BIG NEWS: नोएडा, ग्रेटर नोएडा और गाजियाबाद के बिल्डरों ने योगी आदित्यनाथ से किया करार, ढाई लाख को रोजगार देंगे

BIG NEWS: नोएडा, ग्रेटर नोएडा और गाजियाबाद के बिल्डरों ने योगी आदित्यनाथ से किया करार, ढाई लाख को रोजगार देंगे

BIG NEWS: नोएडा, ग्रेटर नोएडा और गाजियाबाद के बिल्डरों ने योगी आदित्यनाथ से किया करार, ढाई लाख को रोजगार देंगे

Tricity Today | नोएडा, ग्रेटर नोएडा और गाजियाबाद के बिल्डरों ने योगी आदित्यनाथ से किया करार, ढाई लाख को रोजगार देंगे

9.5 लाख श्रमिकों को रोजगार देने के लिए नरेडको, सीआईए और आईआईए ने एमओयू साइन किएgangaदेशभर से वापस लौट रहे उत्तर प्रदेश के श्रमिकों को रोजगार उपलब्ध करवाना चाहती है योगी आदित्यनाथ सरकारgangaउत्तर प्रदेश सरकार दूसरे राज्यों से लौटकर आए 26 लाख मजदूरों को काम देने के लिए बड़ी प्लानिंग कर रही हैgangaअकेले नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना प्राधिकरण क्षेत्र में काम शुरू करने के लिए चार लाख मजदूरों की जरूरत

राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के चलते उत्तर प्रदेश के करीब 26 श्रमिक वापस लौटकर आए हैं। श्रमिक अपने गांव पहुंच गए हैं और इन्हें बहुत जल्दी इन सभी को काम की जरूरत होगी। इस समस्या का समाधान करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार पुरजोर कोशिशों में लगी है। इसी सिलसिले में गुरुवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बिल्डरों की संस्था नेशनल रियल एस्टेट डेवलपमेंट काउंसिल (नरेडको), भारतीय उद्योग परिसंघ और देश के एमएसएमई उद्यमियों की अग्रणी संस्था इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन (आईआईए) के साथ एमओयू साइन किए हैं।

इन तीनों एमओयू के तहत साढे नौ लाख श्रमिकों को रोजगार मुहैया करवाए जाएंगे। सुपरटेक के एमडी और नरेडको उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष आरके अरोड़ा के नेतृत्व में नोएडा, ग्रेटर नोएडा, यमुना प्राधिकरण क्षेत्र और गाजियाबाद के बिल्डर गुरुवार को लखनऊ पहुंचे। वहां उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, यूपी के औद्योगिक विकास आयुक्त आलोक टण्डन और अन्य अधिकारी मौजूद रहे। 

आरके अरोड़ा ने कहा, "नरेडको रियल्टी क्षेत्र में 2.5 लाख लोगों को रोजगार देगा। गौतमबुद्ध नगर के तीनों विकास प्राधिकरण क्षेत्रों में काम शुरू करने के लिए ढाई लाख श्रमिकों की आवश्यकता है। अगर सारे प्रोजेक्ट शुरू हो जाएं तो यह संख्या चार लाख तक पहुंच जाएगी। अभी बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर नोएडा, ग्रेटर नोएडा और गाजियाबाद छोड़कर चले गए हैं। ऐसे में परियोजनाओं को दोबारा शुरू करने में बिल्डरों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।"

आरके अरोड़ा ने आगे कहा, "उत्तर प्रदेश सरकार दूसरे राज्यों से लौटकर आए मजदूरों के लिए बहुत अच्छा काम कर रही है। सरकार की योजना है कि अपने राज्य के श्रमिकों को अपने ही राज्य में काम दिया जाए। हम इसके लिए सरकार के साथ खड़े हैं। हम भी यही चाहते हैं कि राज्य के प्रत्येक काम करने योग्य व्यक्ति के पास काम होना चाहिए। हम लोगों ने सरकार से लिखित समझौता किया है। वह हमें ढाई लाख श्रमिक उपलब्ध करवाएंगे और हम उन्हें काम देंगे।"

दूसरी ओर देश में एमएसएमई उद्यमियों की सबसे बड़ी संस्था आईआईए ने लगभग पांच लाख प्रवासी श्रमिकों के लिए रोजगार का सृजन करने की जिम्मेदारी ली है। भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने दो लाख श्रमिकों को रोजगार देने में मदद करेगा। सरकार के प्रवक्ता ने कहा कि समझौता ज्ञापन नौकरियों का पता लगाने और श्रमिकों को वर्गीकृत करने में मदद करेगा। ये एजेंसियां ​कुशल प्रवासी श्रमिकों को अल्पकालिक प्रशिक्षण भी सुनिश्चित करेंगी। सरकार श्रमिकों को शिक्षुता भत्ता भी प्रदान करना चाह रही है।

लॉकडाउन के कारण रोजगार छिनने के मामले में उत्तर प्रदेश के लोगों की संख्या सबसे ज्यादा है। कोरोनावायरस महामारी के कारण हुए राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन का सबसे बड़ा असर उत्तर प्रदेश पर ही पड़ा है। राज्य के करीब 26 लाख श्रमिक दूसरे राज्यों से वापस लौट कर आए हैं। अब इन्हें रोजगार मुहैया करवाना सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती है। हालांकि, सरकार का दावा है कि वह हर मजदूर को काम उपलब्ध करवाने के लिए तैयार हैं। इसके लिए पुख्ता योजना बना ली गई है।

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