EXCLUSIVE : यमुना एक्सप्रेस वे पर सुरक्षा इंतजाम के लिए पैसा जुटाने में 10 साल लगेंगे

EXCLUSIVE : यमुना एक्सप्रेस वे पर सुरक्षा इंतजाम के लिए पैसा जुटाने में 10 साल लगेंगे

EXCLUSIVE : यमुना एक्सप्रेस वे पर सुरक्षा इंतजाम के लिए पैसा जुटाने में 10 साल लगेंगे

Tricity Today | Yamuna Expressway

सुरक्षा उपायों के लिए खोले गए खाते में नहीं जा रहा पर्याप्त पैसा, हर महीने करीब 7 करोड़ रुपये की जरूरत, मिले रहे हैं केवल सवा करोड़ रुपये

यमुना एक्सप्रेस वे पर रोड सेफ्टी के काम में लापरवाही बरती जा रही है। सड़क का संचालन कर रही कंपनी जेपी इंफ्राटेक ने रोड सेफ्टी के लिए संयुक्त खाता खुलवाया है, उसमें हर रोज मात्र 2 से 4 लाख रुपये ही जमा कराए जा रहे है। इस खाते में हर महीने कम से कम 7 करोड रुपये जमा करवाने की जरूरत है। इन हालात के चलते यमुना एक्सप्रेस वे पर रोड सेफ्टी के काम शुरू ही नहीं करवाया जा सका है।

यमुना एक्सप्रेस वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण ने पिछली बोर्ड बैठक में यमुना एक्सप्रेस वे पर लोगों की सुरक्षा को लेकर प्रस्ताव पास किया गया था। तय किया गया थ कि यमुना एक्सप्रेस वे पर हर महीने सुरक्षा में 7 करोड़ रुपये खर्च किए जाने हैं। यह धनराशि एक्सप्रेस वे पर वसूले जा रहे 28 करोड़ रुपये महीना के टोल टैक्स में से खर्च की जानी है। सुरक्षा की कमी के कारण एक्सप्रेस वे पर आए दिन हादसे हो रहे हैं।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर आईआईटी दिल्ली की टीम ने जांच के बाद रोड सेफ्टी पर करीब 138 करोड़ रुपये खर्च करने के लिए कहा था। बोर्ड बैठक में संयुक्त खाता खोलकर उसमें हर महीने 7 करोड़ रुपये जमा करने का निर्णय लिया गया था। प्राधिकरण अधिकारियों ने बताया कि जेपी इंफ्राटेक कंपनी ने रोड सेफ्टी के मामले में प्राधिकरण और कंपनी का खाता तो खुलवा दिया लेकिन कभी दो लाख रुपये तो कभी चार लाख रुपये जमा करवाए जा रहे हैं। इस तरह अगर पैसा जमा किया गया तो पूरा पैसा करीब 10 वर्षों में जमा हो पाएगा।

यही वजह है कि यमुना एक्सप्रेस वे पर सुरक्षा मानक पूरे करने में दिक्कत आ रही है। रोड सेफ्टी का काम पूरा नहीं हो पा रहा है। जब तक पूरा पैसा खाते में जमा नहीं होता टेंडर नहीं निकाला जाएगा। टेंडर निकालने के बाद ही काम शुरु हो सकेगा।

आईआईटी दिल्ली ने किया था एक्सप्रेस वे का अध्ययन: 165 किलोमीटर लंबे यमुना एक्सप्रेस वे पर साइनेज मार्किंग और सड़क के किनारे अवरोधों की कमी है। आईआईटी दिल्ली ने इस सड़क का सुरक्षा ऑडिट किया था और उपायों की सिफारिश की थी। अध्ययन में आईआईटी ने पिछले तीन वर्षों के ट्रैफिक क्रैश डेटा के आधार पर उन स्थानों की पहचान की, जहां ज्यादा हादसे हो रहे हैं। ऑडिट पिछले साल अगस्त में शुरू किया गया था।

ये उपकरण लगावाए जाने हैं: एक्सप्रेस वे पर लगीं स्पीड गन और कैमरों की संख्या बढ़ाने की सिफारिश की गई है। अभी 24 कैमरे हैं, जिनमें से 12 प्रत्येक कैरिज-वे पर और चार स्पीड गन लगी हैं। इनकी संख्या बढ़ाकर दो गुनी करनी है। बचाव दल में सदस्यों की संख्या बढ़ानी है। रिस्पांस वेहिकल बढ़ाने हैं। एक्सप्रेस वे के दोनों ओर लगे क्रैश गार्ड बढ़ाने हैं। लोहे के गार्ड की ऊंचाई बढ़ाने की सिफारिश की गई है। कैट आई और लेन डिवाइडर मार्क बढ़ाने हैं। साइनेज की संख्या बढ़ानी है।

दूसरी बार करवाया गया है सेफ्टी ऑडिट: यह अध्ययन दूसरी बार करवाया गया है। इससे पहले 24 दिसंबर, 2014 को यमुना प्राधिकरण ने केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान (CRRI) को एक्सप्रेस वे की सुरक्षा ऑडिट करने की जिम्मेदारी दी थी। तब सीआरआरआई ने सड़क की गुणवत्ता को शानदार बताया था। कुछ उपाय करने के सुझाव दिए थे, जो नहीं किए गए हैं।

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