर प्रदेश में कुर्मी बिरादरी का दिग्गज नेता माना जाता था।

कई शिक्षण संस्थाओं की स्थापना की
बेनी प्रसाद वर्मा ने बाराबंकी जिले में बारादरी गांव के पास चौधरी चरण सिंह महाविद्यालय और महान लाल वर्मा एजुकेशनल इंस्टीट्यूट की स्थापना की। बेनी प्रसाद वर्मा दिसंबर 2009 में लोकसभा में बहस के दौरान तब विवादों में पड़ गए थे, जब उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी पर विवादास्पद बयान दिया था। उन्होंने वाजपेयी को निचले स्तर का आदमी कहकर पुकारा था। जिसके बाद भारतीय जनता पार्टी ने न केवल लोकसभा का बहिष्कार किया था बल्कि संसद तक ठप कर दी थी।

तत्कालीन पीएम और गृह मंत्री ने माफी मांगी थी
हालांकि, इस मामले में तत्कालीन गृह मंत्री पी चिदंबरम ने माफी मांगी थी। भारी दबाव के बावजूद बेनी प्रसाद वर्मा ने माफी मांगने से इनकार कर दिया था। अगले दिन तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी लोकसभा में माफी मांगी थी। इसके बाद 2012 के विधानसभा चुनाव में बेनी प्रसाद वर्मा ने चुनाव आयोग को चुनौती देते हुए कहा था कि अगर हिम्मत है तो मुझे गिरफ्तार करके दिखाओ। तब उन्होंने मुसलमानों के लिए कोटा बढ़ाने की मांग की थी। कायमगंज में इस रैली में कांग्रेस के तत्कालीन राष्ट्रीय महासचिव दिग्विजय सिंह और कानून मंत्री सलमान खुर्शीद भी मौजूद थे।

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