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केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश चंद पोखरियाल निशंक ने बुधवार को देश के लिए नई शिक्षा नीति घोषित कर दी है। देश की शिक्षा नीति में व्यापक रूप से बदलाव किए गए हैं। सबसे बड़ा बदलाव यह है कि अब स्कूल, कॉलेज और यूनिवर्सिटी में पढ़ाई का मकसद छात्रों में व्यवहारिक और रचनात्मक गुणों को बढ़ाना रहेगा। किताबों पर कम और प्रैक्टिकल पर ज्यादा जोर दिया जाएगा। इतना ही नहीं अब आर्ट, साइंस और कॉमर्स के बीच फर्क खत्म कर दिया गया है।
गुरुवार को लागू की गई नई शिक्षा नीति के मुताबिक अब गणित पढ़ रहा छात्र अपनी पसंद के हिसाब से दूसरा विषय इतिहास पढ़ सकता है। कॉमर्स के साथ-साथ भूगोल पढ़ा जा सकता है। संस्कृत के साथ गणित पढ़ने की स्वतंत्रता मिलेगी। छात्रों के लिए अब आर्ट, कॉमर्स और साइंस स्ट्रीम की बाध्यता समाप्त कर दी गई है। मतलब, छात्र अपनी पसंद और परफॉर्मेंस के आधार पर विषयों का चयन कर सकेंगे। इसे बड़ा बदलाव माना जा रहा है।
केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार करीब 4 वर्षों से देश में नई शिक्षा नीति लागू करने पर काम कर रही थी। इसके लिए देशभर के विशेषज्ञों का एक पैनल बनाया गया था। जिसने कई दौर का अध्ययन करने के बाद अपनी सिफारिशें मानव संसाधन विकास मंत्रालय को सौंपी थीं। करीब 1 साल से केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक के नेतृत्व में पूरा मंत्रालय नई शिक्षा नीति बनाने में जुटा हुआ था। शिक्षा नीति की कुछ और खूबियां भी हैं।
नई शिक्षा नीति का लक्ष्य छात्रों में व्यवहारिक ज्ञान और व्यवसायिकता को बढ़ाना है। सरकार का जोर रहेगा कि अगले 30 वर्षों में यूनिवर्सिटी, कॉलेज और स्कूलों में पढ़ने वाले 50 फ़ीसदी छात्र व्यवसायिक शिक्षा की तरफ बढ़ेंगे। जिला स्तर पर बड़े हायर एजुकेशन इंस्टीट्यूट और यूनिवर्सिटी खड़े किए जाएंगे। ऐसे शिक्षण संस्थानों में छात्रों की संख्या 3000 से कम नहीं होगी। प्रत्येक जिले में ऐसा शिक्षण केंद्र कम से कम एक जरूर होगा। सरकार ज्यादा से ज्यादा ऐसे शिक्षण संस्थान सरकारी और निजी क्षेत्र के जरिए खड़े करने की कोशिश करेगी। इसके लिए भी टाइम लाइन घोषित की गई है।
नई शिक्षा नीति का उद्देश्य छात्रों में प्रैक्टिकल नॉलेज को बढ़ाना है। उच्च शिक्षण संस्थानों में शोध कार्यों पर जोर दिया जाएगा। इसके लिए छात्रों को माध्यमिक शिक्षा के स्तर से ही प्रयास शुरू करने होंगे। नई शिक्षा नीति में शिक्षकों की जिम्मेदारी भी तय की गई है। पढ़ाने के भी तौर-तरीकों में बड़ा बदलाव किया जाएगा। अभी तक की शिक्षा नीति में अभिभावकों की भूमिका गौण थी। पहली बार शिक्षा नीति में अभिभावकों को मुख्य भूमिका में शामिल किया गया है। नई शिक्षा नीति के तहत अभिभावकों को भी शिक्षा व्यवस्था के प्रति जागरूक किया जाएगा।